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Opinion: 4-1 से सीरीज जीतने के बाद भी कुछ सवालों ने किया परेशान, घर में ही स्पिनर्स के सामने टिक नहीं पा रहे हैं भारतीय बल्लेबाज, जानें कहां चूक रहे हैं बल्लेबाज…

Opinion: भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-1 से सीरीज को अपने नाम किया। इस टेस्ट सीरीज को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए दावेदारी मजबूत कर दी। लगातार दो बार विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप का फाइनल खेलने के बाद टीम इंडिया इस बार भी टेस्ट चैंपिशनशिप फाइनल खेलने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस सीरीज को भारतीय टीम ने भले ही 4-1 से अपने नाम कर लिया हो लेकिन इस टेस्ट सीरीज और पिछले कुछ सालों में घर पर खेले गए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की एक कमी तेजी से उजागर हुई है।

ऐसी कमी उजागर हुई है जिसमें कभी भारतीय टीम को महारत हासिल थी। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम स्पिन खेलने में फिसड्डी साबित हुई है। भारतीय टीम को भारत में ही स्पिन खेलने में अब परेशानी होने लगी है। जबकि पहले यही भारतीय टीम के जीत का मंत्रा था। विदेशी टीमें के खिलाफ स्पिन ट्रैक तैयार करके उनके चारों खाने चित कर देते थे। अब ऐसा हो गया है कि विदेशी टीमें भारत का दौरा करती है तब दो-तीन अच्छे स्पिनर को शामिल कर भारतीय टीम को परेशान कर देती है। यहां आने के बाद उनके एवरेज गेंदबाज भी शानदार गेंदबाज बन जाते हैं।

जबकि पहले भारतीय टीमों ने घरेलू और उपमहाद्वीपीय परिस्थतियों में स्पिन के अनुकूल पिचों में शानदार बल्लेबाजी की है। हालांकि अभी वर्तमान में भारतीय टीम स्पिन का सामना करने में पूरी तरह से जुझते नजर आती हैं। भारतीय टीम की गेंदबाजी भारत में शुरू से ही बेहतरीन रही है। अभी यह और मजबूत हो गई है जबकि बल्लेबाजी में स्पिन खेलने की कला में कमी देखने को मिली है।

70 के दशक में भारत की स्पिन चौकड़ी

भारतीय टीम जो कभी 70 के दशक में अपनी स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को परेशान किया करते थी। वहीं आज के समय में हमारे बल्लेबाज परेशान हो जाते हैं। 70 के दशक में इराप्पल्ली प्रसन्ना, बीएस चन्द्रशेखर, वेंकट राघवन और बिशन सिंह बेदी की प्रसिद्ध चौकड़ी थी, जो भारतीय पिचों पर विदेशी टीमों के खिलाफ हावी रहती थी। इन लोगों ने विदेशी बल्लेबाजों के मन में इतना डर बना दिया था कि भारत का दौरा करने वाली टीमें एक महीना पहले से ही स्पिन खेलने का अभ्यास शुरू कर देती थी लेकिन फिर भी इनकी चौकड़ी बल्लेबाजों को कुछ खास करने का मौका नहीं देती थी।

उसके बाद 1980 से लेकर 2010 तक भारतीय टीम के पास ऐसे बल्लेबाज थे जो भारत में ही नहीं बाहर भी जाकर अपनी छाप छोड़ी। कुछ ऐसे बल्लेबाज भी थे, जिन्हें घर पर स्पिन खेलने में महारत हासिल थी और अगर विदेश का दौरा करे तो स्विंग और पेस खेलने में भी माहिर थे। उस दौरान भारत में कई ऐसे दिग्गज स्पिनर भी आएं, जिन्होंने पूरी दूनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के आगे नतमस्तक हो गए। शेन वार्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक कई ऐसे दिग्गज भी आएं लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने उन दिग्गज स्पिनरों का डटकर सामना किया और स्पिन खेलने की कला भी दुनिया को दिखाई।

हमारी ताकत ही बनी कमजोरी

आखिरी पिछले कुछ समय में ऐसा क्या हो गया कि जो हमारी ताकत थी, वही हमारी कमजोरी बन गई। भारतीय खिलाड़ी जो स्पिन के अनुकूल पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं लेकिन आज वही बल्लेबाज स्पिन का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं। जहां विकेट खराब होने लगती है भारतीय टीम के बल्लेबाजों के पांव क्रीज पर जमते ही नहीं हैं। समय के साथ भारतीय खिलाड़ियों का स्पिन खेलने के लिए जो तकनीक होनी चाहिए, वो धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। अब महेमान टीम को जितना मुश्किल स्पिन खेलने में होती है उतना ही मुश्किल भारतीय टीम को भी स्पिन का सामना करने में होती है।

स्पिन के खिलाफ क्यों संघर्ष कर रहे हैं बल्लेबाज

भारतीय पिचों पर स्पिनरों को खासा फायदा मिलता है। यहां स्पिनरों को विकेट से काफी मदद मिलती है, जिसके कारण भारत में स्पिनर ज्यादा करागर साबित होते हैं। जैसे-जैसे विकेट टूटने लगती है स्पिनरों को टर्न के साथ अधिक उछाल भी मिलने लगती है। अगर गेंदबाज गेंद को ड्रिफ्ट करवाना जानते हैं तब तो बल्लेबाजों को ऐसे गेंदबाज का सामना करने में ज्यादा ही कठिनाई आती है। क्योंकि ऐसे गेंदबाज पिच से अधिक फायदा लेने में कामयाब रहते हैं और बल्लेबाजों को खूब परेशान करते हैं।

भारत में विकेट सूखी और धीमी होती है साथ ही साथ विकेट में असमतल उछाल के साथ गेंद भी तेजी से टर्न होता है। ऐसी विकेटों पर खेलने के लिए बल्लेबाजों को अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है। जिसके लिए बल्लेबाजों को स्पिन खेलने की कला बखूबी आनी चाहिए। स्पिन खेलने में परेशानी के कारण बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण भी स्पिनर्स बल्लेबाजों पर हावी हो जाते हैं। जब कोई एक बल्लेबाज ओवर की 6 गेंदें खुद खेलता है तब उसके आउट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता था कि आप स्ट्राइक रोटेट करते रहें जिससे गेंदबाज को परेशानी हो, बल्लेबाज को नहीं।

विदेशी स्पिनर ने किया परेशान

पिछले 10-15 सालों में भारत में डेब्यू करने वाले विदेशी स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत का दौरा करने आई थी तब जेसन क्रेजा ने अपने डेब्यू मुकाबले के पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए थे। उसके बाद से विदेशी स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर हावी होने लगे। अगर ऑस्ट्रेलिया के स्टीव ओ कैफी की बात करें तो उन्होंने 2021 में भारत का दौरा करते हुए दोनों पारी में 6-6 विकेट लिए थे। वहीं मैट कुहनैमन ने 5 विकेट लेकर भारतीय टीम को बता दिया था कि स्पिन खेलने की कला अब आपके पास उतनी अच्छी नहीं रही।

उसके बाद न्यूजीलैंड के एजाज पटेल ने एक पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी भारत के खिलाफ भारत में ही किया। उन्होंने उस मैच में कुल 14 विकेट चटकाए। वहीं टॉड मर्फी ने 2023 में डेब्यू करते हुए एक पारी में 5 विकेट चटकाए। अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले ही मैच में टॉम हर्टली ने डेब्यू करते हुए एक पारी में 7 विकेट चटकाए। उसके बाद शोएब बशीर ने इस टेस्ट सीरीज के चौथे और पांचवें मुकाबले में पांच-पांच विकेट चटकाए। इस सीरीज में इंग्लैंड के टॉम हार्टली ने कुल 22 विकेट चटकाए। इन 10-15 सालों में विदेशी स्पिनर ने भारत में आकर भारतीय टीम को ही परेशान किया है।

बल्लेबाज तकनीक पर नहीं कर पाते हैं काम

अब सालभर लगातार ही पूरे विश्व में क्रिकेट खेला जाता है। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेटरों को अपनी कमियों पर काम करने का मौका भी बहुत कम मिलता है। अब जो भारतीय क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने लगते है वो घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। जिस कारण से उन्हें घरेलू गेंदबाज या स्पिनर को खेलने का कम मौका मिलता है। इसके अलावा अब बल्लेबाज गेंदबाज के साथ कम और बॉलिंग मशीन के साथ ज्यादा दिखते हैं। बॉलिंग मशीन के साथ बल्लेबाज घंटों अभ्यास करते हैं। वहीं लगातार क्रिकेट होने के कारण सीमित ओवरों में बल्लेबाज स्पिनर पर ज्यादा अटैकिंग रुख अपनाते हैं और रन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। फील्ड रिस्ट्रिक्शन होने के कारण बल्लेबाजों की कमियों का पता नहीं चलता है। जैसे ही यही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं उनकी कमियां साफ नजर आने लगती है।

गेंदबाज भी अब पहले जितना अभ्यास नहीं करते हैं। तीन फॉर्मेट में अपने आप फिट रखने के लिए गेंदबाज नेट में भी काफी कम समय व्यतीत करते हैं। जिस कारण से भी बल्लेबाजों को अपनी कमियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है। लगातार मैचेज के कारण गेंदबाज अब ज्यादातर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं। जिससे वो ज्यादा से मैच खेल पाएं। इस कारण से अब ज्यादातर बल्लेबाजों को नेट गेंदबाज ही अभ्यास कराते नजर आते हैं।

घरेलू क्रिकेट में स्पिनर अब उतने करागर नहीं

अब बात यह भी है कि अब घरेलू क्रिकेट में उतने अच्छे स्पिनर भी नहीं रह गए हैं जो बल्लेबाजों को ज्यादा परेशान कर सके। पहले घरेलू क्रिकटे में एक से बढ़कर एक स्पिनर हुआ करते थे। जो इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट को भी तवज्जो देते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब लगातार मैचेज रहने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेटर घरेलू में शामिल नहीं हो पाते है जिस कारण से अब बल्लेबाजों को क्वालिटी के स्पिनर नहीं मिलते हैं। इस कारण से भी अब घरेलू क्रिकेट में स्पिनर उतने करागर साबित नहीं होते हैं। अच्छे स्पिनर के नहीं होने के कारण बल्लेबाजों की कमियां नजर नहीं आती है।

स्पिन खेलने की बढ़िया तकनीक क्या है…

स्पिन को खेलने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आपके कदम चलते रहें। आप फ्रंटफूट और बैकफूट का इस्तेमाल अच्छे ढंग से करें। कुछ बल्लेबाज टर्न कम करने के लिए निकलकर खेलते है और कुछ बल्लेबाज गेंद को टर्न होने के बाद खेलना पंसद करते हैं। अगर आप ऐसे स्पिन को खेलोंगे तब सफलता आपको मिलेगी। स्पिनर के खिलाफ अगर आप फंस गए तब गेंदबाज आपको निश्चित तौर पर आउट कर देगा। इसके अलावा आपके हाथ सॉफ्ट होने चाहिए ताकि आसपास लगे फील्डर के पास गेंद नहीं जानी चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में कुछ इस ढंग से स्पिन खेलकर आप अच्छे स्पिनर का सामना कर सकते हैं।

लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा

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विमला देवी मेमोरियल अंडर-12 इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट: ट्रैम्फेंट सीसी बना चैंपियन

पटना, 11 नवंबर: ट्रैम्फेंट क्रिकेट क्लब ने विमला देवी मेमोरियल अंडर-12 इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट का खिताब जीत लिया है। फाइनल मुकाबले में ट्रैम्फेंट क्रिकेट क्लब ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी को 26 रन से पराजित किया।

सीएबी क्रिकेट अकादमी ग्राउंड, पटना पर खेले गए मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए ट्रैम्फेंट सीसी ने 21 ओवर में 146 रन बनाए। टीम की ओर से रोबाब कुरैशी ने 39 रन, आकर्ष राज ने 30 रन और प्रियांशु जेएस ने 17 रन का योगदान दिया। जवाब में ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी की टीम 120 रन पर सिमट गई।

प्रियांशु जेएस ने शानदार गेंदबाजी करते हुए पांच ओवर में 27 रन देकर चार विकेट चटकाए और टीम को जीत दिलाई। मयंक कुमार ने भी तीन विकेट लेकर अहम भूमिका निभाई। ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी की ओर से अमन कुमार ने मात्र 25 गेंदों में 52 रनों की आतिशी पारी खेली, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके।फाइनल मुकाबले के बाद आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर अतिथि बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मृत्युंजय तिवारी, हरिशंकर रवि (एनएसडी स्नातक एवं नेशनल अवार्डी), छोटे लाल सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता), विनोद कुमार सिंह (समाजसेवी), सुनील कुमार (समाजसेवी) और राकेश कुमार चंद्रवंशी (समाजसेवी) खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय उद्घोषक मृत्युंजय झा ने किया जबकि स्कोरिंग की जिम्मेदारी हिमांशु ने निभाई। अंपायर राजेश रंजन और बैजनाथ प्रसाद थे। सबों का स्वागत और धन्यवाद व्यक्त आयोजक संस्था के संस्थापक सचिव संतोष तिवारी ने किया।

पुरस्कार वितरण में प्लेयर ऑफ द फाइनल का खिताब ट्रैम्फेंट सीसी के प्रियांशु जेएस को दिया गया। प्रोमिसिंग प्लेयर के रूप में सीएबी के राहुल और एस. सुमन को सम्मानित किया गया। ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी के आदित्य राज को बेस्ट फील्डर, करुणा एससी के अभिनव आर्या को बेस्ट विकेटकीपर और सीएबी के शुभम कुमार को बेस्ट बॉलर चुना गया। बीआईओसी के प्रियांशु को बेस्ट बैट्समैन और ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी के शिवम कुमार को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के सम्मान से नवाजा गया।

संक्षिप्त स्कोर
ट्रैम्फेंट सीसी : 21 ओवर में 8 विकेट पर 146 रन, आकर्ष राज 30, रोबाब कुरैशी 39, प्रियांशु जेएस 17,श्रियांश 14, दक्ष पांडेय 13, अतिरिक्त 20, अंशुमान कुमार 2/29, शिवम 2/25, अमन कुमार 1/32, आयुष रंजन 1/7.
ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी : 20.5 ओवर में सभी विकेट खोकर 120 रन, आयुष्मान जैन 18, प्रभु ए प्रसाद 11, अमन कुमार 52, अतिरिक्त 17, राहुल 1/17, आदर्श 1/17, मयंक कुमार 3/13, प्रियांशु जेएस 4/27

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पटना में 9वीं सीनियर नेशनल गेम के लिए ट्रायल का आयोजन, राज्यभर के खिलाड़ियों ने दिखाया दम

पटना: पटना कॉलेजिएट मैदान में टेनिस क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के तत्वावधान में 9वीं सीनियर नेशनल गेम के लिए ट्रायल का आयोजन किया गया। इस ट्रायल में बिहार के विभिन्न जिलों से आए दर्जनों प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और अपने खेल का शानदार प्रदर्शन किया।

ट्रायल के माध्यम से चयनित खिलाड़ियों को आगामी सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। यह चैंपियनशिप मथुरा (उत्तर प्रदेश) में आयोजित की जाएगी।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में टेनिस क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के तकनीकी अध्यक्ष मोहम्मद तौसीफ अहमद उपस्थित रहे। आयोजन के दौरान संघ के सचिव रंजीत राज, उपसचिव अमोल कुमार मिश्रा, सदस्य अभिनव गिरी, सुजल कुमार एवं अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। संघ के पदाधिकारियों ने खिलाड़ियों को आगामी चैंपियनशिप के लिए शुभकामनाएं दीं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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विमला देवी मेमोरियल अंडर-12 इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में ट्रैम्फेंट सी.सी सेमीफाइनल में पहुंची

पटना, 9 नवंबर: विमला देवी मेमोरियल अंडर-12 इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ट्रैम्फेंट सीसी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 22 यार्ड्स को 99 रनों से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया।

क्रिकेट एकेडमी ऑफ बिहार (सीएबी) ग्राउंड पर खेले गए मुकाबले में टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए ट्रैम्फेंट सी.सी. ने 21 ओवर में 5 विकेट पर 178 रन बनाए। टीम की ओर से कप्तान आकर्ष राज ने शानदार 65 रन (52 गेंद, 8 चौके, 3 छक्के) की पारी खेली जबकि स्पर्श ने 30 और आदित्य राज ने मात्र 10 गेंदों पर तेज़ 25 नाबाद रन बनाए।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी 22 यार्ड्स की टीम निर्धारित समय के अंदर 20.5 ओवर में 7 विकेट पर सिर्फ 79 रन ही बना सकी। ट्रैम्फेंट सीसी की ओर से स्पर्श ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए 4 ओवर में मात्र 12 रन देकर 3 विकेट झटके। वहीं राहुल और आदर्श को 1-1 सफलता मिली। इस जीत के साथ ट्रैम्फेंट सी.सी. ने सेमीफाइनल में जगह बना ली है। विजेता टीम के स्पर्श को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।आयोजक संस्था सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के संस्थापक सचिव संतोष तिवारी ने बताया कि सोमवार यानी 10 नवंबर को सुबह 7:30 से बीआईओसी बनाम ट्रैम्फेंट क्रिकेट एकेडमी और 11 बजे से क्रिकेट एकेडमी ऑफ बिहार बनाम ईशान किशन क्रिकेट एकेडमी सेमीफाइनल मुकाबला खेला जायेगा।

संक्षिप्त स्कोर
ट्रैम्फेंट सीसी : 21 ओवर में 5 विकेट पर 178 रन, आकर्ष राज 65, अभिजीत राज 13, स्पर्श 30, कर्तव्य 15, आदित्य राज नाबाद 25, दक्ष पांडेय नाबाद 10, अतिरिक्त 13, अविनाश 1/36, उज्ज्वल यादव 2/39, मोहम्मद आसिफ लेगी 1/24
22 याड्र्स : 20.5 ओवर में 7 विकेट पर 79 रन, मोहम्मद आसिफ लेगी 20, लक्की 16, आयुष यादव 18, अतिरिक्त 13, राहुल 1/11, आदर्श 1/11, स्पर्श 3/12, आकर्ष राज 1/8

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पटना में 23 नवंबर को होगा सबुज तिवारी मेमोरियल सम्मान समारोह

पटना, 7 नवंबर। सरदार पटेल स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान में समाजसेविका स्व. सबुज तिवारी की पुण्यतिथि के अवसर पर आगामी 23 नवंबर को एक भव्य खेल सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन की जानकारी फाउंडेशन के महासचिव नवीन कुमार ने दी।

उन्होंने बताया कि इस सम्मान समारोह का उद्देश्य समाजसेवा और खेलों के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित करना है। कार्यक्रम में पटना के सीनियर और उदीयमान क्रिकेटरों, क्रिकेट प्रमोटरों तथा खेल पत्रकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।

इसके साथ ही इस दौरान जल्द ही आयोजित होने वाले संपन्न सबुज तिवारी मेमोरियल चार दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट के विजेता और उपविजेता टीमों के खिलाड़ियों को भी इस अवसर पर ट्रॉफी, मेडल और प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत किया जाएगा। फाउंडेशन के अनुसार, समारोह का आयोजन पूरी गरिमा और पारंपरिक खेल भावना के साथ किया जाएगा।

महासचिव ने बताया कि स्व. सबुज तिवारी, संस्था के संस्थापक संतोष तिवारी की माताजी थीं। उन्होंने कहा कि सबुज तिवारी हमारे लिए प्रेरणास्रोत रही हैं। उन्होंने न केवल अपने जीवन में सामाजिक मूल्यों को जिया, बल्कि दूसरों की मदद करने की भावना को हमेशा प्राथमिकता दी। उनके जाने के बाद भी हम उनकी स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने के लिए हर वर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि सबुज तिवारी की याद में आयोजित यह सम्मान समारोह खेल और समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रेरणा देने का काम करेगा।

समारोह का आयोजन पटना में आयोजित होगा, जिसका स्थल और समय जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। कार्यक्रम में शहर के कई खेल हस्तियों, पत्रकारों, क्रिकेट प्रशिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना है। संस्था का उद्देश्य न केवल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है, बल्कि खेल और समाजसेवा के समन्वय से एक सकारात्मक संदेश देना भी है।

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