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Opinion: 4-1 से सीरीज जीतने के बाद भी कुछ सवालों ने किया परेशान, घर में ही स्पिनर्स के सामने टिक नहीं पा रहे हैं भारतीय बल्लेबाज, जानें कहां चूक रहे हैं बल्लेबाज…

Opinion: भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-1 से सीरीज को अपने नाम किया। इस टेस्ट सीरीज को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए दावेदारी मजबूत कर दी। लगातार दो बार विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप का फाइनल खेलने के बाद टीम इंडिया इस बार भी टेस्ट चैंपिशनशिप फाइनल खेलने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस सीरीज को भारतीय टीम ने भले ही 4-1 से अपने नाम कर लिया हो लेकिन इस टेस्ट सीरीज और पिछले कुछ सालों में घर पर खेले गए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की एक कमी तेजी से उजागर हुई है।

ऐसी कमी उजागर हुई है जिसमें कभी भारतीय टीम को महारत हासिल थी। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम स्पिन खेलने में फिसड्डी साबित हुई है। भारतीय टीम को भारत में ही स्पिन खेलने में अब परेशानी होने लगी है। जबकि पहले यही भारतीय टीम के जीत का मंत्रा था। विदेशी टीमें के खिलाफ स्पिन ट्रैक तैयार करके उनके चारों खाने चित कर देते थे। अब ऐसा हो गया है कि विदेशी टीमें भारत का दौरा करती है तब दो-तीन अच्छे स्पिनर को शामिल कर भारतीय टीम को परेशान कर देती है। यहां आने के बाद उनके एवरेज गेंदबाज भी शानदार गेंदबाज बन जाते हैं।

जबकि पहले भारतीय टीमों ने घरेलू और उपमहाद्वीपीय परिस्थतियों में स्पिन के अनुकूल पिचों में शानदार बल्लेबाजी की है। हालांकि अभी वर्तमान में भारतीय टीम स्पिन का सामना करने में पूरी तरह से जुझते नजर आती हैं। भारतीय टीम की गेंदबाजी भारत में शुरू से ही बेहतरीन रही है। अभी यह और मजबूत हो गई है जबकि बल्लेबाजी में स्पिन खेलने की कला में कमी देखने को मिली है।

70 के दशक में भारत की स्पिन चौकड़ी

भारतीय टीम जो कभी 70 के दशक में अपनी स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को परेशान किया करते थी। वहीं आज के समय में हमारे बल्लेबाज परेशान हो जाते हैं। 70 के दशक में इराप्पल्ली प्रसन्ना, बीएस चन्द्रशेखर, वेंकट राघवन और बिशन सिंह बेदी की प्रसिद्ध चौकड़ी थी, जो भारतीय पिचों पर विदेशी टीमों के खिलाफ हावी रहती थी। इन लोगों ने विदेशी बल्लेबाजों के मन में इतना डर बना दिया था कि भारत का दौरा करने वाली टीमें एक महीना पहले से ही स्पिन खेलने का अभ्यास शुरू कर देती थी लेकिन फिर भी इनकी चौकड़ी बल्लेबाजों को कुछ खास करने का मौका नहीं देती थी।

उसके बाद 1980 से लेकर 2010 तक भारतीय टीम के पास ऐसे बल्लेबाज थे जो भारत में ही नहीं बाहर भी जाकर अपनी छाप छोड़ी। कुछ ऐसे बल्लेबाज भी थे, जिन्हें घर पर स्पिन खेलने में महारत हासिल थी और अगर विदेश का दौरा करे तो स्विंग और पेस खेलने में भी माहिर थे। उस दौरान भारत में कई ऐसे दिग्गज स्पिनर भी आएं, जिन्होंने पूरी दूनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के आगे नतमस्तक हो गए। शेन वार्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक कई ऐसे दिग्गज भी आएं लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने उन दिग्गज स्पिनरों का डटकर सामना किया और स्पिन खेलने की कला भी दुनिया को दिखाई।

हमारी ताकत ही बनी कमजोरी

आखिरी पिछले कुछ समय में ऐसा क्या हो गया कि जो हमारी ताकत थी, वही हमारी कमजोरी बन गई। भारतीय खिलाड़ी जो स्पिन के अनुकूल पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं लेकिन आज वही बल्लेबाज स्पिन का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं। जहां विकेट खराब होने लगती है भारतीय टीम के बल्लेबाजों के पांव क्रीज पर जमते ही नहीं हैं। समय के साथ भारतीय खिलाड़ियों का स्पिन खेलने के लिए जो तकनीक होनी चाहिए, वो धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। अब महेमान टीम को जितना मुश्किल स्पिन खेलने में होती है उतना ही मुश्किल भारतीय टीम को भी स्पिन का सामना करने में होती है।

स्पिन के खिलाफ क्यों संघर्ष कर रहे हैं बल्लेबाज

भारतीय पिचों पर स्पिनरों को खासा फायदा मिलता है। यहां स्पिनरों को विकेट से काफी मदद मिलती है, जिसके कारण भारत में स्पिनर ज्यादा करागर साबित होते हैं। जैसे-जैसे विकेट टूटने लगती है स्पिनरों को टर्न के साथ अधिक उछाल भी मिलने लगती है। अगर गेंदबाज गेंद को ड्रिफ्ट करवाना जानते हैं तब तो बल्लेबाजों को ऐसे गेंदबाज का सामना करने में ज्यादा ही कठिनाई आती है। क्योंकि ऐसे गेंदबाज पिच से अधिक फायदा लेने में कामयाब रहते हैं और बल्लेबाजों को खूब परेशान करते हैं।

भारत में विकेट सूखी और धीमी होती है साथ ही साथ विकेट में असमतल उछाल के साथ गेंद भी तेजी से टर्न होता है। ऐसी विकेटों पर खेलने के लिए बल्लेबाजों को अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है। जिसके लिए बल्लेबाजों को स्पिन खेलने की कला बखूबी आनी चाहिए। स्पिन खेलने में परेशानी के कारण बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण भी स्पिनर्स बल्लेबाजों पर हावी हो जाते हैं। जब कोई एक बल्लेबाज ओवर की 6 गेंदें खुद खेलता है तब उसके आउट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता था कि आप स्ट्राइक रोटेट करते रहें जिससे गेंदबाज को परेशानी हो, बल्लेबाज को नहीं।

विदेशी स्पिनर ने किया परेशान

पिछले 10-15 सालों में भारत में डेब्यू करने वाले विदेशी स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत का दौरा करने आई थी तब जेसन क्रेजा ने अपने डेब्यू मुकाबले के पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए थे। उसके बाद से विदेशी स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर हावी होने लगे। अगर ऑस्ट्रेलिया के स्टीव ओ कैफी की बात करें तो उन्होंने 2021 में भारत का दौरा करते हुए दोनों पारी में 6-6 विकेट लिए थे। वहीं मैट कुहनैमन ने 5 विकेट लेकर भारतीय टीम को बता दिया था कि स्पिन खेलने की कला अब आपके पास उतनी अच्छी नहीं रही।

उसके बाद न्यूजीलैंड के एजाज पटेल ने एक पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी भारत के खिलाफ भारत में ही किया। उन्होंने उस मैच में कुल 14 विकेट चटकाए। वहीं टॉड मर्फी ने 2023 में डेब्यू करते हुए एक पारी में 5 विकेट चटकाए। अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले ही मैच में टॉम हर्टली ने डेब्यू करते हुए एक पारी में 7 विकेट चटकाए। उसके बाद शोएब बशीर ने इस टेस्ट सीरीज के चौथे और पांचवें मुकाबले में पांच-पांच विकेट चटकाए। इस सीरीज में इंग्लैंड के टॉम हार्टली ने कुल 22 विकेट चटकाए। इन 10-15 सालों में विदेशी स्पिनर ने भारत में आकर भारतीय टीम को ही परेशान किया है।

बल्लेबाज तकनीक पर नहीं कर पाते हैं काम

अब सालभर लगातार ही पूरे विश्व में क्रिकेट खेला जाता है। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेटरों को अपनी कमियों पर काम करने का मौका भी बहुत कम मिलता है। अब जो भारतीय क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने लगते है वो घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। जिस कारण से उन्हें घरेलू गेंदबाज या स्पिनर को खेलने का कम मौका मिलता है। इसके अलावा अब बल्लेबाज गेंदबाज के साथ कम और बॉलिंग मशीन के साथ ज्यादा दिखते हैं। बॉलिंग मशीन के साथ बल्लेबाज घंटों अभ्यास करते हैं। वहीं लगातार क्रिकेट होने के कारण सीमित ओवरों में बल्लेबाज स्पिनर पर ज्यादा अटैकिंग रुख अपनाते हैं और रन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। फील्ड रिस्ट्रिक्शन होने के कारण बल्लेबाजों की कमियों का पता नहीं चलता है। जैसे ही यही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं उनकी कमियां साफ नजर आने लगती है।

गेंदबाज भी अब पहले जितना अभ्यास नहीं करते हैं। तीन फॉर्मेट में अपने आप फिट रखने के लिए गेंदबाज नेट में भी काफी कम समय व्यतीत करते हैं। जिस कारण से भी बल्लेबाजों को अपनी कमियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है। लगातार मैचेज के कारण गेंदबाज अब ज्यादातर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं। जिससे वो ज्यादा से मैच खेल पाएं। इस कारण से अब ज्यादातर बल्लेबाजों को नेट गेंदबाज ही अभ्यास कराते नजर आते हैं।

घरेलू क्रिकेट में स्पिनर अब उतने करागर नहीं

अब बात यह भी है कि अब घरेलू क्रिकेट में उतने अच्छे स्पिनर भी नहीं रह गए हैं जो बल्लेबाजों को ज्यादा परेशान कर सके। पहले घरेलू क्रिकटे में एक से बढ़कर एक स्पिनर हुआ करते थे। जो इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट को भी तवज्जो देते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब लगातार मैचेज रहने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेटर घरेलू में शामिल नहीं हो पाते है जिस कारण से अब बल्लेबाजों को क्वालिटी के स्पिनर नहीं मिलते हैं। इस कारण से भी अब घरेलू क्रिकेट में स्पिनर उतने करागर साबित नहीं होते हैं। अच्छे स्पिनर के नहीं होने के कारण बल्लेबाजों की कमियां नजर नहीं आती है।

स्पिन खेलने की बढ़िया तकनीक क्या है…

स्पिन को खेलने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आपके कदम चलते रहें। आप फ्रंटफूट और बैकफूट का इस्तेमाल अच्छे ढंग से करें। कुछ बल्लेबाज टर्न कम करने के लिए निकलकर खेलते है और कुछ बल्लेबाज गेंद को टर्न होने के बाद खेलना पंसद करते हैं। अगर आप ऐसे स्पिन को खेलोंगे तब सफलता आपको मिलेगी। स्पिनर के खिलाफ अगर आप फंस गए तब गेंदबाज आपको निश्चित तौर पर आउट कर देगा। इसके अलावा आपके हाथ सॉफ्ट होने चाहिए ताकि आसपास लगे फील्डर के पास गेंद नहीं जानी चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में कुछ इस ढंग से स्पिन खेलकर आप अच्छे स्पिनर का सामना कर सकते हैं।

लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा

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माई कैरियर व्यू कप अंडर-13 क्रिकेट टूर्नामेंट का खिताब बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी ने किया अपने नाम

पटना, 29 जून। बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी ने माई कैरियर व्यू अंडर-13 क्रिकेट टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया है। फाइनल में बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी ने सुदर्शन इलेवन को 70 रन से पराजित किया।

सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला कृष्णा क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया। टॉस सुदर्शन इलेवन ने जीता और बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी को बैटिंग का न्योता दिया। बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी ने पहले बैटिंग करते हुए निर्धारित 21 ओवर में 7 विकेट पर 148 रन बनाये। आदित्य राज ने 75 रन और सौभाग्य मिश्रा ने 30 रन की पारी खेली। विराट ने 3 विकेट चटकाये।

जवाब में सुदर्शन इलेवन की टीम 17.1 ओवर में 78 रन पर ऑल आउट हो गई। विनय कुमार ने 17 रन बनाये। अभिज्ञान और आदित्य राज ने 3-3 विकेट चटकाये। विजेता टीम के आदित्य राज को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया। मैच के अंपायर बैजनाथ प्रसाद, आर्यन राज थे जबकि स्कोरर हिमांशु कुमार थे।

खिलाड़ियों को पटना की उपमेयर श्रीमती रेशमी चंद्रवंशी, बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी, वार्ड पार्ष इंद्रदीप चंद्रवंशी ने पुरस्कृत किया। सबों का स्वागत फाउंडेशन के महासचिव नवीन कुमार ने किया जबकि धन्यवाद व्यक्त संस्थापक संतोष तिवारी ने किया।

टूर्नामेंट के हीरो
मैन ऑफ द टूर्नामेंट : आदित्य राज (बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी)
बेस्ट बैटर : युवराज (बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी)
बेस्ट बॉलर : पुष्कर (बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी)
बेस्ट कीपर : अनुराग राणा (बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी)
बेस्ट फील्डर : विनय (सुदर्शन इलेवन)

संक्षिप्त स्कोर
बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी : 21 ओवर में 7 विकेट पर 148 रन, सौभाग्य मिश्रा 30, आदित्य राज 75, प्रिंस कुमार 10, अतिरिक्त 11, विनय कुमार 2/25,आदर्श राज 2/32, विराट 3/14! सुदर्शन इलेवन : 17.1 ओवर में 78 रन पर ऑल आउट, आयुष्मान जैन 17, दीपक 12, विनय कुमार 17, अतिरिक्त 12, पुष्कर 2/14, अमृत कमल 1/13, अभिज्ञान 3/14, आदित्य राज 3/8

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KCA ने सुपर ओवर को 76 रनों से हराया, आयुष बने मैन ऑफ द मैच

Destiny International School, Patna में चल रहे अंडर-14 टूर्नामेंट के रोमांचक मुकाबले में KCA ने Super Over टीम को 76 रनों से करारी शिकस्त दी। KCA ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला लिया और निर्धारित 20 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 223 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।

KCA की ओर से अशीष ने 69 रन (51 गेंदों में, 14 चौके) की शानदार पारी खेली, वहीं प्रेेम ने तेज़तर्रार 48 रन (27 गेंदों में, 6 चौके, 1 छक्का) बनाकर टीम को मज़बूत शुरुआत दी। Super Over की ओर से गेंदबाज़ी में अयान ने 4 ओवर में 39 रन देकर 3 विकेट चटकाए और प्रभावित किया।

लक्ष्य का पीछा करते हुए Super Over की टीम दबाव में नज़र आई और पूरी टीम 19.5 ओवरों में 147 रन पर सिमट गई। वेदांत ने 33 रन (29 गेंदों में) और यश ने 31 रन (21 गेंदों में) की संघर्षपूर्ण पारियाँ खेलीं, लेकिन टीम को जीत की ओर ले जाने में नाकाम रहे।

KCA के गेंदबाज़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। आयुष ने 4 ओवर में मात्र 22 रन देकर 3 विकेट झटके और विरोधी बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी। वहीं प्रेम ने भी 2.5 ओवर में 16 रन देकर 2 विकेट हासिल किए। इस मुकाबले में बेहतरीन गेंदबाज़ी के लिए आयुष को ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया।

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टर्निंग प्वायंट कप अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची वैष्णवी इलेवन और गोल क्रिकेट एकडेमी

पटना: सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के तत्वावधान में खेले जा रहे टर्निंग प्वायंट कप अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में  वैष्णवी इलेवन का मुकाबला गोल क्रिकेट एकेडमी से होगा। कृष्णा क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए सेमीफाइनल मुकाबमले में वैष्णवी इलेवन ने लक्ष्य क्रिकेट एकेडमी को 1 रन जबकि गोल क्रिकेट एकेडमी ने बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी को 57 रन से हराया।

पहला सेमीफाइनल
पहले सेमीफाइनल में वैष्णवी इलेवन ने टॉस जीत कर पहले बैटिंग करते हुए 25 ओवर में 9 विकेट पर 167 रन बनाये। वैभव राज ने 65 रन की पारी खेली। लक्ष्य क्रिकेट एकेडमी की ओर से अनिरुद्ध राज ने 4 विकेट चटकाये। जवाब में लक्ष्य क्रिकेट एकेडमी की टीम 25 ओवर में नौ विकेट पर 166 रन ही बना सकी और 1 रन से मैच हार गई। शामू ने 47 और अंकुश राज ने 45 रन की पारी खेली। लक्ष्य क्रिकेट एकेडमी को अंतिम ओवर में जीत के लिए पांच रन चाहिए थे पर करण की बेहतरीन गेंदबाजी के आगे उनके बैटर नहीं चले। मात्र तीन रन बने और दो विकेट भी गिर गए। विजेता टीम के वैभव राज (65 रन, 1 विकेट) को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

संक्षिप्त स्कोर
वैष्णवी इलेवन : 25 ओवर में नौ विकेट पर 167 रन, आयुष्मान जैन 23, वैभव राज 65, करण कुमार 30, उज्ज्वल उजाला नाबाद 14, विनय कुमार 10, राहुल राठौर 1/22, हिमांशु कुमार 2/14, रौशन 1/23, स्मिता गौरव 1/32, अनिरुद्ध राज 4/33! लक्ष्य क्रिकेट एकेडमी : 25 ओवर में नौ विकेट पर 166 रन, लक्ष्य 13, अर्श 12, शामू 47, अंकुश 45, अतिरिक्त 24, विनय कुमार 2/33, पीयूष कुमार 1/27, करण कुमार 1/26, वैभव राज 1/29,

दूसरा सेमीफाइनल
दूसरे सेमीफाइनल में टॉस जीत कर पहले बैटिंग करते हुए गोल क्रिकेट एकेडमी ने 20.2 ओवर में सभी विकेट खोकर 186 रन बनाये। मधुकांत पांडेय ने 64 रन की पारी खेली। जवाब में बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी की टीम 21 ओवर में नौ विकेट पर 129 रन पर ऑल आउट हो गई। विजेता टीम के अरसलान खान (25 रन, 2 विकेट) को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

संक्षिप्त स्कोर
गोल क्रिकेट एकेडमी : 20.2 ओवर में 186 रन पर ऑल आउट, कुमार रोहित 36, अरसलान खान 25, शुभम कुमार सिंह 17, मधुकांत पांडेय 64, सचिन यादव 17, अंकित 12, अभिज्ञान 2/41, युवराज 1/35, मिहिर कुमार 1/25, प्रिंस कुमार 2/21, आदित्य राज 2/16! बसावन पार्क क्रिकेट एकेडमी : 21 ओवर में नौ विकेट पर 129 रन, युवराज 31, अभिषेक यादव 14, आयुष सिन्हा 11, प्रिंस कुमार 18, अंकित मंडल 19,अतिरिक्त 21, सचिन यादव 129, अमन राज 228, अरसलान खान 2/26, अभिजीत सिंह 2/2, मोहम्मद फैसल 1/13

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कासा पिकोला क्रिकेट गुरु सम्मान समारोह अब 4 जुलाई को, अवधेश शर्मा मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित होंगे क्रिकेट प्रशिक्षक

पटना: सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन द्वारा अपने 25वें सालगिरह के अवसर पर आयोजित सरदार पटेल स्कूली क्रिकेट फेस्टिवल के अंतर्गत क्रिकेट गुरुओं को 28 जून को स्थानीय कासा पिकोला रेस्टूरेंट में होने वाले कासा पिकोला क्रिकेट गुरु सम्मान समारोह की तिथि विस्तारित कर दी गई है। यह कार्यक्रम अब 4 जुलाई को आयोजित किया जायेगा।

यह जानकारी देते हुए कासा पिकोला रेस्टूरेंट के प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा और माई कैरियर व्यू के निदेशक सुनील कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि इस सम्मान समारोह में अवधेश शर्मा स्मृति अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। इन दोनों ने कहा कि इस अवसर पर अपनी लेखनी के द्वारा बिहार के खेल के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले खेल पत्रकारों को भी सम्मानित किया जायेगा।

राजेश शर्मा ने कहा कि क्रिकेट गुरुओं को स्व. अवधेश शर्मा के नाम पर दिया जायेगा। स्व. अवधेश शर्मा समाजसेवी थे और खेलों को बढ़ावा देने के लिए वे हमेशा सक्रिय रहते थे। उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी सामाजिक मूल्यों को समझते हुए अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत बिहार में खेल को बढ़ाने के लिए कार्य करती है। इसके तहत कई स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट कराये जा चुके है। यह कार्य भी उसी कड़ी का एक हिस्सा है।

माई कैरियर व्यू के निदेशक सुनील कुमार ने कहा कि सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन राज्य में खेल खासकर क्रिकेट को ग्रासरुट से बढ़ाने का काम करती है। हमारी कंपनी भी इस नेक कार्य का एक भागीदार है। उन्होंने कहा कि गुरुओं का सम्मान करना बड़ी बात है।

किसी के जीवन में गुरू का होता है सबसे महत्वपूर्ण योगदान
सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के संस्थापक संतोष तिवारी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में कोई आगे बढ़ता है तो उसका एक गुरु होता है। क्रिकेट भी उसका एक पार्ट है और हमारी संस्था ने फैसला लिया है कि क्रिकेट गुरुओं को सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें केवल वैसे प्रशिक्षक ही नहीं शामिल होंगे जो एकेडमी चलाते हैं बल्कि उन्हें भी शामिल किया जायेगा जो इन एकेडमी या उससे हट कर खिलाड़ियों को तरासने में मदद करते हैं।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन स्कूली स्तर पर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। इसके तहत हर आयु वर्गों के टूर्नामेंटों का आयोजन इस स्कूली क्रिकेट फेस्टिवल के दौरान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन अब ग्रामीण स्तर पर स्कूली क्रिकेट का बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। इसी कड़ी ग्रामीण स्कूली क्रिकेट लीग कराया जायेगा।

फाउंडेशन ने बिहार में जिंदा रखा क्रिकेट
उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने बिहार में क्रिकेट को उस समय जिंदा रखा जिस समय यहां क्रिकेट का माहौल तो जरूर था पर खिलाड़ियों को मैच नहीं मिलते थे क्योंकि बीसीसीआई की ओर से मान्यता नहीं थी। मोइनुल हक स्टेडियम जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में फाउंडेशन कईयों स्कूली टूर्नामेंट का आयोजन किये। इसका परिणाम है कि वर्तमान समय में बिहार की ओर से सीनियर से लेकर आयु वर्गों के टूर्नामेंटों में खेलने वाले कई खिलाड़ी हमारे टूर्नामेंट की उपज हैं।

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