पटना। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( बीसीसीआई) द्वारा विभिन्न राज्य संघों में बाहरी और ओवर एज खिलाड़ियों की पहचान करने के लिए एक सर्कुलर जारी कर स्वयं बीड़ा उठाया है। जिसको लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ( बीसीए) के सचिव अमित कुमार ने हर्ष व्यक्त करते हुए बीसीसीआई के इस सराहनीय प्रयास का जोरदार स्वागत किया।
ज्ञान हो कि बीसीसीआई की इस नई व्यवस्था में सभी रजिस्टर्ड खिलाड़ियों को एक लिंक शेयर किया जाएगा जो उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आएगा और इस लिक के माध्यम से सभी खिलाड़ियों को ऑनलाइन अपना प्रोफाइल अपडेट करना होगा इसमें उन्हें आधार कार्ड की कॉपी भी अपलोड करनी होगी ।
आधार कार्ड से लिंक रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर हीं आधार कार्ड की ओटीपी आता है और ऐसे में कोई खिलाड़ी किसी दूसरे मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर टीम में प्रवेश नहीं कर पाएगी साथ हीं साथ आधार अपडेट में उम्र घटाने या बढ़ाने सहित गलत नाम- पते व अन्य विवरण के आधार पर स्थानीय बनकर जिला व राज्य में खेल रहे खिलाड़ियों की पूरी जानकारी बीसीसीआई को प्राप्त हो जाएगी। जिसमें राज्य संघ का कोई भूमिका नहीं रहेगी और ऐसी स्थिति में कोई खिलाड़ी पकड़ा जाता है तो उसे बीसीसीआई काली सूची में रखेगी और उस खिलाड़ी को उस आयु वर्ग में चयन नहीं होगा ।
बीसीए सचिव अमित कुमार ने कहा कि बीसीसीआई के इस सराहनीय प्रयास से बार- बार आधार कार्ड में आयु व पता बदलकर जो खिलाड़ी राज्य व जिला संघों के आंखों में धूल झोंककर खेलते हैं उस लगाम लगेगी और बहुत हद तक इसमें हो रही विभिन्न प्रकार की धांधली पर भी शिकंजा कसा जायेगा।
विशेषकर वैसे जिला संघ व राज्य संघों के पदाधिकारियों पर बीसीसीआई की शिकंजा लगेगी जो इस प्रकार के अनैतिक कार्यों को बढ़ावा देने में संलिप्त हैं औ बाहरी खिलाड़ियों को खेलाने के नाम पर अपना व्यवसाय खोलकर बैठें हुए हैं इससे बिहार भी अछूता नहीं है।
इसलिए बीसीसीआई के इस सराहनीय प्रयास को सफल बनाने में हम सभी जिला संघों व राज्य संघों के पदाधिकारियों को ईमानदारी पूर्वक अपेक्षित सहयोग और समर्थन करना चाहिए।
इस सराहनीय पहल के लिए बीसीए परिवार की ओर से मैं बीसीसीआई के सम्मानित अध्यक्ष रोजर बिन्नी जी, मानद सचिव जय शाह जी सहित पूरी कमेटी ऑफ़ मैनेजमेंट के फैसले की सराहना और स्वागत करता हूं।
वहीं बीसीए मीडिया कमेटी के चेयरमैन कृष्णा पटेल ने बीसीसीआई के इस पहल की सराहना करते हुए बीसीसीआई से यह गुहार भी लगाई है कि ऐसे फर्जी दस्तावेज बनाने वाले खिलाड़ियों के साथ-साथ फर्जी तरीके से बाहरी खिलाड़ियों से मोटी रकम की वसूली कर अपने राज्य टीम में शामिल करने वाले धंधेबाज पदाधिकारियों को भी बीसीसीआई काली सूची में शामिल करने का काम करें।क्योंकि ऐसे कार्यों में सिर्फ खिलाड़ी हीं दोषी नहीं है बल्कि इस कार्य में जिला संघ से लेकर राज्य संघ के पदाधिकारी भी संलिप्त होते हैं और दोनों बराबर दोषी भी है इसलिए सजा भी बराबर मिलनी चाहिए।
जिसका प्रमाण के तौर पर बिहार में कई ऑडियो-वीडियो वायरल हैं जिसकी जांच बीसीसीआई को करनी चाहिए। इसलिए बीसीसीआई ऐसे घृणित कार्य करने वाले पदाधिकारियों के कार्यकाल का भी जांच करने के लिए भ्रष्टाचार शिकायत निवारण केंद्र (Corruption Grievance Redressal Center) सीजीआरसी का गठन कर त्वरित कार्रवाई करने का सराहनीय कदम उठाए। जिसमें विभिन्न राज्य संघ से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों का निपटारा किया जा सके।