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Opinion: 4-1 से सीरीज जीतने के बाद भी कुछ सवालों ने किया परेशान, घर में ही स्पिनर्स के सामने टिक नहीं पा रहे हैं भारतीय बल्लेबाज, जानें कहां चूक रहे हैं बल्लेबाज…

Opinion: भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-1 से सीरीज को अपने नाम किया। इस टेस्ट सीरीज को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए दावेदारी मजबूत कर दी। लगातार दो बार विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप का फाइनल खेलने के बाद टीम इंडिया इस बार भी टेस्ट चैंपिशनशिप फाइनल खेलने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस सीरीज को भारतीय टीम ने भले ही 4-1 से अपने नाम कर लिया हो लेकिन इस टेस्ट सीरीज और पिछले कुछ सालों में घर पर खेले गए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की एक कमी तेजी से उजागर हुई है।

ऐसी कमी उजागर हुई है जिसमें कभी भारतीय टीम को महारत हासिल थी। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम स्पिन खेलने में फिसड्डी साबित हुई है। भारतीय टीम को भारत में ही स्पिन खेलने में अब परेशानी होने लगी है। जबकि पहले यही भारतीय टीम के जीत का मंत्रा था। विदेशी टीमें के खिलाफ स्पिन ट्रैक तैयार करके उनके चारों खाने चित कर देते थे। अब ऐसा हो गया है कि विदेशी टीमें भारत का दौरा करती है तब दो-तीन अच्छे स्पिनर को शामिल कर भारतीय टीम को परेशान कर देती है। यहां आने के बाद उनके एवरेज गेंदबाज भी शानदार गेंदबाज बन जाते हैं।

जबकि पहले भारतीय टीमों ने घरेलू और उपमहाद्वीपीय परिस्थतियों में स्पिन के अनुकूल पिचों में शानदार बल्लेबाजी की है। हालांकि अभी वर्तमान में भारतीय टीम स्पिन का सामना करने में पूरी तरह से जुझते नजर आती हैं। भारतीय टीम की गेंदबाजी भारत में शुरू से ही बेहतरीन रही है। अभी यह और मजबूत हो गई है जबकि बल्लेबाजी में स्पिन खेलने की कला में कमी देखने को मिली है।

70 के दशक में भारत की स्पिन चौकड़ी

भारतीय टीम जो कभी 70 के दशक में अपनी स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को परेशान किया करते थी। वहीं आज के समय में हमारे बल्लेबाज परेशान हो जाते हैं। 70 के दशक में इराप्पल्ली प्रसन्ना, बीएस चन्द्रशेखर, वेंकट राघवन और बिशन सिंह बेदी की प्रसिद्ध चौकड़ी थी, जो भारतीय पिचों पर विदेशी टीमों के खिलाफ हावी रहती थी। इन लोगों ने विदेशी बल्लेबाजों के मन में इतना डर बना दिया था कि भारत का दौरा करने वाली टीमें एक महीना पहले से ही स्पिन खेलने का अभ्यास शुरू कर देती थी लेकिन फिर भी इनकी चौकड़ी बल्लेबाजों को कुछ खास करने का मौका नहीं देती थी।

उसके बाद 1980 से लेकर 2010 तक भारतीय टीम के पास ऐसे बल्लेबाज थे जो भारत में ही नहीं बाहर भी जाकर अपनी छाप छोड़ी। कुछ ऐसे बल्लेबाज भी थे, जिन्हें घर पर स्पिन खेलने में महारत हासिल थी और अगर विदेश का दौरा करे तो स्विंग और पेस खेलने में भी माहिर थे। उस दौरान भारत में कई ऐसे दिग्गज स्पिनर भी आएं, जिन्होंने पूरी दूनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के आगे नतमस्तक हो गए। शेन वार्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक कई ऐसे दिग्गज भी आएं लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने उन दिग्गज स्पिनरों का डटकर सामना किया और स्पिन खेलने की कला भी दुनिया को दिखाई।

हमारी ताकत ही बनी कमजोरी

आखिरी पिछले कुछ समय में ऐसा क्या हो गया कि जो हमारी ताकत थी, वही हमारी कमजोरी बन गई। भारतीय खिलाड़ी जो स्पिन के अनुकूल पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं लेकिन आज वही बल्लेबाज स्पिन का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं। जहां विकेट खराब होने लगती है भारतीय टीम के बल्लेबाजों के पांव क्रीज पर जमते ही नहीं हैं। समय के साथ भारतीय खिलाड़ियों का स्पिन खेलने के लिए जो तकनीक होनी चाहिए, वो धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। अब महेमान टीम को जितना मुश्किल स्पिन खेलने में होती है उतना ही मुश्किल भारतीय टीम को भी स्पिन का सामना करने में होती है।

स्पिन के खिलाफ क्यों संघर्ष कर रहे हैं बल्लेबाज

भारतीय पिचों पर स्पिनरों को खासा फायदा मिलता है। यहां स्पिनरों को विकेट से काफी मदद मिलती है, जिसके कारण भारत में स्पिनर ज्यादा करागर साबित होते हैं। जैसे-जैसे विकेट टूटने लगती है स्पिनरों को टर्न के साथ अधिक उछाल भी मिलने लगती है। अगर गेंदबाज गेंद को ड्रिफ्ट करवाना जानते हैं तब तो बल्लेबाजों को ऐसे गेंदबाज का सामना करने में ज्यादा ही कठिनाई आती है। क्योंकि ऐसे गेंदबाज पिच से अधिक फायदा लेने में कामयाब रहते हैं और बल्लेबाजों को खूब परेशान करते हैं।

भारत में विकेट सूखी और धीमी होती है साथ ही साथ विकेट में असमतल उछाल के साथ गेंद भी तेजी से टर्न होता है। ऐसी विकेटों पर खेलने के लिए बल्लेबाजों को अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है। जिसके लिए बल्लेबाजों को स्पिन खेलने की कला बखूबी आनी चाहिए। स्पिन खेलने में परेशानी के कारण बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण भी स्पिनर्स बल्लेबाजों पर हावी हो जाते हैं। जब कोई एक बल्लेबाज ओवर की 6 गेंदें खुद खेलता है तब उसके आउट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता था कि आप स्ट्राइक रोटेट करते रहें जिससे गेंदबाज को परेशानी हो, बल्लेबाज को नहीं।

विदेशी स्पिनर ने किया परेशान

पिछले 10-15 सालों में भारत में डेब्यू करने वाले विदेशी स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत का दौरा करने आई थी तब जेसन क्रेजा ने अपने डेब्यू मुकाबले के पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए थे। उसके बाद से विदेशी स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर हावी होने लगे। अगर ऑस्ट्रेलिया के स्टीव ओ कैफी की बात करें तो उन्होंने 2021 में भारत का दौरा करते हुए दोनों पारी में 6-6 विकेट लिए थे। वहीं मैट कुहनैमन ने 5 विकेट लेकर भारतीय टीम को बता दिया था कि स्पिन खेलने की कला अब आपके पास उतनी अच्छी नहीं रही।

उसके बाद न्यूजीलैंड के एजाज पटेल ने एक पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी भारत के खिलाफ भारत में ही किया। उन्होंने उस मैच में कुल 14 विकेट चटकाए। वहीं टॉड मर्फी ने 2023 में डेब्यू करते हुए एक पारी में 5 विकेट चटकाए। अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले ही मैच में टॉम हर्टली ने डेब्यू करते हुए एक पारी में 7 विकेट चटकाए। उसके बाद शोएब बशीर ने इस टेस्ट सीरीज के चौथे और पांचवें मुकाबले में पांच-पांच विकेट चटकाए। इस सीरीज में इंग्लैंड के टॉम हार्टली ने कुल 22 विकेट चटकाए। इन 10-15 सालों में विदेशी स्पिनर ने भारत में आकर भारतीय टीम को ही परेशान किया है।

बल्लेबाज तकनीक पर नहीं कर पाते हैं काम

अब सालभर लगातार ही पूरे विश्व में क्रिकेट खेला जाता है। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेटरों को अपनी कमियों पर काम करने का मौका भी बहुत कम मिलता है। अब जो भारतीय क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने लगते है वो घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। जिस कारण से उन्हें घरेलू गेंदबाज या स्पिनर को खेलने का कम मौका मिलता है। इसके अलावा अब बल्लेबाज गेंदबाज के साथ कम और बॉलिंग मशीन के साथ ज्यादा दिखते हैं। बॉलिंग मशीन के साथ बल्लेबाज घंटों अभ्यास करते हैं। वहीं लगातार क्रिकेट होने के कारण सीमित ओवरों में बल्लेबाज स्पिनर पर ज्यादा अटैकिंग रुख अपनाते हैं और रन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। फील्ड रिस्ट्रिक्शन होने के कारण बल्लेबाजों की कमियों का पता नहीं चलता है। जैसे ही यही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं उनकी कमियां साफ नजर आने लगती है।

गेंदबाज भी अब पहले जितना अभ्यास नहीं करते हैं। तीन फॉर्मेट में अपने आप फिट रखने के लिए गेंदबाज नेट में भी काफी कम समय व्यतीत करते हैं। जिस कारण से भी बल्लेबाजों को अपनी कमियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है। लगातार मैचेज के कारण गेंदबाज अब ज्यादातर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं। जिससे वो ज्यादा से मैच खेल पाएं। इस कारण से अब ज्यादातर बल्लेबाजों को नेट गेंदबाज ही अभ्यास कराते नजर आते हैं।

घरेलू क्रिकेट में स्पिनर अब उतने करागर नहीं

अब बात यह भी है कि अब घरेलू क्रिकेट में उतने अच्छे स्पिनर भी नहीं रह गए हैं जो बल्लेबाजों को ज्यादा परेशान कर सके। पहले घरेलू क्रिकटे में एक से बढ़कर एक स्पिनर हुआ करते थे। जो इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट को भी तवज्जो देते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब लगातार मैचेज रहने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेटर घरेलू में शामिल नहीं हो पाते है जिस कारण से अब बल्लेबाजों को क्वालिटी के स्पिनर नहीं मिलते हैं। इस कारण से भी अब घरेलू क्रिकेट में स्पिनर उतने करागर साबित नहीं होते हैं। अच्छे स्पिनर के नहीं होने के कारण बल्लेबाजों की कमियां नजर नहीं आती है।

स्पिन खेलने की बढ़िया तकनीक क्या है…

स्पिन को खेलने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आपके कदम चलते रहें। आप फ्रंटफूट और बैकफूट का इस्तेमाल अच्छे ढंग से करें। कुछ बल्लेबाज टर्न कम करने के लिए निकलकर खेलते है और कुछ बल्लेबाज गेंद को टर्न होने के बाद खेलना पंसद करते हैं। अगर आप ऐसे स्पिन को खेलोंगे तब सफलता आपको मिलेगी। स्पिनर के खिलाफ अगर आप फंस गए तब गेंदबाज आपको निश्चित तौर पर आउट कर देगा। इसके अलावा आपके हाथ सॉफ्ट होने चाहिए ताकि आसपास लगे फील्डर के पास गेंद नहीं जानी चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में कुछ इस ढंग से स्पिन खेलकर आप अच्छे स्पिनर का सामना कर सकते हैं।

लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा

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स्व. राजू वाल्स ट्रॉफी के नाम से खेले जाएगी NDJL–2025, जर्सी का हुआ भव्य अनावरण

नालंदा, 6 दिसंबर 2025: नालंदा जिले में जूनियर खिलाड़ियों के लिए आयोजित होने वाली सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट प्रतियोगिता NDJL–2025 (नालंदा डिस्ट्रिक्ट जूनियर लीग) इस वर्ष एक विशेष पहचान के साथ आयोजित की जा रही है। जिला क्रिकेट के घरेलू सत्र 2025–26 की शुरुआत 7 दिसंबर से होने जा रही है और यह लीग इस बार “स्व. राजू वाल्स ट्रॉफी” के नाम से खेली जाएगी। इसी क्रम में आज लीग की जर्सी का अनावरण पूर्व रणजी खिलाड़ी सुनील वाल्स और वरिष्ठ अधिकारी मनोज सिंह द्वारा किया गया।

स्व. राजू वाल्स के सम्मान में लीग का नामकरण

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ नालंदा ने इस वर्ष लीग को स्व. राजू वाल्स की स्मृति को समर्पित करने का निर्णय लिया है। स्व. राजू वाल्स का इसी वर्ष निधन हुआ था। वह पूर्व रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी, पूर्व BCCI पिच क्यूरेटर, तथा बिहार क्रिकेट संघ के U-16 टीम के पूर्व कोच रह चुके थे। बिहार क्रिकेट में उनके योगदान और वर्षों की सेवाओं को सम्मान देते हुए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ नालंदा ने यह महत्वपूर्ण पहल की है।

7 से 14 दिसंबर तक होगा मुकाबला, कुल 8 टीमें होंगी शामिल

NDJL–2025 स्व. राजू वाल्स ट्रॉफी 7 दिसंबर 2025, रविवार से शुरू होकर 14 दिसंबर 2025 तक खेली जाएगी। टूर्नामेंट में कुल 8 टीमों को शामिल किया गया है, जिन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया है। जिसमें ग्रुप ए में टीम A, टीम C, टीम E, टीम G को रखा गया है। वहीं ग्रुप बी में टीम B, टीम D, टीम F, टीम H को रखा गया है। प्रत्येक टीम अपने ग्रुप में तीन मैच खेलेगी। सभी मुकाबले टी-20 प्रारूप में होंगे, जिसमें खिलाड़ी रंगीन जर्सी में व्हाइट बॉल के साथ मैदान में उतरेंगे।

जूनियर खिलाड़ियों को मिलेगा बड़ा प्रतिस्पर्धी मंच

NDJL–2025 का उद्देश्य नालंदा जिले में उभरते प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को बड़ा मंच प्रदान करना है, जहां वे प्रतिस्पर्धी माहौल में अपने कौशल को निखार सकें। यह लीग नालंदा जिले के उन युवा प्रतिभाओं को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो भविष्य में जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर नालंदा और बिहार का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखते हैं।

जर्सी अनावरण ने बढ़ाया उत्साह

जर्सी अनावरण कार्यक्रम के दौरान खिलाड़ियों और आयोजकों में उत्साह देखने को मिला। सुनील वाल्स और मनोज सिंह ने लीग के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दीं और युवा खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया।

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डीपीएस पटना ईस्ट में ‘एक्सेल्सियर 2025’ का भव्य समापन, 13 स्कूलों के 400 खिलाड़ियों ने दिखाया दमखम

पटना, 6 दिसंबर 2025: दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना ईस्ट में आयोजित तीन दिवसीय इंटर-स्कूल स्पोर्ट्स एक्स्ट्रावैगेंज़ा “एक्सेल्सियर 2025” का आज भव्य समापन समारोह संपन्न हुआ। पूरे समारोह में खेल, अनुशासन और उत्कृष्ट प्रदर्शन का उत्साह चरम पर रहा।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि बनीं खेल मंत्री श्रेयसी सिंह

समापन समारोह की शुरुआत सुबह अतिथियों के आगमन और पारंपरिक स्वागत के साथ हुई। कार्यक्रम में राज्य की खेल मंत्री सुश्री श्रेयसी सिंह, डीपीएस पटना ईस्ट के प्रो वाइस चेयरमैन श्री अमित प्रकाश, मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. मनीष कुमार, ट्रस्टी अनीश साहू, विद्यालय के प्राचार्य डॉ. राकेश अल्फ्रेड और डिप्टी हेड मोहम्मद अशफ़ाक़ इक़बाल सहित कई गणमान्य अधिकारी उपस्थित थे। अतिथियों का गरिमामय स्वागत 11:30 बजे किया गया, जिसके बाद मुख्य अतिथि का सम्मान और कार्यक्रम की मुख्य झलकियों का प्रस्तुतीकरण किया गया।

संगीत–नृत्य प्रस्तुतियों ने बांधा समा

मुख्य अतिथि सुश्री श्रेयसी सिंह ने विद्यार्थियों को खेल के माध्यम से अनुशासन, एकाग्रता और उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होने का संदेश दिया। इसके बाद छात्रों द्वारा प्रस्तुत संगीत और नृत्य ने पूरे वातावरण को उत्साह और ऊर्जा से भर दिया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. राकेश अल्फ़्रेड ने अपने संबोधन में कहा कि “एक्सेल्सियर 2025” जैसे आयोजन विद्यार्थियों में टीम वर्क, नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास को विकसित करते हैं।

13 विद्यालयों के 400 खिलाड़ी हुए शामिल

“एक्सेल्सियर 2025” का शुभारंभ 4 दिसंबर को हुआ था, जिसमें कुल 13 विद्यालयों के 400 से अधिक प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। तीन दिनों तक आयोजित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में बच्चों ने बेहतरीन खेल कौशल और अद्भुत खेल भावना का प्रदर्शन किया।

फाइनल मुकाबलों के नतीजे

फुटबॉल
ट्रिनिटी ग्लोबल ने डीपीएस पटना ईस्ट को 5–2 से हराकर चैंपियनशिप जीती।
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: अशमित कुमार (ट्रिनिटी ग्लोबल)

कबड्डी
द त्रिभुवन ने डीपीएस पटना ईस्ट को 71–58 से मात देकर खिताब जीता।
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: आदर्श कुमार (द त्रिभुवन)

वॉलीबॉल
मे फ्लावर स्कूल ने शिवम कॉन्वेंट को सीधे दो सेटों में हराकर खिताब अपने नाम किया।
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: भरत कुमार (मे फ्लावर)

बास्केटबॉल – बालक वर्ग
ट्रिनिटी ग्लोबल ने डीपीएस पटना ईस्ट को 16–5 से हराकर विजेता बना।
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: विराट वैभव (ट्रिनिटी ग्लोबल)

बास्केटबॉल – बालिका वर्ग
सेंट जोसेफ कॉन्वेंट, जेठुली ने डीपीएस पटना ईस्ट को 16–8 से हराते हुए चैंपियनशिप जीती।
सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: एलिशा राज (सेंट जोसेफ कॉन्वेंट)

एथलेटिक्स
विजेता: डीपीएस पटना ईस्ट
उपविजेता: लिट्रा वैली

मेंटर्स और अधिकारियों का हुआ सम्मान

पुरस्कार वितरण के बाद मेंटर्स, प्रशिक्षकों और अधिकारियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का औपचारिक समापन मुख्य अतिथि सुश्री श्रेयसी सिंह द्वारा समारोह को संपन्न घोषित करते हुए किया गया। यह तीन दिवसीय आयोजन न सिर्फ छात्रों की प्रतिभा का भव्य प्रदर्शन रहा, बल्कि शिक्षा, खेल, कला और अनुशासन के संतुलित समावेश का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। डीपीएस पटना ईस्ट ने एक बार फिर यह साबित किया कि समग्र विकास ही शिक्षा का वास्तविक स्वरूप है।

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बिहार रुरल लीग का ट्रायल 7 दिसंबर से शुरू, कई जिलों के लिए जारी हुआ शेड्यूल

पटना, 6 दिसंबर 2025: बिहार में प्रतिभाशाली ग्रामीण खिलाड़ियों को मंच देने के उद्देश्य से आयोजित होने वाली बिहार रुरल लीग के ट्रायल का शेड्यूल जारी कर दिया गया है। विभिन्न जिलों में निर्धारित तिथियों पर ट्रायल आयोजित किए जाएंगे, जिनमें सैकड़ों क्रिकेटरों के भाग लेने की संभावना है। मीडिया प्रभारी रूपक कुमार ने बताया कि ट्रायल की शुरुआत 7 दिसंबर से होने जा रही है।

मोतिहारी में 7 दिसंबर से ट्रायल की शुरुआत

ट्रायल का पहला चरण गांधी मैदान, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में 7 दिसंबर से शुरू होगा। अभिषेक कुमार को जिला कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। गुलाब खान (मो.– 9955888412) और अभिषेक कुमार छोटू (मो.– 9546216704) संयोजक/सह-संयोजक के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे।

8 दिसंबर को इन जगहों पर होगा ट्रायल

बड़ा रमना मैदान, पश्चिमी चंपारण में 8 दिसंबर से ट्रायल होंगे। जिसमें विश्वजीत कुमार (मो.– 9709623199) को संयोजक बनाया गया है। ओम कुमार सिंह और सरफराज अहमद सहयोगी के रूप में उपस्थित रहेंगे।

गोपालगंज जिले में ट्रायल टुन्ना गिरी क्रिकेट अकादमी में 8 दिसंबर से शुरू होगा। यहां संतोष कुमार मिश्रा (मो.– 6201698268) और प्रिंस कुमार सिंह को संयोजक नियुक्त किया गया है।

सारण जिले में ट्रायल राजेंद्र स्टेडियम में आयोजित होगा।सुनील कुमार सिंह (मो.– 9334640879) को वरिष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है। सारण जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्ष इंदु कुमारी (मो.– 8709224120) पूरे ट्रायल प्रक्रिया की निगरानी और संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगी।

सिवान और पटना में ट्रायल 14 दिसंबर को

बिहार रुरल लीग का ट्रायल सिवान के सिवान स्टेडियम में आयोजित होगा। इसके लिए सोनू कुमार गुप्ता (मो.– 8804374327) को संयोजक की भूमिका दी गई है। वहीं पटना में ट्रायल शाखा मैदान में 14 दिसंबर से शुरू होगा। यहां वरिष्ठ खिलाड़ी रूपक कुमार (मो.– 9334450416) को कोऑर्डिनेटर तथा संतोष कुमार को कन्वेनर बनाया गया है।

ग्रामीण प्रतिभाओं को मिलेगा बड़ा मंच

बिहार रुरल लीग ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी क्रिकेट प्रतिभाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का अवसर देती है। ट्रायल प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए सभी जिलों में कोऑर्डिनेटर और संयोजकों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है।

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डीपीएस पटना ईस्ट में एक्सेलसियर 2025 का दूसरा दिन रोमांच से भरपूर, कई टीमों ने फाइनल में बनाई जगह

पटना, 5 दिसंबर 2025: दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना ईस्ट में आयोजित तीन दिवसीय इंटर-स्कूल स्पोर्ट्स एक्स्ट्रावैगेंज़ा ‘एक्सेलसियर 2025’ का दूसरा दिन रोमांच, ऊर्जा और उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन का गवाह बना। अंडर-16 (बालक एवं बालिका) वर्ग में खेले गए नॉकआउट और सेमीफाइनल मुकाबलों ने टूर्नामेंट को और अधिक रोचक बना दिया। खिलाड़ियों के जज्बे और खेल भावना ने मैदान में उपस्थित सभी लोगों को प्रभावित किया।

एथलेटिक्स से हुई रोमांचक दिन की शुरुआत

दूसरे दिन की शुरुआत एथलेटिक्स की विभिन्न ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं से हुई। 100 मीटर, 200 मीटर दौड़, रिले रेस, हाई जंप और अन्य इवेंट्स में खिलाड़ियों ने अपनी गति, तकनीक और स्टैमिना का बेहतरीन प्रदर्शन किया। एथलेटिक्स स्पर्धाओं में डीपीएस पटना ईस्ट, लिट्रा वैली और लीड्स एशियन स्कूल के खिलाड़ियों का दबदबा देखने को मिला।

फुटबॉल: सेमीफाइनल में दिखा कौशल और रणनीति

फुटबॉल के मैदान पर आज सेमीफाइनल मुकाबलों में जोरदार टक्कर देखने को मिली। पहले सेमीफाइनल में ट्रिनिटी ग्लोबल ने बेहतरीन आक्रमण और सटीक पासिंग के दम पर लिट्रा वैली को 8-1 से हराते हुए फाइनल में स्थान पक्का किया। दूसरे सेमीफाइनल में डीपीएस पटना ईस्ट ने त्रिभुवन को 3-1 से मात देकर फाइनल में जगह बनाई। टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला 6 दिसंबर को प्रातः 9 बजे खेला जाएगा।

बास्केटबॉल में रोमांच चरम पर

बास्केटबॉल कोर्ट पर बालक और बालिका दोनों वर्ग में मुकाबले बेहद रोमांचक रहे। बालक वर्ग में डीपीएस पटना ईस्ट ने गोविंदा इंटरनेशनल को 35-12 से पराजित कर फाइनल में प्रवेश किया, जहाँ उनका सामना ट्रिनिटी ग्लोबल से होगा। बालिका वर्ग में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट, जेठुली ने डीपीएस पटना ईस्ट को 12-06 से हराते हुए चैंपियनशिप अपने नाम की।

कबड्डी में दांव-पेच का अद्भुत प्रदर्शन

कबड्डी के अखाड़े में खिलाड़ियों ने अपनी ताकत, तेज़ी और रणनीतिक समझ का शानदार प्रदर्शन किया। पहले मुकाबले में डीपीएस पटना ईस्ट ने लीड्स इंटरनेशनल को 71-68 से हराया। दूसरे मुकाबले में त्रिभुवन ने बिशप स्कॉट बॉयज़ को 61-37 से मात देकर अपनी क्षमता का परिचय दिया।

वॉलीबॉल में मे फ्लावर स्कूल बना चैंपियन

वॉलीबॉल कोर्ट पर आज खेले गए मुकाबले में मे फ्लावर स्कूल ने शिवम कॉन्वेंट को सीधे दो सेटों में पराजित कर चैंपियनशिप जीत ली। शानदार स्मैश और ब्लॉक ने दर्शकों का खूब उत्साह बढ़ाया।

प्रधानाचार्य का प्रेरणादायी संदेश

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. राकेश अल्फ्रेड ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा, “खेल सिर्फ हार-जीत का भाव नहीं, बल्कि अनुशासन, सहयोग और दृढ़ संकल्प का पाठ पढ़ाता है। आज बच्चों ने जिस स्तर की खेल भावना दिखाई है, वह सराहनीय है।”

कल होंगे सभी फाइनल मुकाबले

6 दिसंबर को टूर्नामेंट का समापन समारोह आयोजित किया जाएगा। इस दौरान सभी फाइनल मुकाबले खेले जाएंगे और उसके बाद दोपहर 12 बजे से पुरस्कार वितरण का आयोजन होगा। दूसरे दिन के ऊर्जावान और प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन ने अंतिम दिन के मुकाबलों को लेकर उत्सुकता और भी बढ़ा दी है।

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