बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष (कार्य पर रोक) द्वारा कल रणधीर वर्मा अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए 8 जोनों के टीम की घोषणा कर दी गई। इस टीम के घोषणा के बाद पूर्व खिलाड़ी एवं लीग कन्वेनर अमित यादव ने सीधे-सीधे चयनकर्ताओं के चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के माननीय अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के कार्य पर रोक लगा हुआ है फिर वो खिलाड़ियों को भ्रमित करने का काम कर रहे है।
जारी किए गए टीमों को देखने के बाद अमित यादव गुस्से से आग बबूला हो गए और उसके बाद उन्होंने कहा कि इस टीम में अध्यक्ष गुट के अधिकारियों ने अपने सगे-संबंधियों को जगह दे दी है। अगर ऐसा ही चलते रहा तो प्रतिभावान खिलाड़ी पीछे छूट जाएंगे या फिर उन्हें मजबूरन क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ेगा। प्रतिभावान क्रिकेटरों के साथ ऐसा कभी होने नहीं देंगे।
इसके बाद उन्होंने टूर्नामेंट कमेटी के संयोजक ज्ञानेश्वर गौतम पर हमला बोलते हुआ कहा कि जिन्हें क्रिकेट का ककहरा नहीं पता है वो अब खिलाड़ियों को इसके बारे ज्ञान दे रहे हैं। कहीं न कहीं अमित यादव ने यहां तक कहा कि चयन प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं रखी गई है। ज्ञानेश्वर गौतम मैदान पर कैसे रहते हैं ये किसी से छिपा हुआ नहीं है। जहां एक ओर सचिव गुट के तरफ से बिहार के पूर्व वरीय खिलाड़ी सौरव चक्रवर्ती टूर्नामेंट के कन्वेनर बन कर जाते और दूसरी तरफ से जाते हैं ज्ञानेश्वर गौतम। अब सीधे-सीधे आपको फर्क पता चल रहा होगा कि कौन क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए सोच रहा है और कौन क्रिकेट को गर्त में ले जा रहा है।
अब अगर चयन किए गए टीम की बात करें तो आदित्य यादव के 2 मैच में 2 रन है फिर भी वो टीम में जगह बना लेते हैं। 1 रन बनाने वाले आकाश वर्मा को भी टीम में जगह दे दी गई है। यहां तक तो ठीक था लेकिन पटना से सिमुख जो खाता भी नहीं खोल पाए थे, उन्हें जब टीम में जगह दी गई तब यह हेरा फेरी सब को नजर आने लगी। उन्होंने कहा, सुनने में आया है कि सुनील सिंह के रिश्तेदार है सिमुख कुमार। शायद इसी वजह से उनको टीम में भी शामिल किया गया है। कुछ दिन पहले ही ज्ञानेश्वर गौतम ने कहा था कि जिसका बल्ला बोलेगा वो ही खेलेगा। लेकिन यहां तो लग रहा है कि खिलाड़ियों को बल्ला चलाने की नौबत आ गई है।
अमित यादव ने आगे कहा कि बस अब कुछ दिन और है और जल्द ही इन लोगों की दुकान बंद होने वाली है। जी हां ये कोई एसोसिएशन नहीं दुकान ही चलाते हैं जो 5 अगस्त को संभवत: बंद हो जाएगी। ये लोग खिलाड़ियों से प्रदर्शन की नहीं पैसे की उम्मीद करते हैं, इनको क्या बोला जाए। इनके लिए तो कभी कभी शब्द भी कम पड़ जाते हैं। ऐसे भी अध्यक्ष के कार्य पर रोक लगा हुआ है।
बिहार में क्रिकेट की गतिविधि को सुधारने के लिए सबसे पहले बिहार में क्रिकेट को पुनः जीवित करना होगा। अभी तक तो यह चलता आ रहा था कि जिसने पैसा दिया जो खेल गया और जो पैसा नहीं दिया वो नहीं खेल पाया, चाहें वो कितना भी अच्छा क्यों ना हो। उम्मीद है कि आने वाले 5 अगस्त को बिहार के खिलाड़ियों के नए दौर की शुरुआत होगी। इसलिए मैं खिलाड़ियों से कहना चाहता हूं कि आप अपना अभ्यास करते रहें और समय आने पर ऐसे लोगों को अपने खेल से जवाब दें।