क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा, पूर्व क्रिकेट खिलाडी तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में बिहार को दुबारा मान्यता दिलाने वाले आदित्य वर्मा ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर कई गंभीर आरोप लगाए। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने 6 साल के लिए लखन राजा को निष्कासित कर दिया है। आदित्य वर्मा ने निष्कासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगातार हमलोगों ने राकेश तिवारी के क्रियाकलाप पर सवाल उठाते रहे हैं इसलिए आनन फानन में राकेश तिवारी ने लखन राजा को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए मेरे बेटे को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। लखन राजा को ना ही कोई शौ काउज ना कोई नोटिस सीधे अपने वेबसाइट पर 6 साल के लिए निष्कासित का फरमान जारी कर दिया गया। हमने हमेशा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के गलत कार्यों का विरोध किया। बिहार में बाहरी खिलाडियों को बुलाकर गलत कागजात बनाकर सीधे बिहार टीम में खेलाया जाता है। पटना में कोतवाली थाना में एफ० आई० आर० 49/23 भी चल रहा है।
बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट के विकास के लिए 25 करोड़ रुपया का अनुदान अभी तक दिया है। उसका कोई भी हिसाब नहीं है जब भी पुरुष महिला खिलाड़ियों का कोचिंग कैंप लगता है तो न उनके ठहरने का न खाने पीने का और ना ही दैनिक भत्ता खिलाडियों को दिया जाता है। ऑफिस में काम करने वाले जो भी कर्मचारी है वह बीसीसीआई के पैसे से सैलरी के रूप में सालाना करोड़ों रूपये ले रहे हैं क्योंकि अगर बीसीसीआई पैसा देता है तो खिलाडियों के विकास के लिए देता है क्रिकेट के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए देता है लेकिन वह पैसा मनी लांड्रिंग के तरह गवन कर लिया जा रहा है। इसकी जांच बिहार सरकार के आर्थिक अपराध ईकाई के द्वारा की जा रही है।
एक कर्मचारी जो राकेश तिवारी का खास है, उसको बीसीए इसलिए 75000 रू का सैलरी दे रहा है कि वह अध्यक्ष राकेश तिवारी के नाम पर खिलाड़ियों से टीम में चयन हेतु पैसे की मांग कर सके। सोशल मीडिया पर उस शख्स का ओडियो और वीडियो भी वायरल हो चुका है। क्या राकेश तिवारी बता सकते हैं आज तक क्या कारवाई हुई उसके ऊपर। सचिव द्वारा चयनित टीम को स्टेडियम से भगा दिया जाता है। रात में पता चलता है कि खिलाड़ियों के उपर झूठा एफ० आई० आर० धारा 307 लगाकर कर दिया गया है। अगर इन सब चीजों पर सवाल किया जाता है तो मेरा बेटा को 6 साल के लिए सस्पेंड किया जाता है।
पटना के ऊर्जा स्टेडियम में क्यों नहीं रणजी ट्रॉफी का मुकाबला
पटना के ऊर्जा क्रिकेट स्टेडियम में पिछले साल रणजी ट्रॉफी का मैच हो चुका है तो फिर इस बार क्यों ऊर्जा स्टेडियम को नजरअंदाज किया गया। यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत नीतीश सरकार को बदनाम करने के लिए पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में करवाया गया, जो अभी जर्जर स्थिति में है। उसमें मुम्बई जैसे टीम का मैच करवाकर पूरे वर्ल्ड मीडिया में सरकार के साथ-साथ बिहार की भी छवि भी अध्यक्ष राकेश तिवारी और उनके लोगों ने किया ने खराब कर दी। इसकी जितनी भी बुराई की जाए कम है।
बिहार का एक होनहार खिलाड़ी ने अच्छा खेलना शुरू किया ही है, तब अपना पीठ थपथपाने के लिए बीसीए के लोगों ने उसकी उम्र 12.30 साल बता कर सचिन तेंदुलकर से तुलना कर दिया था। किसी भी उदीयमान खिलाड़ी को मेंटली किस प्रकार परेशान किया जाता है यह देखने को पिछले दो रणजी ट्रॉफी मैच में मिल चुका है। अब जो लखन राजा के साथ हुआ है वह वह किसी और खिलाड़ी के साथ नहीं हो क्योंकि जब राजा मूर्ख होने के साथ-साथ अहकारी हो जाता है तो उसका राजकाज का अंत सुनिश्चित हो जाता है।
अन्त में इतना कहना है कि अगर बीसीए के अध्यक्ष और उनके चाटूकारों को थोड़ी भी हिम्मत है तो अधीराज जौहरी, गौरव जोशी, गजेन्द्र सिंह, कृष्णकान्त यादव, यशपाल सिंह जैसे खिलाड़ियों के माँ बाप का बिहार का पिछले तीन साल का बैंक डिटेल्स आधार कार्ड का कॉपी अपने साइट पर लगा दे मैं हार मान जाउँगा। तुमलोगों की जो दुकान चल रही है जल्द ही बन्द होगा।