बिहार में हुए रणजी ट्रॉफी के मुकाबले के बाद मोइनुल हक स्टेडियम की पूरे देश में जगहंसाई हो गई। बिहार के एलीट ग्रुप में पहुंचने के बाद बिहार का पहला मुकाबला मुंबई से खेला गया। इस मुकाबले के बाद स्टेडियम की जो बदनामी हुई है उसने सभी का ध्यान आकर्षित किया। बिहार सरकार की बैठक के बाद मोइनुल हक स्टेडियम बीसीसीआई / बीसीए को लीज पर दे दिया है। इसके लिए बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी ने राज्य सरकार के साथ एक एग्रीमेंट पर साइन भी कर दिया है।
बिहार के मोइनुल हक स्टेडियम को अब फिर से पहले जैसा बनाने की कोशिश की जाएगी। समझौते के अनुसार, स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मानकों के बराबर लाने के लिए पुनर्विकास किया जाएगा। 1969 में यह स्टेडियम बनकर तैयार हुआ था। इस स्टेडियम में अब तक 9 अंतर्राष्ट्रीय मैच हुई है। वहीं इसकी स्टेडियम में दर्शकों की क्षमता 25,000 है। लेकिन इस स्टेडियम को 2000 के बाद कोई पूछने वाला नहीं था। जिस कारण से यह दिन-व-दिन खराब होते चला गया। मोइनुल हक स्टेडियम बिहार टीम का घरेलू मैदान है, जिसे सुधारने की जिम्मेदारी राकेश तिवारी ने ले ली है।
बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और खेल मंत्रालय के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। “यह विकास बिहार में क्रिकेट बुनियादी ढांचे की उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं बिहार सरकार के विश्वास और दूरदर्शिता के लिए उनका अविश्वसनीय रूप से आभारी हूं।”
तिवारी ने एक बयान में कहा, “मैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जी और विजय सिन्हा जी को बीसीए के प्रति इस कदम के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।”
मोइनुल हक स्टेडियम में हाल ही में चार रणजी ट्रॉफी मैचों की मेजबानी हुई है। बिहार को हराने वाली मुंबई की टीम ने 42वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया। इस स्टेडियम ने आखिरी बार 1996 विश्व कप के दौरान किसी अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी की थी।