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Rinku Singh पर कभी बीसीसीआई ने लगाया था बैन, अब गुजरात टाइटंस के खिलाफ लगातार पांच छक्का जड़कर रातों-रात बनें स्टार; जानें कैसा रहा है रिंकू सिंह का सफर

आईपीएल 2023 (IPL 2023) का आगाज हो चुका है। शुरुआत के कुछ मैच में ही आईपीएल का रोमांच अपने चरम पर पहुंच गया है। इस आईपीएल में एक ऐसे खिलाड़ी ने अपनी गाथा लिखी है, जिसकी चर्चो पूरे विश्व क्रिकेट में शुरू हो गई है। यह खिलाड़ी कोई और नहीं रिंकू सिंह (Rinku Singh) है। जिन्होंने पांच गेंदों पर पांच छक्के जड़कर कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिला और रातों-रात हीरो बन गए। उत्तर प्रदेश का यह सितारा जो आईपीएल 2023 में अपनी चमक बिखेर रहा है।

रिंकू सिंह ने पांच छक्का लगाकर मैच को पूरी तरह से पलट दिया और गुजरात टाइटंस को हराकर मुकाबले को जीत लिया। पांच गेंदों पर पांच छक्कें जड़ने के बाद रिंकू ने अपना नाम क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज करा लिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रिंकू सिंह ने जो मुकाम हासिल की वो काफी संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में अपने आप को निखरा है और आज यह मुकाम हासिल कर पाए हैं। आइए जानते हैं कैसे रिंकू सिंह बने सिक्सर किंग।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ रिंकू सिंह का जन्म

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 12 अक्टूबर 1997 को जन्में रिंकू सिंह का पढ़ाई में कुछ खास लगाव नहीं था। रिंकू के पिता चंद्र सिंह एलपीजी सिलेंडर बांटने का काम करते है। सिलेंडर डिलीवरी का काम करने वाले चंद्र सिंह का घर दो कमरों तक ही सिमिट था। रिंकू को बचपन से पढ़ाई में मन नहीं लगता था। बल्कि इससे उल्टा रिंकू का मन खेल में हमेशा लगा रहता था। इसके बावजूद भी रिंकू के माता-पिता ने कभी भी रिंकू को स्कूल भेजना बंद नहीं किया।

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रिंकू सिंह ने 10 से 11 साल में क्रिकेट को अच्छी तरह से समझ लिया था। रिंकू अपना अधिक समय क्रिकेट को देने लगे थे। रिंकू सिंह अपने पांच भाई-बहनों के साथ गोदाम के परिसर में दो रूम के कमरें में रहते थे। रिंकू सिंह बचपन से गरीबी के माहौल मे पले बढ़े। पिता गैस डिलीवरी का काम करते थे तो वहीं सबसे बड़ा भाई ऑटो रिक्शा चलाता था। जबकि उनका एक बड़ा भाई एक कोचिंग सेंटर में काम करता था।

कठिनाइयों से परिवार का पेट पालने वाले पिता ने रिंकू के कौशल को नहीं पहचाना

कठिनाइयों से परिवार का पेट पालने वाले पिता में इतनी समझ नहीं थी कि अपने बच्चों के कौशल को पहचान कर उन्हें सही रास्ता दिखाए। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण के रिंकू का मन खेल से मानों लग सा गया था। जिससे उनके पिता हमेशा नाराज ही रहते थे। रिंकू के क्रिकेटर बनने की बात पर पिता ने कई बार नाराज होकर उनकी पिटाई भी की ऐसा सिर्फ उन्होंने परेशानी में किया।

एक पिता का ख्वाब होता है कि बेटा किसी तरह कुछ करके कमाने लग जाए। इसके अलावा रिंकू कहते है कि क्रिकेट खेलने के लिए उनको समर्थन भी घरवालों से मिला। जिससे मुझे उस जगह तक पहुंचने में मदद मिली, आज मैं जहां भी हूं।

Rinku Singh With His Family

रिंकू के पिता घर परिवार देखकर चलने वाले आदमी थे, उन्हें पता था कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इन सबके बावजूद रिंकू ने 2009 में क्रिकेट खेलने का मन बना लिया था। रिंकू के इसी लगन के कारण वो 2012 में यूपी के टीम में चुने गए। इसके बाद रिंकू सिंह का परिवार एक बार फिर तंगी से झूझने लगा। ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण रिंकू को झाड़ू पोछा लगाने का काम मिला। उन्हें नौकरी तो चाहिए थी लेकिन वह सफाई कर्मी बनने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने मन बना लिया कि अब क्रिकेट में ही कुछ करूंगा।

रिंकू कहते हैं मैं इतना पढ़ा लिखा नहीं हूं कि पढ़ाई के आधार पर काम कर सकूं मैं केवल क्रिकेट ही है जो मुझे आगे बढ़ा सकता है और क्रिकेट के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था। क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का कोई और रास्ता ही नहीं था। बड़े भाई की तरह पिता भी हर महीने 6 से ₹7000 कमाते थे। क्रिकेट करियर में उनके परिवार को गरीबी के बोझ से बाहर निकालने में मदद की।

रिंकू सिंह का क्रिकेट करियर

2012 में यूपी के टीम से खेलने के बाद रिंकू सिंह का बेहतरीन प्रदर्शन लगातार जारी रहा। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उत्तरप्रदेश के अंडर-19 और अंडर-23 टीम में जगह मिली। इसके अलावा उन्होंने अंडर-19 में सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व भी किया। रिंकू सिंह ने महज 16 साल की उम्र में लिस्ट A  क्रिकेट में डेब्यू किया। उन्होंने पहले ही मैच में शानदार पारी में खेलते हुए 87 गेंदों में 84 रनों की पारी खेली।

सैय्यद मुस्ताक अली ट्रॉफी में 31 मार्च 2014 को विदर्भ के खिलाफ खेलते हुए अपने डेब्यू मैच में ही इन्होने 5 गेंदों पे तूफानी अंदाज़ में बल्लेबाजी करते हुए तीन चौकों और दो गगनचुम्बी छक्कों की मदद से 24 रन बना दिए और दूसरी पारी में गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 3 ओवर में 46 रन देकर एक विकेट भी लिया। इसके बाद उन्होंने 5 नवंबर 2016 को 18 वर्ष की उम्र में 2016-17 की रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया।

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इनके अच्छे प्रदर्शन का फायदा इन्हें आईपीएल के 2017 के सीजन में मिला। जब किंग्स एलेवेन पंजाब ने रिंकू सिंह को 10 लाख के बेस प्राइस पर खरीदा। लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इसके बाद 2018 के विजय हज़ारे ट्रॉफी के एक मैच में त्रिपुरा के विरूद्ध ताबड़तोड़ अंदाज़ में बल्लेबाजी करते हुए 44 गेंद में नाबाद 91 रन बनाये और इसकी मदद से उन्हें 2018 में कोलकाता नाईट राइडर्स की टीम ने उन्हें 80 लाख रुपये में खरीदा। 2018 में रिंकू का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था।

2018 में अपने ख़राब प्रदर्शन के बाद रिंकू सिंह ने कोलकाता के बैटिंग मेंटर अभिषेक नायर के साथ समय बिताया और इसका फायदा उन्हें 2018-2019 के रणजी सीजन में भी हुआ और उन्होंने 10 पारियों में 953 रन बनाकर टूर्नामेंट के तीसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे जिसमे उन्होंने चार शतक लगाए थे (163*, 149, 149 और 150)।  रणजी ट्रॉफी में रिंकू ने 40 मैचों की 59 परियों में 59.89 की उम्दा औसत से 2875 रन बनाये हैं। रणजी ट्रॉफी में रिंकू का उच्चतम स्कोर 163 रन है।

बीसीसीआई ने 2019 में लगाया था बैन

साल 2019 में बीसीसीआई ने रिंकू सिंह को तीन महीनों का प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान उनके क्रिकेट के करियर पर ब्रेक लग गया था। रिंकू सिंह ने बिना बीसीसीआई को जानकारी दिए अबुधाबी में एक टी-20 लीग में हिस्सा लिया था। जब इसकी जानकारी बीसीसीआई को लगी तो उन्होंने कड़ा एक्शन लेते हुए तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया। इस घटना के बाद रिंकू सिंह ने ऐसा कभी नहीं करने की ठानी। उसके बाद फिर रिंकू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

आईपीएल 2022 में रिंकू को मौके मिलने शुरू हो गए। पिछले साल रिंकू सिंह ने लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ 15 गेंदों पर 40 रन बनाकर टीम को जीत के दहलीज पर पहुंचा दिए। लेकिन कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम 2 रनों से हार गई। जिसके बाद केकेआर की तरफ से लगातार मौके मिलने शुरू हो गए। जिसके बाद रिंकू के प्रदर्शन में भी निखार आने लगा। आईपीएल 2023 में 5 गेंदों में पांच छक्के जड़कर अपनी एक अलग पहचान बना ली है। इसके साथ ही आईपीएल के इतिहास में पांच लगातार गेंदों में पांच छक्के लगाने वाले पांचवे खिलाड़ी बन गए।

 

Written By- उपासना कुमारी

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बिहार मॉडर्न पेंटाथलॉन एसोसिएशन बायथेल/ट्रायथल स्टेट चैंपियनशिप 2024 की तैयारी पूरी

पटना : आज दिनांक 26 जुलाई 2024 को बांकीपुर क्लब पटना में डॉक्टर संजय कुमार संथालिया बांकीपुर क्लब के निदेशक सह खेल प्रभारी के अध्यक्षता में बिहार मॉडर्न पेंटाथलॉन संगठन बायथेल/ट्राइथेल का बिहार स्टेट चैंपियनशिप 2024 दिनांक 28 जुलाई 2024 दिन रविवार को सुबह 9 बजे से किया जा रहा है |

इस मौके पर मुख्य रूप से बांकीपुर क्लब के सचिव श्री गोपाल खेमका, शरद रंजन, निदेशक डॉ. संजीव कुमार, कोषाध्यक्ष सतीश मोहन पहाड़ी, सुदेश सुरीन, बिहार मॉडर्न पेंटाथलान एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग कुमार तथा सचिव कनक कुमार और भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश कुमार श्रीवास्तव राजू , विकास सिंह और कोच अविनाश कुमार स्विमिंग कोच आयोजन करवाने अपनी सहमति दी | डॉ. संथालिया ने बताया कि पूरे बिहार से लगभाग 200 बच्चे आ रहे हैं प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए खेल में रनिंग, शूटिंग एवं स्विमिंग एक साथ खेला जाता है।

उक्त अवसर पर मुख्य रूप से बांकीपुर क्लब के सचिव श्री गोपाल खेमका, शरद रंजन, निदेशक डॉ. संजीव कुमार, कोषाध्यक्ष सतीश मोहन पहाड़ी, सुदेश सुरीन, बिहार मॉडर्न पेंटाथलान एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग कुमार तथा सचिव कनक कुमार और भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश कुमार श्रीवास्तव राजू , विकास सिंह और कोच अविनाश कुमार स्विमिंग कोच सहित अन्य गणमान्य लोक उपस्थित थे |

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Women’s Asia Cup: भारतीय महिला टीम 9वीं बार एशिया कप के फाइनल में पहुंची, बांग्लादेश को एकतरफा मुकाबले में 10 विकेट से हराया

Women’s Asia Cup: तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ने शुरूआती ओवरों में तीन विकेट चटकाकर बांग्लादेश की पारी को झकझोरा तो वहीं सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने ताबड़तोड़ नाबाद अर्धशतकीय पारी खेलकर महिला टी20 एशिया कप के सेमीफाइनल में भारत को 10 विकेट की शानदार जीत दिलायी। भारतीय टीम के सामने रविवार को खेले जाने वाले फाइनल में श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता की चुनौती होगी।

भारत ने बांग्लादेश को आठ विकेट पर 80 रन पर रोकने के बाद 11 ओवर में बिना किसी नुकसान के 83 रन बनाकर एकतरफा जीत दर्ज की। मंधाना ने 39 गेंद में नौ चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 55 और शेफाली वर्मा ने 28 गेंद में दो चौके की मदद से नाबाद 26 रन का योगदान दिया। दोनों की आक्रामक बल्लेबाजी से भारत को 54 गेंद शेष रहते लक्ष्य हासिल करने में कोई परेशानी नहीं हुई।

लक्ष्य का पीछा करते हुए मंधाना और शेफाली ने मैदान के चारों ओर मन मुताबिक शॉट लगाये। टीम ने पावरप्ले में बिना किसी नुकसान के 46 रन बनाकर अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। शेफाली को 21 रन के स्कोर पर राबिया खान ने कैच टपकाकर जीवनदान दिया तो वहीं जहांआरा आलम की गेंद पर मंधाना के 35 रन के स्कोर पर कैच आउट होने के बाद गेंद नो बॉल करार दी गयी।

बांग्लादेश ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन रेणुका ने पहले ओवर में ही छक्का खाने के बाद दिलारा अख्तर (06) को चलता किया। दिलारा के एक और बड़ा शॉट खेला लेकिन यह डीप मिडविकेट पर खड़ी उमा छेत्री को पार करने के लिए काफी नहीं था।

उन्होंने अपने अगले दो ओवरों में इश्मा तंजीम (08) और मुर्शिदा खातून (04) को चलता किया जिससे पावरप्ले में बांग्लादेश की टीम तीन विकेट पर 25 रन ही बना सकी। बांग्लादेश के लिए कप्तान निगार सुल्ताना ने 51 गेंद में 32 जबकि शोर्ना अख्तर ने नाबाद 19 रन का योगदान दिया। दोनों ने सातवें विकेट के लिए 36 रन की साझेदारी कर टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला लेकिन पूरी टीम 80 रन ही बना सकी।

भारतीय गेंदबाज ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 80 रनों पर रोक दिया। रेणुका ने 3 विकेट लिए। राधा यादव ने भी 3 विकेट लेकर बांग्लादेश के बल्लेबाजों को बैकफुट पर खड़ा कर दिया। उसके अलावा पूजा ने 1 और दीप्ति ने 1 विकेट चटकाए।

कप्तान सुल्ताना ने एक छोर से पारी को संभालने की कोशिश की। भारतीय गेंदबाजों ने सातवें से 10वें ओवर के बीच सात रन खर्च किये और इस दौरान राधा ने रूमाना अहमद (01) को आउट कर शिकंजा और कस दिया।

 

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सिमरिक देवी मेमोरियल क्रिकेट सीरीज में श्री राम खेल मैदान विजयी

पटना, 25 जुलाई। सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के तत्वावधान में श्रीराम खेल मैदान दानापुर ग्राउंड पर चल रही सिमरिक देवी मेमोरियल क्रिकेट सीरीज के अंडर-15 कैटेगरी में खेले गए मुकाबले में श्रीराम खेल मैदान ने लर्निंग स्कूल ऑफ क्रिकेट को 6 विकेट से हराया। अंडर-12 कैटेगरी में पाटलिपुत्र पैटियर्स ने जीत हासिल की।

लर्निंग स्कूल ऑफ क्रिकेट ने टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फैसला किया। लर्निंग स्कूल ऑफ क्रिकेट ने 20 ओवर में सभी विकेट खोकर 131 रन बनाये। जवाब में श्रीराम खेल मैदान ने 18.5 ओवर में चार विकेट पर 132 रन बना कर मैच अपने नाम कर लिया। प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार रुपेश (29 रन, दो विकेट) को दिया गया।

अंडर-12 कैटेगरी में पाटलिपुत्र पैट्रियर्स ने मगध फ्रंट रनर को 41 रन से हराया। टॉस मगध फ्रंट रनर ने जीता और पहले क्षेत्ररक्षण करने का फैसला किया। पहले बैटिंग करते हुए पाटलिपुत्र पैट्रियर्स ने 25 ओवर में चार विकेट पर 103 रन बनाये। जवाब में मगध फ्रंट रनर की टीम बारिश की वजह से निर्धारित टारगेट को नहीं पूरा सकी और निर्धारित ओवर में 8 विकेट पर 62 रन ही बना सकी। प्लेयर ऑफ द मैच अनुभव रहे।

संक्षिप्त स्कोर

लर्निंग स्कूल ऑफ क्रिकेट : 20 ओवर में 131 पर ऑल आउट पीयूष 46, साहिल 37, आयुष यादव 2/8, आयुष झा 02/20, रूपेश 02/32
श्री राम खेल मैदान बैटिंग : 18.5 ओवर में चार विकेट पर 132 रन, रूपेश 29, आयुष 21, सूरज 01/18, अभिनव 01/24

पाटलिपुत्र पैट्रियर्स : 25 ओवर में चार विकेट पर 103 रन, अमृत 28, कान्हा 18, चंदन 1/18, हरिओम 1/12

मगध फ्रंट रनर : 18 ओवर में 8 विकेट पर 62 रन, दिव्यांशु 11, अंकित 11, अनुभव 3/12, कान्हा 2/11

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बिहार वॉल बॉल की टीम रवाना, बिहार के खेल मंत्री ने दी जीत की शुभकामनाएं

राजस्थान के हनुमानगढ़ में 26 से 28 जुलाई तक होने वाले दूसरी नेशनल वॉल बॉल चैंपियनशिप में बिहार वाल बॉल की टीम रवाना हो गई इसकी जानकारी वॉल बॉल एसोसिएशन आफ बिहार के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि 10 दिवसीय प्रशिक्षण उपरांत चयनित 14 सदस्यीय टीम आज 25 जुलाई को मगध एक्सप्रेस से हनुमानगढ़, राजस्थान के लिए रवाना हो गई।

इससे पहले बिहार टीम का हौसलाफजाई बिहार सरकार के खेल मंत्री जीत की शुभकामनाएं दी. इस मौके पर वाल बॉल बिहार संघ के महासचिव रूपक कुमार, उपाध्यक्ष संजय कुमार,सतीश कुमार राजू, बिपिन कुमार,संयुक्त सचिव प्रमोद कुमार, सहायक सचिव संजीत कुमार, सुभाजीत सरकार,मोनू कुमार, व कोषाध्यक्ष शिखा सोनिया आदि ने जीत की शुभकामनाएं दी।

चयनित खिलाड़ी इस प्रकार ​है:
संजीत कुमार, प्रिंसी कुमारी, सलोनी राय, अमरजीत, मो. कासिफ, प्रिंस कुमार, करिश्मा कीर्ति, आयुष कुमार, आकाश कुमार, साहिल कुमार, संजीव कुमार, अनिकेत राज, अभिषेक कुमार (डी) व अभिषेक कुमार. कोच : अनंत कुमार, मैनेजर : मनीष कुमार ।

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