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Opinion: 4-1 से सीरीज जीतने के बाद भी कुछ सवालों ने किया परेशान, घर में ही स्पिनर्स के सामने टिक नहीं पा रहे हैं भारतीय बल्लेबाज, जानें कहां चूक रहे हैं बल्लेबाज…

Opinion: भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-1 से सीरीज को अपने नाम किया। इस टेस्ट सीरीज को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए दावेदारी मजबूत कर दी। लगातार दो बार विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप का फाइनल खेलने के बाद टीम इंडिया इस बार भी टेस्ट चैंपिशनशिप फाइनल खेलने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस सीरीज को भारतीय टीम ने भले ही 4-1 से अपने नाम कर लिया हो लेकिन इस टेस्ट सीरीज और पिछले कुछ सालों में घर पर खेले गए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की एक कमी तेजी से उजागर हुई है।

ऐसी कमी उजागर हुई है जिसमें कभी भारतीय टीम को महारत हासिल थी। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम स्पिन खेलने में फिसड्डी साबित हुई है। भारतीय टीम को भारत में ही स्पिन खेलने में अब परेशानी होने लगी है। जबकि पहले यही भारतीय टीम के जीत का मंत्रा था। विदेशी टीमें के खिलाफ स्पिन ट्रैक तैयार करके उनके चारों खाने चित कर देते थे। अब ऐसा हो गया है कि विदेशी टीमें भारत का दौरा करती है तब दो-तीन अच्छे स्पिनर को शामिल कर भारतीय टीम को परेशान कर देती है। यहां आने के बाद उनके एवरेज गेंदबाज भी शानदार गेंदबाज बन जाते हैं।

जबकि पहले भारतीय टीमों ने घरेलू और उपमहाद्वीपीय परिस्थतियों में स्पिन के अनुकूल पिचों में शानदार बल्लेबाजी की है। हालांकि अभी वर्तमान में भारतीय टीम स्पिन का सामना करने में पूरी तरह से जुझते नजर आती हैं। भारतीय टीम की गेंदबाजी भारत में शुरू से ही बेहतरीन रही है। अभी यह और मजबूत हो गई है जबकि बल्लेबाजी में स्पिन खेलने की कला में कमी देखने को मिली है।

70 के दशक में भारत की स्पिन चौकड़ी

भारतीय टीम जो कभी 70 के दशक में अपनी स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को परेशान किया करते थी। वहीं आज के समय में हमारे बल्लेबाज परेशान हो जाते हैं। 70 के दशक में इराप्पल्ली प्रसन्ना, बीएस चन्द्रशेखर, वेंकट राघवन और बिशन सिंह बेदी की प्रसिद्ध चौकड़ी थी, जो भारतीय पिचों पर विदेशी टीमों के खिलाफ हावी रहती थी। इन लोगों ने विदेशी बल्लेबाजों के मन में इतना डर बना दिया था कि भारत का दौरा करने वाली टीमें एक महीना पहले से ही स्पिन खेलने का अभ्यास शुरू कर देती थी लेकिन फिर भी इनकी चौकड़ी बल्लेबाजों को कुछ खास करने का मौका नहीं देती थी।

उसके बाद 1980 से लेकर 2010 तक भारतीय टीम के पास ऐसे बल्लेबाज थे जो भारत में ही नहीं बाहर भी जाकर अपनी छाप छोड़ी। कुछ ऐसे बल्लेबाज भी थे, जिन्हें घर पर स्पिन खेलने में महारत हासिल थी और अगर विदेश का दौरा करे तो स्विंग और पेस खेलने में भी माहिर थे। उस दौरान भारत में कई ऐसे दिग्गज स्पिनर भी आएं, जिन्होंने पूरी दूनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के आगे नतमस्तक हो गए। शेन वार्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक कई ऐसे दिग्गज भी आएं लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने उन दिग्गज स्पिनरों का डटकर सामना किया और स्पिन खेलने की कला भी दुनिया को दिखाई।

हमारी ताकत ही बनी कमजोरी

आखिरी पिछले कुछ समय में ऐसा क्या हो गया कि जो हमारी ताकत थी, वही हमारी कमजोरी बन गई। भारतीय खिलाड़ी जो स्पिन के अनुकूल पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं लेकिन आज वही बल्लेबाज स्पिन का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं। जहां विकेट खराब होने लगती है भारतीय टीम के बल्लेबाजों के पांव क्रीज पर जमते ही नहीं हैं। समय के साथ भारतीय खिलाड़ियों का स्पिन खेलने के लिए जो तकनीक होनी चाहिए, वो धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। अब महेमान टीम को जितना मुश्किल स्पिन खेलने में होती है उतना ही मुश्किल भारतीय टीम को भी स्पिन का सामना करने में होती है।

स्पिन के खिलाफ क्यों संघर्ष कर रहे हैं बल्लेबाज

भारतीय पिचों पर स्पिनरों को खासा फायदा मिलता है। यहां स्पिनरों को विकेट से काफी मदद मिलती है, जिसके कारण भारत में स्पिनर ज्यादा करागर साबित होते हैं। जैसे-जैसे विकेट टूटने लगती है स्पिनरों को टर्न के साथ अधिक उछाल भी मिलने लगती है। अगर गेंदबाज गेंद को ड्रिफ्ट करवाना जानते हैं तब तो बल्लेबाजों को ऐसे गेंदबाज का सामना करने में ज्यादा ही कठिनाई आती है। क्योंकि ऐसे गेंदबाज पिच से अधिक फायदा लेने में कामयाब रहते हैं और बल्लेबाजों को खूब परेशान करते हैं।

भारत में विकेट सूखी और धीमी होती है साथ ही साथ विकेट में असमतल उछाल के साथ गेंद भी तेजी से टर्न होता है। ऐसी विकेटों पर खेलने के लिए बल्लेबाजों को अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है। जिसके लिए बल्लेबाजों को स्पिन खेलने की कला बखूबी आनी चाहिए। स्पिन खेलने में परेशानी के कारण बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण भी स्पिनर्स बल्लेबाजों पर हावी हो जाते हैं। जब कोई एक बल्लेबाज ओवर की 6 गेंदें खुद खेलता है तब उसके आउट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता था कि आप स्ट्राइक रोटेट करते रहें जिससे गेंदबाज को परेशानी हो, बल्लेबाज को नहीं।

विदेशी स्पिनर ने किया परेशान

पिछले 10-15 सालों में भारत में डेब्यू करने वाले विदेशी स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत का दौरा करने आई थी तब जेसन क्रेजा ने अपने डेब्यू मुकाबले के पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए थे। उसके बाद से विदेशी स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर हावी होने लगे। अगर ऑस्ट्रेलिया के स्टीव ओ कैफी की बात करें तो उन्होंने 2021 में भारत का दौरा करते हुए दोनों पारी में 6-6 विकेट लिए थे। वहीं मैट कुहनैमन ने 5 विकेट लेकर भारतीय टीम को बता दिया था कि स्पिन खेलने की कला अब आपके पास उतनी अच्छी नहीं रही।

उसके बाद न्यूजीलैंड के एजाज पटेल ने एक पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी भारत के खिलाफ भारत में ही किया। उन्होंने उस मैच में कुल 14 विकेट चटकाए। वहीं टॉड मर्फी ने 2023 में डेब्यू करते हुए एक पारी में 5 विकेट चटकाए। अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले ही मैच में टॉम हर्टली ने डेब्यू करते हुए एक पारी में 7 विकेट चटकाए। उसके बाद शोएब बशीर ने इस टेस्ट सीरीज के चौथे और पांचवें मुकाबले में पांच-पांच विकेट चटकाए। इस सीरीज में इंग्लैंड के टॉम हार्टली ने कुल 22 विकेट चटकाए। इन 10-15 सालों में विदेशी स्पिनर ने भारत में आकर भारतीय टीम को ही परेशान किया है।

बल्लेबाज तकनीक पर नहीं कर पाते हैं काम

अब सालभर लगातार ही पूरे विश्व में क्रिकेट खेला जाता है। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेटरों को अपनी कमियों पर काम करने का मौका भी बहुत कम मिलता है। अब जो भारतीय क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने लगते है वो घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। जिस कारण से उन्हें घरेलू गेंदबाज या स्पिनर को खेलने का कम मौका मिलता है। इसके अलावा अब बल्लेबाज गेंदबाज के साथ कम और बॉलिंग मशीन के साथ ज्यादा दिखते हैं। बॉलिंग मशीन के साथ बल्लेबाज घंटों अभ्यास करते हैं। वहीं लगातार क्रिकेट होने के कारण सीमित ओवरों में बल्लेबाज स्पिनर पर ज्यादा अटैकिंग रुख अपनाते हैं और रन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। फील्ड रिस्ट्रिक्शन होने के कारण बल्लेबाजों की कमियों का पता नहीं चलता है। जैसे ही यही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं उनकी कमियां साफ नजर आने लगती है।

गेंदबाज भी अब पहले जितना अभ्यास नहीं करते हैं। तीन फॉर्मेट में अपने आप फिट रखने के लिए गेंदबाज नेट में भी काफी कम समय व्यतीत करते हैं। जिस कारण से भी बल्लेबाजों को अपनी कमियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है। लगातार मैचेज के कारण गेंदबाज अब ज्यादातर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं। जिससे वो ज्यादा से मैच खेल पाएं। इस कारण से अब ज्यादातर बल्लेबाजों को नेट गेंदबाज ही अभ्यास कराते नजर आते हैं।

घरेलू क्रिकेट में स्पिनर अब उतने करागर नहीं

अब बात यह भी है कि अब घरेलू क्रिकेट में उतने अच्छे स्पिनर भी नहीं रह गए हैं जो बल्लेबाजों को ज्यादा परेशान कर सके। पहले घरेलू क्रिकटे में एक से बढ़कर एक स्पिनर हुआ करते थे। जो इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट को भी तवज्जो देते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब लगातार मैचेज रहने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेटर घरेलू में शामिल नहीं हो पाते है जिस कारण से अब बल्लेबाजों को क्वालिटी के स्पिनर नहीं मिलते हैं। इस कारण से भी अब घरेलू क्रिकेट में स्पिनर उतने करागर साबित नहीं होते हैं। अच्छे स्पिनर के नहीं होने के कारण बल्लेबाजों की कमियां नजर नहीं आती है।

स्पिन खेलने की बढ़िया तकनीक क्या है…

स्पिन को खेलने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आपके कदम चलते रहें। आप फ्रंटफूट और बैकफूट का इस्तेमाल अच्छे ढंग से करें। कुछ बल्लेबाज टर्न कम करने के लिए निकलकर खेलते है और कुछ बल्लेबाज गेंद को टर्न होने के बाद खेलना पंसद करते हैं। अगर आप ऐसे स्पिन को खेलोंगे तब सफलता आपको मिलेगी। स्पिनर के खिलाफ अगर आप फंस गए तब गेंदबाज आपको निश्चित तौर पर आउट कर देगा। इसके अलावा आपके हाथ सॉफ्ट होने चाहिए ताकि आसपास लगे फील्डर के पास गेंद नहीं जानी चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में कुछ इस ढंग से स्पिन खेलकर आप अच्छे स्पिनर का सामना कर सकते हैं।

लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा

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Vijay Hazare Trophy: मणिपुर के खिलाफ सकीबुल गनी का ऑलराउंड शो, बिहार की लगातार दूसरी जीत

BCA पटना, 26 दिसंबर 2025: विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy) प्लेट के तहत जेएससीए इंटरनेशनल स्टेडियम कॉम्प्लेक्स, रांची में खेले गए लिस्ट ए मुकाबले में बिहार ने मणिपुर को 15 रनों से पराजित करते हुए महत्वपूर्ण जीत दर्ज की। इस मुकाबले में बिहार ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 284 रन बनाए, जिसके जवाब में मणिपुर की टीम 50 ओवर में 9 विकेट पर 269 रन ही बना सकी।

बिहार की ओर से पारी की शुरुआत करते हुए महरौर ने 83 गेंदों पर 65 रन की प्रभावी पारी खेली, जिसमें 5 चौके और 3 छक्के शामिल रहे। पियूष कुमार सिंह ने 42 गेंदों पर 24 रन बनाए। मध्यक्रम में आकाश राज ने 71 गेंदों पर 75 रन की उपयोगी पारी खेलते हुए पारी को मजबूती दी।

विकेटकीपर आयुष लोहारुका ने 27 गेंदों पर 29 रन जोड़े, जबकि कप्तान एस गनी ने 30 गेंदों पर 31 रन का योगदान दिया। अंतिम ओवरों में बिपिन सौरभ ने 16 गेंदों पर 28 रन बनाकर रन गति को प्रभावी बनाए। निर्धारित 50 ओवर में बिहार ने 11 अतिरिक्त रनों की मदद से 284 रन का स्कोर खड़ा किया। मणिपुर की ओर से गेंदबाजी में बिश्वोरजीत और जोटिन फेरोइजाम ने 3-3 विकेट हासिल किए। किशन सिंघा और अजय सिंह को 1-1 विकेट मिला।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी मणिपुर टीम की शुरुआत संभली हुई रही। कर्नाजीत वाई ने 76 गेंदों पर 45 रन बनाए, जबकि उलेन्याई ख्वाइराकपम ने 78 गेंदों पर 60 रन की पारी खेली। इसके बाद जॉनसन ने 51 गेंदों पर 48 रन और प्रियोजीत के ने 31 गेंदों पर 44 रन बनाकर मुकाबले को रोचक बनाए रखा। हालांकि बिहार के गेंदबाजों ने मध्य और अंतिम ओवरों में प्रभावी नियंत्रण रखते हुए रनगति पर अंकुश लगाया।

बिहार की गेंदबाजी में हिमांशु तिवारी और कप्तान एस गनी सबसे प्रभावी साबित हुए। हिमांशु तिवारी ने 10 ओवर में 45 रन देकर 4 विकेट झटके, जबकि एस गनी ने 9 ओवर में 55 रन देकर 4 विकेट हासिल किए। सुरज कश्यप को 1 विकेट मिला। निर्धारित 50 ओवर में मणिपुर की टीम 9 विकेट पर 269 रन ही बना सकी।

इस तरह बिहार ने 15 रन से मुकाबला अपने नाम किया। इस जीत के साथ बिहार टीम का सामूहिक प्रदर्शन प्रभावी रहा, जिसमें बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विभागों में संतुलन देखने को मिला। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने टीम के इस प्रदर्शन की सराहना करते हुए खिलाड़ियों को आगे के मुकाबलों के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

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कासा पिकोला स्कूल क्रिकेट लीग के तीसरे सेलेक्शन ट्रायल में आए 186 खिलाड़ी

पटना, 26 दिसंबर। टर्निंग प्वायंट द्वारा आयोजित की जाने वाली कासा पिकोला स्कूल क्रिकेट लीग अंडर-15 क्रिकेट के छठे सीजन में खेलने वाली टीमों के गठन के लिए तीसरा सेलेक्शन ट्रायल शुक्रवार यानी 26 दिसंबर को हाई परफॉरमेंस क्रिकेट एकेडमी, फुलवारीशरीफ में आयोजित किया गया।

आयोजन अध्यक्ष सह टर्निंग प्वायंट के निदशेक विजय शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस सेलेक्शन ट्रायल में अंडर-15 और अंडर-12 को मिल कर कुल 186 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। टीमों का चयन सुमन अग्रवाल, रामभगत, रेहान दास गु्प्ता और आर्यन कुमार के द्वारा किया गया।

आयोजन सचिव नवीन कुमार ने बताया कि चौथे सेलेक्शन ट्रायल की तिथि की घोषणा जल्द की जायेगी। अब केवल अंडर-15 का सेलेक्शन ट्रायल होगा।

चयनित खिलाड़ियों के नाम इस प्रकार हैं

अंडर-12: आशीष कुमार, आदित्य कुमार मिश्रा, दिव्यम राज, मौर्या रंजन, अगस्त्या सिंह, पार्थ देव, अवि नारायण, शशांक शेखर, अर्णव कुमार, आर्यन कुमार, सम्राट सिंह, साहिल राज, उत्कर्ष चौबे, दिव्यांशु कुमार, निखिल कुमार, जिज्ञांशु कुमार, वंश कुमार, अर्णव सागर, हरिओम, अनंत कुमार, आदित्य आनंद।

अंडर-15: अंश राज, अभय सिंह, अर्पित लाल, अर्णव अरविंद, यश राज, आशीष, अंशु कुमार, सागर कुमार, अनुभव कुमार, श्रेयस राज, समर यादव, शिवम कुमार, शिवम कुमार, विनय कुमार, आयुष कुमार झा, प्रभाकर परितोष, हर्ष राज, विपुल कुमार, देवराज, शिवम, नैतिक अर्णव,शिवम कुमार रोशन कुमार पीयूष कुमार आदित्य राज अभिमान कुमार साहिल कुमार तेजस यादव मयंक शर्मा आयुष सिंह केयोन विनायक अमित राज आयुष राज ,साहिल शुभम ,आशीष कुमार, अनमोल तिवारी ,शरद सिंह ,अमन कुमार, स्वजीत ,रवींद्र दक्ष ,संकु कुमार ,आर्यन सिंह ,वैभव विलास दयाल, अनिकेत प्रकाश ,दिवांशु राज ,करण स्वयं राज, हर्षदेव, प्रियांक राज, शिवम कुमार

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डिजिटल इंडिया थंडर्स ने जीता अटल बिहारी वाजपेयी वुमेन क्रिकेट ट्रॉफी, जल जीवन स्ट्राइकर्स को 8 विकेट से हराया

पटना- 25 दिसंबर 2025: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित छठवीं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी वुमेन क्रिकेट चैंपियनशिप की ट्रॉफी डिजिटल इंडिया थंडर्स ने अपने नाम कर ली। मोइनुल हक स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में डिजिटल इंडिया थंडर्स ने जल जीवन स्ट्राइकर्स को आठ विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा जमाया।

खिलाड़ियों को ट्रॉफी देकर किया गया सम्मान मैच समाप्ति के बाद आयोजित समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह में बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा एवं खेल मंत्री श्रेयसी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दोनों अतिथियों ने विजेता और उपविजेता टीमों को ट्रॉफी प्रदान कर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर कुम्हरार विधायक संजय गुप्ता, उमेश सिंह भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश राजू ने किया।

बड़ी संख्या में खेल एवं सामाजिक क्षेत्र की हस्तियों की मौजूदगी

कार्यक्रम में सह संयोजक विकास कुमार गोल्डी, संतोष मिश्रा, राजीव रंजन यादव, कंचन, महिला संयोजिका वर्षा पांडे, कोषाध्यक्ष विकास सिंह, जेपी मेहता, धीरेंद्र सिन्हा, सुमित शर्मा, कंचन शर्मा, ज्योति, डॉ रवि, डॉ अभिराम शर्मा, राजू राय धावक, सौरभ चक्रवर्ती, बिहार अंडर-23 कोच पवन कुमार, प्रकाश सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा दुर्गेश सिंह, मुकेश पासवान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

महिला सशक्तिकरण और खेल को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता – विजय सिन्हा

उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर क्रीड़ा प्रकोष्ठ द्वारा खेल आयोजनों की परंपरा सराहनीय है। उन्होंने कहा कि बिहार में महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार गंभीर है और युवाओं को खेल से जोड़ने का सकारात्मक असर अब दिखने लगा है।

बिहार के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतेंगे – श्रेयसी सिंह

खेल मंत्री श्रेयसी सिंह ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा खिलाड़ियों के लिए बनाई जा रही नीतियों और उपलब्ध कराए जा रहे संसाधनों का सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को हमेशा फेयर प्ले और स्पोर्ट्समैनशिप बनाए रखनी चाहिए और हार से सीख लेकर अगले मुकाबले की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तेजी से हो रहा है, जिससे खिलाड़ियों को बेहतर मंच और अवसर मिलेंगे।

मैदान में दिखी खेल भावना

समारोह के दौरान खेल मंत्री श्रेयशी सिंह और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा खुद मैदान में क्रिकेट खेलते नजर आए। श्रेयशी सिंह ने बॉलिंग की, जबकि विजय सिन्हा बल्लेबाजी करते दिखे। पहली ही गेंद पर श्रेयशी सिंह ने विजय सिन्हा को क्लीन बोल्ड कर दिया, हालांकि गेंद को नो-बॉल करार दिया गया। इसके बाद डिप्टी सीएम ने शानदार शॉट खेलकर दर्शकों की तालियां बटोरीं।

फाइनल मुकाबले का पूरा हाल

टॉस जीतकर डिजिटल इंडिया थंडर्स ने जल जीवन स्ट्राइकर्स को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए स्ट्राइकर्स की टीम 19.5 ओवर में 113 रन पर आलआउट हो गई। जवाब में खेलने उतरी थंडर्स की टीम ने लक्ष्य को 13.5 ओवर में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया। स्ट्राइकर्स की ओर से ज्यादा यशिता सिंह ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 41 रन बनाए। वहीं डिजिटल की जीत की पटकथा निक्की कुमारी 44 और कप्तान आंट्री ने 41 रन से लिखी। डिजिटल के लिए ममता राय ने 3, लक्ष्मी व अपूर्वा ने 2-2 विकेट चटकाए।

संक्षिप्त स्कोर:

जल जीवन स्ट्राइकर्स: 19.5 ओवर में 113 रन पर आलआउट, यशिता सिंह 41, रूचि पाठक 10, गुड़िया 22, सौम्या अखौरी 12, अतिरिक्त 6, ममता राय 3/21, निक्की कुमारी 1/16, लक्ष्मी 2/21, अपूर्वा 2/33, अनुष्कार सिंह 1/21.

डिजिटल इंडिया थंडर्स: 13.5 ओवर में 2 विकेट पर 114 रन, आंद्री नाबाद 41, निक्की 44, अंशिका राज 10, अतिरिक्त 12, सौम्या अखौरी 1/30, नेहा कुमारी 1/22.

व्यक्तिगत पुरस्कार

  • प्लेयर ऑफ द मैच : निक्की कुमारी
  • मैन ऑफ द सीरीज : निक्की कुमार (डिजिटल मीडिया इंचार्ज)
  • बेस्ट नेट्समैन: एंंद्री कुमारी (डिजिटल मीडिया इंचार्ज)
  • बेस्ट बॉलरः अनुष्का कुमारी (डिजिटल मीडिया इंचार्ज)
  • बेस्ट फील्डर : अंजली चौधरी (जन जीवन स्ट्राइकर्स)
  • बेस्ट विकेटकीपर: अंशिका राज (डिजिटल मीडिया इंचार्ज)
  • प्रमोसिंग प्लेयर : आरोही कुमारी (महिला सशक्तिकरण किंग्स)
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छठवीं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी वुमेन क्रिकेट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला कल, थंडर्स बनाम स्ट्राइकर्स के बीच खिताबी भिड़ंत

पटना। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित छठवीं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी वुमेन क्रिकेट चैंपियनशिप अपने रोमांचक मोड़ पर पहुंच गई है। बुधवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबलों में डिजिटल इंडिया थंडर्स और जल जीवन स्ट्राइकर्स ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने-अपने मैच 9 विकेट से जीतकर फाइनल में प्रवेश किया। अब गुरुवार को दोनों टीमें खिताब के लिए आमने-सामने होंगी।

भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश राजू ने बताया कि प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला गुरुवार सुबह 8 बजे से खेला जाएगा, जबकि पुरस्कार वितरण समारोह दोपहर 12 बजे आयोजित किया जाएगा। भाजपा क्रीड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश राजू ने बताया कि समापन समारोह में बिहार के पथ निर्माण एवं उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल एवं खेल मंत्री श्रेयसी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

पहला सेमीफाइनल : डिजिटल इंडिया थंडर्स का दबदबा

मोइनुल हक स्टेडियम में खेले गए पहले सेमीफाइनल में जनधन योद्धास ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 88 रन बनाए। जवाब में डिजिटल इंडिया थंडर्स ने निक्की कुमारी के शानदार अर्धशतक और कप्तान आंद्री के नाबाद 28 रन की बदौलत लक्ष्य को 13.1 ओवर में हासिल कर लिया। टीम ने मुकाबला 9 विकेट से जीतकर फाइनल में जगह बनाई।
इस मैच में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए निक्की कुमारी को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

संक्षिप्त स्कोर

जनधन योद्धास: 20 ओवर में 8 विकेट पर 88 रन, स्वर्णिमा चक्रवर्ती 10, साक्षी सिंह 12, रानी 16, रचना सिंह 14, प्रीति नाबाद 16, अतिरिक्त 10, अनुष्का सिंह 2/11, अपूर्वा 1/13, लक्ष्मी 1/15, निक्की कुमारी 1/25.
डिजिटल इंडिया थंडर: 13.1 ओवर में 1 विकेट पर 91 रन, एंड्री रानी नाबाद 28, निक्की कुमारी 52, अतिरिक्त 11, हर्षिता मिश्रा 1/8.

दूसरा सेमीफाइनल : यशिता सिंह की ऑलराउंड चमक

चैंपियनशिप के दूसरे सेमीफाइनल में महिला शक्ति सुपरकिंग्स ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 73 रन बनाए। जवाब में जल जीवन स्ट्राइकर्स की यशिता सिंह ने गेंदबाजी के बाद बल्लेबाजी में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए नाबाद 48 रन बनाए और टीम को 7.4 ओवर में लक्ष्य तक पहुंचा दिया। स्ट्राइकर्स ने यह मुकाबला भी 9 विकेट से जीतकर फाइनल का टिकट कटाया। यशिता सिंह को उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।

संक्षिप्त स्कोर

महिला शक्ति सुपरकिंग्स: 20 ओवर में 8 विकेट पर 73 रन, सलोनी 33, अतिरिक्त 19, यशिता सिंह 2/8, नेहा कुमारी 2/23
जल जीवन स्ट्राइकर्स: 7.4 ओवर में एक विकेट पर 76 रन, यशिता सिंह नाबाद 48, अंजली चौधरी 16, रूचि पाठक नाबाद 6, अतिरिक्त 6, दिव्या भारती 1/33.

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