पटना। आज दिनांक 10 मई को बिहार क्रिकेट संघ के मीडिया कमेटी के संयोजक कृष्णा पटेल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपने बयान के माध्यम से बताया है कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद सहित संघ के सभी पदाधिकारियों के अथक प्रयास से बीसीसीआई ने बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों का मैच फीस का भुगतान शुरू कर दिया है।
इससे पहले कुछ असामाजिक तत्वों ने बीसीएल और बाद बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों का मैच फीस का भुगतान को लेकर संघ की छवि को धूमिल करने की मंशा से हाय-तौबा मचाने का प्रयास किया था वैसे साजिशकर्ता व शरारती तत्वों की आज कलई खुल गई।
जब बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी और कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद की पहल पर बिहार के खिलाड़ियों का बीसीसीआई ने भुगतान शूरू कर दिया।
लेकिन अब गेंद उनलोगों के पाले में है जो लोग आज तक खिलाड़ियों को दिग्भ्रमित कर उनके हित के लिए घड़ियाली आंसू बहाते फिरते हैं और अपनी झूठी शान बचाने के लिए बैंक मैनेजर को बरगला कर बिहार क्रिकेट संघ का अकाउंट बंद करवाया है।
अगर उन लोगों के दिल में थोड़ा सा भी बिहार में क्रिकेट का विकास और खिलाड़ियों के उज्जवल भविष्य का परवाह और प्यार है तो बैंक खाते को चालु करवाने पर पहल करें। क्योंकि इसी खाते से खिलाड़ियों और सपोर्टिंग स्टाफों को टीए-डीए का भुगतान होना है।
कृष्णा पटेल ने आगे कहा कि यहां लोगों को घड़ियाली आंसू बहाने का तो बड़ा शौक है लेकिन वास्तविकता यह है कि इन लोगों को बिहार क्रिकेट और यहां के खिलाड़ियों से ज्यादा अपनी सत्ता प्यारी है। जिसकी चाहत में बिहार क्रिकेट और बिहारी क्रिकेटरों का भविष्य अंधकार में क्यों न चला जाए इससे वैसे लोगों का कोई लेना-देना नहीं है।
जो लोग बीसीएल के आयोजन की त्रुटियों पर उंगली उठाते हैं तो मैं मानता हूं कि बिहार में पहली बार इस प्रकार का बड़ा आयोजन शुरू किया गया और उसमें जाने-अनजाने में थोड़ी- बहुत गलतियां भी हुई और इसी गलतियों से कुछ सीखने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। लेकिन यह भी सच है कि बिहार के खिलाड़ियों के लिए यह एक बड़ा अवसर था।
अगर आप इस टूर्नामेंट को क्रिकेट के नज़रिये से देखेंगे तो आपको यह एहसास होगा कि बिहार में पहली बार ऐसा अवसर मिला। जब बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ियों की प्रतिभा को देश-विदेश में देखा गया और अगर हम ऑफ द रिकार्ड बात करें तो टीवी पर बिहार के खिलाड़ियों का खेल देखकर कई बड़े नामचीन खिलाड़ियों ने यह कहकर प्रतिक्रिया दी है कि बिहार में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
अब बात करते हैं खिलाड़ियों के मैच फीस का भुगतान की तो एक बात समझ लें। अपनी गिरी हुई राजनीति का शिकार खिलाड़ियों को दिग्भ्रमित और उनके नाम का गलत इस्तेमाल कर ना करें। पूरा संघ सिर्फ और सिर्फ खेल और खिलाड़ियों के हित लिए काम करता है। बिहार में यह कहकर भ्रम फैलाया गया था कि अध्यक्ष राकेश तिवारी खिलाड़ियों के भुगतान के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं।
लेकिन ऐसा बात नही था बीसीसीआई ने किसी भी स्टेट के खिलाड़ियों का भुगतान नहीं किया था। इसलिए यहां के खिलाड़ियों का भी भुगतान नहीं हुआ था। अब जो लोग इसपर हाय -तौबा मचा रहे थे वे जवाब दें कि बीसीसीआई ने किसके प्रयास से बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों का भुगतान किया है। लेकिन कुछ लोग इतने बेशर्म हैं कि यह भी कहने में देर नहीं करेंगे कि मेरे प्रयास से खिलाड़ियों का भुगतान किया जा रहा है।
मैं एक बार पुनः आग्रह करता हूं कि खेल और खिलाड़ियों के हित को देखते हुए अगर थोड़ा सा भी आप लोगों में नैतिकता बची हुई है और खिलाड़ियों की हक मारी नहीं चाहते हैं तो बैंक मैनेजर के समक्ष सदन द्वारा की गई कार्रवाई की असल दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए खुद को सरेंडर कर अकाउंट चालू कराने की पहल करें ।