KRIDA NEWS

Opinion: 4-1 से सीरीज जीतने के बाद भी कुछ सवालों ने किया परेशान, घर में ही स्पिनर्स के सामने टिक नहीं पा रहे हैं भारतीय बल्लेबाज, जानें कहां चूक रहे हैं बल्लेबाज…

Opinion: भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-1 से सीरीज को अपने नाम किया। इस टेस्ट सीरीज को जीतकर भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान के लिए दावेदारी मजबूत कर दी। लगातार दो बार विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप का फाइनल खेलने के बाद टीम इंडिया इस बार भी टेस्ट चैंपिशनशिप फाइनल खेलने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इस सीरीज को भारतीय टीम ने भले ही 4-1 से अपने नाम कर लिया हो लेकिन इस टेस्ट सीरीज और पिछले कुछ सालों में घर पर खेले गए टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की एक कमी तेजी से उजागर हुई है।

ऐसी कमी उजागर हुई है जिसमें कभी भारतीय टीम को महारत हासिल थी। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम स्पिन खेलने में फिसड्डी साबित हुई है। भारतीय टीम को भारत में ही स्पिन खेलने में अब परेशानी होने लगी है। जबकि पहले यही भारतीय टीम के जीत का मंत्रा था। विदेशी टीमें के खिलाफ स्पिन ट्रैक तैयार करके उनके चारों खाने चित कर देते थे। अब ऐसा हो गया है कि विदेशी टीमें भारत का दौरा करती है तब दो-तीन अच्छे स्पिनर को शामिल कर भारतीय टीम को परेशान कर देती है। यहां आने के बाद उनके एवरेज गेंदबाज भी शानदार गेंदबाज बन जाते हैं।

जबकि पहले भारतीय टीमों ने घरेलू और उपमहाद्वीपीय परिस्थतियों में स्पिन के अनुकूल पिचों में शानदार बल्लेबाजी की है। हालांकि अभी वर्तमान में भारतीय टीम स्पिन का सामना करने में पूरी तरह से जुझते नजर आती हैं। भारतीय टीम की गेंदबाजी भारत में शुरू से ही बेहतरीन रही है। अभी यह और मजबूत हो गई है जबकि बल्लेबाजी में स्पिन खेलने की कला में कमी देखने को मिली है।

70 के दशक में भारत की स्पिन चौकड़ी

भारतीय टीम जो कभी 70 के दशक में अपनी स्पिन गेंदबाजी से विरोधियों को परेशान किया करते थी। वहीं आज के समय में हमारे बल्लेबाज परेशान हो जाते हैं। 70 के दशक में इराप्पल्ली प्रसन्ना, बीएस चन्द्रशेखर, वेंकट राघवन और बिशन सिंह बेदी की प्रसिद्ध चौकड़ी थी, जो भारतीय पिचों पर विदेशी टीमों के खिलाफ हावी रहती थी। इन लोगों ने विदेशी बल्लेबाजों के मन में इतना डर बना दिया था कि भारत का दौरा करने वाली टीमें एक महीना पहले से ही स्पिन खेलने का अभ्यास शुरू कर देती थी लेकिन फिर भी इनकी चौकड़ी बल्लेबाजों को कुछ खास करने का मौका नहीं देती थी।

उसके बाद 1980 से लेकर 2010 तक भारतीय टीम के पास ऐसे बल्लेबाज थे जो भारत में ही नहीं बाहर भी जाकर अपनी छाप छोड़ी। कुछ ऐसे बल्लेबाज भी थे, जिन्हें घर पर स्पिन खेलने में महारत हासिल थी और अगर विदेश का दौरा करे तो स्विंग और पेस खेलने में भी माहिर थे। उस दौरान भारत में कई ऐसे दिग्गज स्पिनर भी आएं, जिन्होंने पूरी दूनिया में अपनी छाप छोड़ी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों के आगे नतमस्तक हो गए। शेन वार्न से लेकर मुथैया मुरलीधरन तक कई ऐसे दिग्गज भी आएं लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने उन दिग्गज स्पिनरों का डटकर सामना किया और स्पिन खेलने की कला भी दुनिया को दिखाई।

हमारी ताकत ही बनी कमजोरी

आखिरी पिछले कुछ समय में ऐसा क्या हो गया कि जो हमारी ताकत थी, वही हमारी कमजोरी बन गई। भारतीय खिलाड़ी जो स्पिन के अनुकूल पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं लेकिन आज वही बल्लेबाज स्पिन का ढंग से सामना नहीं कर पा रहे हैं। जहां विकेट खराब होने लगती है भारतीय टीम के बल्लेबाजों के पांव क्रीज पर जमते ही नहीं हैं। समय के साथ भारतीय खिलाड़ियों का स्पिन खेलने के लिए जो तकनीक होनी चाहिए, वो धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। अब महेमान टीम को जितना मुश्किल स्पिन खेलने में होती है उतना ही मुश्किल भारतीय टीम को भी स्पिन का सामना करने में होती है।

स्पिन के खिलाफ क्यों संघर्ष कर रहे हैं बल्लेबाज

भारतीय पिचों पर स्पिनरों को खासा फायदा मिलता है। यहां स्पिनरों को विकेट से काफी मदद मिलती है, जिसके कारण भारत में स्पिनर ज्यादा करागर साबित होते हैं। जैसे-जैसे विकेट टूटने लगती है स्पिनरों को टर्न के साथ अधिक उछाल भी मिलने लगती है। अगर गेंदबाज गेंद को ड्रिफ्ट करवाना जानते हैं तब तो बल्लेबाजों को ऐसे गेंदबाज का सामना करने में ज्यादा ही कठिनाई आती है। क्योंकि ऐसे गेंदबाज पिच से अधिक फायदा लेने में कामयाब रहते हैं और बल्लेबाजों को खूब परेशान करते हैं।

भारत में विकेट सूखी और धीमी होती है साथ ही साथ विकेट में असमतल उछाल के साथ गेंद भी तेजी से टर्न होता है। ऐसी विकेटों पर खेलने के लिए बल्लेबाजों को अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत होती है। जिसके लिए बल्लेबाजों को स्पिन खेलने की कला बखूबी आनी चाहिए। स्पिन खेलने में परेशानी के कारण बल्लेबाज स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण भी स्पिनर्स बल्लेबाजों पर हावी हो जाते हैं। जब कोई एक बल्लेबाज ओवर की 6 गेंदें खुद खेलता है तब उसके आउट होने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए ऐसा कहा जाता था कि आप स्ट्राइक रोटेट करते रहें जिससे गेंदबाज को परेशानी हो, बल्लेबाज को नहीं।

विदेशी स्पिनर ने किया परेशान

पिछले 10-15 सालों में भारत में डेब्यू करने वाले विदेशी स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत का दौरा करने आई थी तब जेसन क्रेजा ने अपने डेब्यू मुकाबले के पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 4 विकेट चटकाए थे। उसके बाद से विदेशी स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों पर हावी होने लगे। अगर ऑस्ट्रेलिया के स्टीव ओ कैफी की बात करें तो उन्होंने 2021 में भारत का दौरा करते हुए दोनों पारी में 6-6 विकेट लिए थे। वहीं मैट कुहनैमन ने 5 विकेट लेकर भारतीय टीम को बता दिया था कि स्पिन खेलने की कला अब आपके पास उतनी अच्छी नहीं रही।

उसके बाद न्यूजीलैंड के एजाज पटेल ने एक पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा भी भारत के खिलाफ भारत में ही किया। उन्होंने उस मैच में कुल 14 विकेट चटकाए। वहीं टॉड मर्फी ने 2023 में डेब्यू करते हुए एक पारी में 5 विकेट चटकाए। अब इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले ही मैच में टॉम हर्टली ने डेब्यू करते हुए एक पारी में 7 विकेट चटकाए। उसके बाद शोएब बशीर ने इस टेस्ट सीरीज के चौथे और पांचवें मुकाबले में पांच-पांच विकेट चटकाए। इस सीरीज में इंग्लैंड के टॉम हार्टली ने कुल 22 विकेट चटकाए। इन 10-15 सालों में विदेशी स्पिनर ने भारत में आकर भारतीय टीम को ही परेशान किया है।

बल्लेबाज तकनीक पर नहीं कर पाते हैं काम

अब सालभर लगातार ही पूरे विश्व में क्रिकेट खेला जाता है। ऐसे में इंटरनेशनल क्रिकेटरों को अपनी कमियों पर काम करने का मौका भी बहुत कम मिलता है। अब जो भारतीय क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने लगते है वो घरेलू क्रिकेट में भाग नहीं लेते हैं। जिस कारण से उन्हें घरेलू गेंदबाज या स्पिनर को खेलने का कम मौका मिलता है। इसके अलावा अब बल्लेबाज गेंदबाज के साथ कम और बॉलिंग मशीन के साथ ज्यादा दिखते हैं। बॉलिंग मशीन के साथ बल्लेबाज घंटों अभ्यास करते हैं। वहीं लगातार क्रिकेट होने के कारण सीमित ओवरों में बल्लेबाज स्पिनर पर ज्यादा अटैकिंग रुख अपनाते हैं और रन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। फील्ड रिस्ट्रिक्शन होने के कारण बल्लेबाजों की कमियों का पता नहीं चलता है। जैसे ही यही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं उनकी कमियां साफ नजर आने लगती है।

गेंदबाज भी अब पहले जितना अभ्यास नहीं करते हैं। तीन फॉर्मेट में अपने आप फिट रखने के लिए गेंदबाज नेट में भी काफी कम समय व्यतीत करते हैं। जिस कारण से भी बल्लेबाजों को अपनी कमियों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है। लगातार मैचेज के कारण गेंदबाज अब ज्यादातर अपने फिटनेस पर ध्यान देते हैं। जिससे वो ज्यादा से मैच खेल पाएं। इस कारण से अब ज्यादातर बल्लेबाजों को नेट गेंदबाज ही अभ्यास कराते नजर आते हैं।

घरेलू क्रिकेट में स्पिनर अब उतने करागर नहीं

अब बात यह भी है कि अब घरेलू क्रिकेट में उतने अच्छे स्पिनर भी नहीं रह गए हैं जो बल्लेबाजों को ज्यादा परेशान कर सके। पहले घरेलू क्रिकटे में एक से बढ़कर एक स्पिनर हुआ करते थे। जो इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट को भी तवज्जो देते थे, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अब लगातार मैचेज रहने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेटर घरेलू में शामिल नहीं हो पाते है जिस कारण से अब बल्लेबाजों को क्वालिटी के स्पिनर नहीं मिलते हैं। इस कारण से भी अब घरेलू क्रिकेट में स्पिनर उतने करागर साबित नहीं होते हैं। अच्छे स्पिनर के नहीं होने के कारण बल्लेबाजों की कमियां नजर नहीं आती है।

स्पिन खेलने की बढ़िया तकनीक क्या है…

स्पिन को खेलने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आपके कदम चलते रहें। आप फ्रंटफूट और बैकफूट का इस्तेमाल अच्छे ढंग से करें। कुछ बल्लेबाज टर्न कम करने के लिए निकलकर खेलते है और कुछ बल्लेबाज गेंद को टर्न होने के बाद खेलना पंसद करते हैं। अगर आप ऐसे स्पिन को खेलोंगे तब सफलता आपको मिलेगी। स्पिनर के खिलाफ अगर आप फंस गए तब गेंदबाज आपको निश्चित तौर पर आउट कर देगा। इसके अलावा आपके हाथ सॉफ्ट होने चाहिए ताकि आसपास लगे फील्डर के पास गेंद नहीं जानी चाहिए। टेस्ट क्रिकेट में कुछ इस ढंग से स्पिन खेलकर आप अच्छे स्पिनर का सामना कर सकते हैं।

लेखक: उज्जवल कुमार सिन्हा

Read More

खुशी टारगेट क्रिकेट एकेडमी ने स्टार स्ट्राइकर्स को 3-0 से हराकर जीती सीरीज, अमन शर्मा बने प्लेयर ऑफ द सीरीज

पटना: खुशी टारगेट क्रिकेट एकेडमी (KTCA) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्टार स्ट्राइकर्स को तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में 3-0 से क्लीन स्वीप कर लिया। पूरे टूर्नामेंट में KTCA के खिलाड़ियों ने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और विकेटकीपिंग तीनों विभागों में शानदार तालमेल दिखाया, जिससे टीम को हर मुकाबले में जीत हासिल हुई।

पहले मुकाबले में अमन शर्मा का ऑलराउंड शो

श्रृंखला का पहला मैच KTCA के लिए एकतरफा साबित हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए KTCA ने निर्धारित 40 ओवरों में 7 विकेट पर 295 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में स्टार स्ट्राइकर्स की पूरी टीम 195 रन पर सिमट गई। इस मैच में अमन शर्मा ने बेहतरीन ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए 57 रन बनाए और 4 विकेट झटके, जिससे टीम को मजबूत जीत मिली।

दूसरा मुकाबला में प्रवीण सिन्हा की बेहतरीन गेंदबाज़ी

दूसरे मैच में स्टार स्ट्राइकर्स ने पहले बल्लेबाजी की लेकिन पूरी टीम 33.4 ओवरों में 145 रन पर ऑलआउट हो गई। जवाब में KTCA ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 20.4 ओवर में 7 विकेट खोकर जीत दर्ज की। इस मैच के हीरो रहे प्रवीण कुमार सिन्हा, जिन्होंने 30 रन बनाए और 3 अहम विकेट अपने नाम किए। उनका अनुशासित गेंदबाजी प्रदर्शन स्टार स्ट्राइकर्स की पारी की रीढ़ तोड़ने वाला साबित हुआ।

तीसरे मुकाबले में भी KTCA विजयी

तीसरे और अंतिम मुकाबले में KTCA की बल्लेबाजी थोड़ी लड़खड़ाई और टीम 31 ओवरों में 136 रन पर सिमट गई। इसके जवाब में स्टार स्ट्राइकर्स की टीम भी 134 रन तक ही पहुंच सकी (34.3 ओवर) और रोमांचक मुकाबला 3 रन से KTCA के नाम हो गया। इस मैच में स्टार स्ट्राइकर्स के गेंदबाज़ निर्भय कुमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 विकेट चटकाए, लेकिन उनकी मेहनत टीम को जीत नहीं दिला सकी। हालांकि, इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

पुरस्कार विजेता (Series Awards)

  • मैन ऑफ द सीरीज: अमन शर्मा (कुल 100 रन और 6 विकेट)
  • सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़: आकाश कुमार (कुल 101 रन)
  • सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़: प्रवीण कुमार सिन्हा (कुल 9 विकेट)
  • सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर: शुभम कुमार (8 कैच और 4 स्टंपिंग)

KTCA के कोच और आयोजकों ने टीम की जीत पर खुशी जाहिर की और कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और दबाव में खेलने की सीख देती हैं। KTCA के खिलाड़ी न सिर्फ शारीरिक रूप से मजबूत दिखे, बल्कि मानसिक रूप से भी मैदान पर पूरी तरह तैयार नज़र आए।

Read More

Bihar Divyang A टीम ने जीता दिव्यांग टी20 कप का खिताब, सिवान को रोमांचक मुकाबले में हराया

पटना: सिवान ने राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम में खेले गए दिव्यांग टी20 कप के फाइनल में बिहार दिव्यांग ए टीम ने सिवान को 7 विकेट से हराकर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। बिहार दिव्यांग क्रिकेट डेवलपमेंट एसोसिएशन की ए टीम ने जीत हासिल की। सिवान की टीम ने भी बेहतर खेल का प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी।

बिहार दिव्यांग ए टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। सिवान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सभी विकेट खोकर 124 रन बनाए। सिवान की शुरुआत अच्छी नहीं रही। शैलेश कुमार बिना खाता खोले ही आउट हो गए। उसके बाद दीपक कुमार 7 रन बनाकर चलते बने। अखिलेश कुमार ने 29 और धर्मेंद्र शाह ने 41 रनों की पारी खेली। बाकी बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर सके। वहीं अतिरिक्त के रूप में 34 रन बने। बिहार ए टीम के लिए अमन कुमार ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 15 रन देकर 3 विकेट चटकाए। उसके अलावा अमित कुमार ने 2, अजय ने 1, रंजन ने 1 और चंदन ने 1 विकेट चटकाए।

जवाब में 125 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बिहार दिव्ंयाग ए की टीम ने 3 विकेट खोकर मुकाबले को जीत लिया। हालांकि बिहार ए टीम की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही थी। धर्मेंद्र कुमार 3 रन बनाकर आउट हो गए। संतोष ने एक छोर संभाले रखा। उशके बाद रंजन भी तुरंत ही 1 रन बनाकर आउट हो गए। दो विकेट जल्दी गिरने के बाद अजय और संतोष के बीच 61 रनों की साझेदारी हुई। संतोष 29 रन बनाकर आउट हुए। वहीं अजय कुमार ने नाबाद 38 रन बनाकर टीम को जीत दिला दी। अंत में चंदन ने अजय का साथ दिया और 14 गेंदों में 24 रन बनाकर खिताब को अपने नाम किया। सिवान के लिए धर्मेंद्र शाह ने 1, संजूर ने 1 और संदीप ने एक विकेट चटकाए।

एसोसिएशन के सचिव ने क्या कहा?

मैच के समापन के बाद बिहार दिव्यांग क्रिकेट डेवलपमेंट एसोसिएशन के सचिव उज्ज्वल कुमार सिन्हा ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि दिव्यांग खिलाड़ियों के आत्मविश्वास, मेहनत और जुनून का प्रतीक है। हमारी कोशिश है कि दिव्यांग खिलाड़ियों को न सिर्फ राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया जाए। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें वे सभी सुविधाएं मिले, जिनके वे वास्तविक हकदार हैं।

हम आने वाले समय में एक बड़े राज्य स्तरीय और फिर राष्ट्रीय स्तर के दिव्यांग टूर्नामेंट की योजना बना रहे हैं, जिसमें बिहार के खिलाड़ी भाग ले सकें। हम लगातार जिलों में जाकर प्रतिभा की पहचान कर रहे हैं और उन्हें प्रशिक्षित कर रहे हैं। सिवान की टीम ने इस टूर्नामेंट में जो समर्पण और खेल भावना दिखाई, वह सराहनीय है। इस जिले ने बिहार दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन के विस्तार में अहम भूमिका निभाई है।

Read More

आर्मी पब्लिक स्कूल ने पटना जिला स्तरीय अंडर-15 सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल टूर्नामेंट में जीता खिताब

पटना: खेल विभाग, बिहार एवं बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में जिला प्रशासन, पटना द्वारा आयोजित पटना जिला स्तरीय सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल प्रतियोगिता के अंडर-15 बालक वर्ग के फाइनल मुकाबले में आर्मी पब्लिक स्कूल, पटना ने डॉन बॉस्को एकेडमी को 3-1 से हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ आर्मी पब्लिक स्कूल, पटना की टीम 4 से 8 अगस्त तक नालंदा में आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय अंडर-15 सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल प्रतियोगिता में पटना जिले का प्रतिनिधित्व करेगी।

यह मुकाबला पाटलिपुत्र खेल परिसर, कंकड़बाग में खेला गया। फाइनल में लाल जर्सी में उतरी आर्मी पब्लिक स्कूल की टीम ने शुरुआत से ही आक्रामक रुख अपनाया और विपक्षी गोल पोस्ट पर लगातार दबाव बनाए रखा। मैच के 11वें मिनट में आर्मी पब्लिक स्कूल के आशुतोष ने शानदार गोल करते हुए टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई।

इसके बाद, 30वें मिनट में एक बार फिर आशुतोष ने विपक्षी डिफेंस को छकाते हुए अपना दूसरा और टीम के लिए महत्वपूर्ण गोल किया। वहीं, मुहम्मद आबिद ने सुजीत के पास पर तीसरा गोल कर स्कोर को 3-0 कर दिया। डॉन बॉस्को एकेडमी की ओर से एकमात्र गोल देव आर्यन वत्स ने 43वें मिनट में किया, जिससे मुकाबला 3-1 के स्कोर पर समाप्त हुआ।

इससे पूर्व खेले गए सेमीफाइनल में डॉन बॉस्को एकेडमी ने लिट्रा वैली स्कूल को टाई ब्रेकर में 4-3 से हराया था, जबकि आर्मी पब्लिक स्कूल ने डॉन बॉस्को एकेडमी को 3-1 से पराजित कर फाइनल में प्रवेश किया।

उद्घाटन एवं सम्मान समारोह

प्रतियोगिता का उद्घाटन जिला खेल पदाधिकारी, पटना श्री ओम प्रकाश ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया और विजेता टीम को पुरस्कृत भी किया। इस अवसर पर श्री किरण कुमार झा, धीरेन्द्र पासवान, दीपक कुमार, मो. अफजल, मो. अमीरउद्दीन समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।फाइनल मैच में निर्णायक की भूमिका शशि कुमार सुमन, सूरज कुमार, अभिमन्यु कुमार एवं सुधांशु रंजन ने निभाई।

अंडर-17 वर्ग की भागीदारी

प्रतियोगिता के बालक अंडर-17 वर्ग में माउंट लिट्रा जी स्कूल, बाढ़ तथा बालिका अंडर-17 वर्ग में आर्मी पब्लिक स्कूल, पटना की टीमों ने भाग लिया। दोनों ही टीमें 4 से 9 अगस्त तक बेगूसराय में आयोजित राज्य स्तरीय अंडर-17 सुब्रतो मुखर्जी फुटबॉल प्रतियोगिता में पटना जिले का प्रतिनिधित्व करेंगी।

Read More

पटना जिला जूनियर डिवीजन क्रिकेट लीग में अक्षित दोहरे शतक से चूके, पॉयनियर सीसी, लक्ष्य इंजीटेक, वाईएसी राजेंद्रनगर और एवरग्रीन विजयी

पटना: पॉयनियर सीसी के अक्षित सिंह तोमर पटना जिला जूनियर डिवीजन क्रिकेट लीग में दोहरा शतक बनाने से चूक गए। अक्षित सिंह तोमर के शानदार 195 रन की पारी की बदौलत पॉयनियर सीसी ने पीरमुहानी सीसी पर 8 विकेट की जीत दर्ज की। अन्य मुकाबलों में लक्ष्य इंजीटेक, वाईएसी राजेंद्रनगर और एवरग्रीन सीसी ने जीत हासिल की। लक्ष्य इंजीटेक ने ट्रैम्फेंट सीसी को नौ विकेट, वाईएसी राजेंद्रनगर ने हरक्यूलस सीसी को 155 रन और एवरग्रीन सीसी ने सिविल ऑडिट को 65 रन से पराजित किया।

सिग्मा क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए मैच में टॉस जीत कर पहले बैटिंग करते हुए पीरमुहानी सीसी ने 35 ओवर में 6 विकेट पर 297 रन बनाये। तेजस कुमार गौतम ने 30, अनुज कुमार ने 32, रौनक कुमार ने 38, अमित कुमार ने नाबाद 31 रन बनाये। अतिरिक्त के सहारे 82 रन बने। जवाब में पॉयनियर सीसी ने अक्षित सिंह तोमर की धांसू बैटिंग की बदौलत 33.5 ओवर में दो विकेट पर 303 रन बना कर मैच अपने नाम कर लिया। अक्षित ने 129 गेंद में 28 चौका व 11 छक्का के सहारे नाबाद 195 रन की पारी खेली। अक्षित सिंह तोमर को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

संक्षिप्त स्कोर– पीरमुहानी सीसी : 35 ओवर में 6 विकेट पर 297 रन, तेजस कुमार गौतम 30, अनूज कुमार 32, रौनक कुमार 38, सुधाकर कोहली 24, सन्नी सिंह 28, आरुष पटेल नाबाद 26, अमित नाबाद 31, हर्ष राज 2/32, अक्षित सिंए तोमर 1/41, प्रांजल 1/72। पॉयनियर सीसी : 33.5 ओवर में दो विकेट पर 303 रन, अनिकेत मिश्रा 25, अक्षित सिंह तोमर नाबाद 195, अर्णव 43, अतिरिक्त 34, सत्यजीत 1/48

मंगलतालाब ग्राउंड पर खेले गए मैच में टॉस हार कर पहले बैटिंग करते हुए एवरग्रीन सीसी ने 29.5 ओवर में सभी विकेट खोकर 180 रन बनाये। पृथ्वी ने 91 रन की पारी खेली। जवाब में सिविल ऑडिट की टीम 21.5 ओवर में 115 रन पर ऑल आउट हो गई। विजेता टीम के कृष कश्यप (5 रन, 5 विकेट) को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

संक्षिप्त स्कोर– एवरग्रीन सीसी : 29.5 ओवर में 180 रन पर ऑल आउट, पृथ्वी 91, जसप्रीत सिंह 15, आदित्य नाबाद 29, अतिरिक्त 20, आदर्श 1/24, महरुफ 1/22, हिमांशु कुमार 1/21, अमीष शाश्वत 1/28, आर्यन राज 5/30। सिविल ऑडिट : 21.5 ओवर में 115 रन पर ऑल आउट, श्रेयांश कुमार 24, अमीस शाश्वत 12, आर्यन राज नाबाद 22, आदर्श 21, अतिरिक्त 23, शहनवाज 3/29, कृष कश्यप 5/13, प्रिंस कुमार 1/15, पृथ्वी 1/15

कृष्णा क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए मैच में वाईएसी राजेंद्रनगर ने टॉस जीत कर पहले बैटिंग करते हुए 28 ओवर में 7 विकेट पर 194 रन बनाये। जवाब में हरक्यूलस सीसी की टीम 12.5 ओवर में 8 विकेट पर 39 रन ही बना सकी। विजेता टीम के प्रतीक सिन्हा (19 रन, 3 विकेट) को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।

संक्षिप्त स्कोर– वाईएसी राजेंद्रनगर : 28 ओवर में 7 विकेट पर 194 रन, प्रिंस कुमार 24, आदित्य राज 51, युवराज 29, अभिषेक यादव 23,प्रतीक सिन्हा नाबाद 19, अतिरिक्त 36, आयुष 1/24, संकु कुमार 2/40, अमृत राज 1/36, ओसामा 1/32। हरक्यूलस सीसी : 12.5 ओवर में 8 विकेट पर 39 रन, ओसामा 23, अभिषेक राज 1/16, पुष्कर 2/10, ओम प्रकाश 2/5, प्रतीक सिन्हा 3/7

जेनेक्स क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए मैच में लक्ष्य इंजीटेक ने टॉस जीता और ट्रैम्फेंट सीसी को बैटिंग का न्योता दिया। ट्रैम्फेंट सीसी की टीम 26.4 ओवर में 57 रन पर ऑल आउट हो गई। जवाब में लक्ष्य इंजीटेक ने 10.5 ओवर में 1 विकेट पर 59 रन बना कर मैच अपने नाम कर लिया। मनीष मणि (2 विकेट) को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।

संक्षिप्त स्कोर– ट्रैम्फैंट सीसी- 26.4 ओवर में 57 रन पर ऑल आउट, श्रेयसकांत सिंह 13, रिशु 11, अतिरिक्त 14, प्रिंस कुमार 2/17, शुभम प्रजापति 2/12, प्रियांशु 2/7, मनीष मणि 2/16, विवेक कुशवाहा 1/3। लक्ष्य इंजीटेक : 10.5 ओवर में 1 विकेट पर 59 रन, शशांक 18, मोहम्मद शाहिद नाबाद 19, मयंक 1/12

Recent Articles

Subscribe Now
Do you want to subscribe to our newsletter?

Fill this form to get mails from us.