AFG vs NZ Test: ग्रेटर नोएडा का शहीद विजय सिंह पथिक खेल परिसर क्रिकेट की दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मैच लगातार दूसरे दिन शुरू नहीं हो सका, और अब इसका भविष्य मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।
बीसीसीआई ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम और कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम जैसे विकल्प दिए थे, लेकिन अफगानिस्तान ने ग्रेटर नोएडा को इसलिए चुना क्योंकि उनके खिलाड़ी इस स्थल से परिचित थे और खर्च भी कम था। इस वजह से बीसीसीआई की इस मैच में कोई भूमिका नहीं है और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अंतरराष्ट्रीय मानकों की सुविधाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर है।
स्टेडियम की वर्तमान स्थिति की वजह से पहले दो दिनों में खेल शुरू नहीं हो सका, और मंगलवार शाम की भारी बारिश ने तीसरे दिन के खेल की संभावना को भी संदेह में डाल दिया है। मैदान की गीली आउटफील्ड, जल निकासी की कमी और सुपर सॉपर की अनुपस्थिति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
आईसीसी की नई ‘पिच और आउटफील्ड मॉनिटरिंग प्रक्रिया’ के तहत, मैच रेफरी श्रीनाथ को पिच और आउटफील्ड की रिपोर्ट आईसीसी के सीनियर क्रिकेट संचालक को भेजनी होगी। इस रिपोर्ट में अंपायरों और दोनों टीमों के कप्तानों की टिप्पणियां भी शामिल होंगी। अगर पिच और आउटफील्ड को असंतोषजनक पाया गया, तो स्टेडियम को डिमेरिट अंक मिल सकते हैं।
यदि ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को छह या उससे अधिक डिमेरिट अंक मिलते हैं, तो उसे 12 महीने तक अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेज़बानी से निलंबित किया जा सकता है। हालांकि, एक मैच के लिए अधिकतम तीन डिमेरिट अंक ही दिए जा सकते हैं, और स्टेडियम को निलंबित करने के लिए एक और ऐसे मैच की आवश्यकता होगी।
अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सामने चुनौती यह है कि वे अपने खिलाड़ियों और दर्शकों को एक उपयुक्त स्थल सुनिश्चित करें। वहीं, स्थानीय अधिकारियों और बीसीसीआई की मदद के बिना स्टेडियम में बड़े पैमाने पर सुधार करना मुश्किल होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ग्रेटर नोएडा स्टेडियम की समस्याओं को कैसे संबोधित करता है और क्या वे भविष्य में इस स्थल पर मैचों की मेज़बानी जारी रखने का निर्णय लेते हैं।