पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) मीडिया कमेटी के चेयरमैन कृष्णा पटेल ने बीसीए अध्यक्ष (कार्य पर रोक) द्वारा गोवा में हुई 25 सितंबर 2023 को बीसीसीआई की एजीएम में बीसीए को सोसायटी एक्ट से मुक्त कर कंपनी एक्ट के तहत निबंधन कराने को लेकर स्वीकृति प्रदान के लिए बीसीसीआई के मानद सचिव को अपने एजेंडा में शामिल करने के लिए जो पत्र लिखा गया था। उसे सार्वजनिक करते हुए कहा है कि अंग्रेजी भाषा में लिखित इस पत्र को मैं हिन्दी भाषा में जिला संघों के सामने रखने जा रहा हूं जिससे ध्यान पूर्वक पढ़ने और समझने के उपरांत आपको एहसास हो जायेगा कि खुला पर्चा निकला विलेन।
कृष्णा पटेल ने एक बार पुनः जिला संघों के सभी सदस्यों को इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि वक्त रहते हुए अगर आपकी ज़मीर नहीं जागी तो गुलामी की जिंदगी जीना तय है। जिसकी झांकी तो आप देख हीं रहे हैं जबकि पुरा पिक्चर्स अभी बाकी है और बीसीसीआई के मानद सचिव के पास भेजा गया यह पत्र चीख- चीखकर बयां कर रही है।
इससे पहले भी बीसीए के संविधान संशोधन के नाम पर 38 जिला संघ के बराबर अन्य क्लबों व एनजीओ को वोटिंग राइट का अधिकार देने का मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेश किया गया था। जिसे बीसीए के मानद सचिव अमित कुमार ने एक आईए फाइल कर जिला संघों के अस्तित्व को बचाया। लेकिन अध्यक्ष गिरोह ने जिला संघों को गुमराह कर कहा कि सचिव अपने हित के लिए आईए फाइल किया था और सफाई देते हुए कहा था कि मैं जिला संघों का सबसे बड़ा हितैषी हूं। जबकि सच्चाई सर्वविदित है कि बीसीए सचिव अमित कुमार संविधान के तहत बीसीए और डीसीए की वास्तविक अस्तित्व को कायम रखने के लिए आज भी मजबूत इरादा और पक्का विश्वास के साथ आगे बढ़ रहें हैं।
बीसीए संविधान संशोधन के मामला में अब पुरी तरह से विफल और फंसता हुआ देख एकबार पुनः जिला संघों को अंधकार में रखकर नया रास्ता निकालने का प्रयास में लगे हुए हैं जो मुंगेरीलाल के किसी हसीन सपनों से कम नहीं है या यूं कहें कि अंग्रेजी हुकूमतों जैसी किसी मायावी जाल से कम नहीं है। जैसे अंग्रेजों ने एक व्यापारी के भेष में देश में अपना पैठ बनाया और धीरे – धीरे समस्त देशवासियों को अपनी मायावी जाल में फंसाकर शासन करने लगा और हमारे पूर्वज गुलामी की जिंदगी जीने लगे थें।
जो पत्र बीसीए अध्यक्ष (कार्य पर रोक) द्वारा बीसीसीआई को भेजा गया था वो हिन्दी भाषा में इस प्रकार है जिसे पढ़ने के उपरांत आपको खुद समझ में आ जाएगा :-
आइटम एन:- पूर्ण सदस्य द्वारा दिए गए किसी प्रस्ताव पर विचार
उत्तर:- बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा नोटिस दिया गया है
मानद सचिव को
बीसीसीआई
महोदय,
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की आम सभा के निर्णय के अनुसार। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को कंपनी एक्ट के तहत निबंधित करने पर सर्वसम्मति से सहमति बनी। आपको यह सूचित करना उचित है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक पंजीकृत इकाई है और बिहार सरकार का 1860 ई. यह सूचित करना है कि हम गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो हमारे नियंत्रण से परे हैं और कई बार ऐसा लगता है कि पंजीकरण विभाग की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित और दोषपूर्ण है। यह हमें कई ऐसे मुद्दों में फंसा देता है जो अनुचित और दुर्भावनापूर्ण हैं। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की आम सभा ने अपनी विभिन्न बैठकों में इस विषय पर चर्चा की। इस मामले को सबसे पहले 31 जनवरी 2020 की हमारी आम सभा की बैठक में उठाया गया और उसके बाद 12 फरवरी 2023 की आम सभा की बैठक में उठाया गया और अंततः 28 जुलाई 2023 को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मौजूदा सोसायटी के स्थान पर प्रचलित कंपनी अधिनियम के साथ पंजीकृत करने की पुष्टि की गई। बिहार सरकार के अधीन पंजीकरण अधिनियम। इस बात की सूचना आपको अति सम्मानित कार्यालय को पहले ही दे दी गई है।
अब हमारी आम सभा के निर्णय के अनुसार हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया हमें इसे कंपनी अधिनियम के साथ पंजीकृत कराने की अनुमति दें। इसके अलावा हम आपसे यह भी अनुरोध करते हैं कि कृपया इसे 25 सितंबर 2023 को होने वाली बीसीसीआई की आगामी एजीएम के एजेंडे में शामिल करें और 3 सितंबर 2023 के नोटिस के माध्यम से बीसीसीआई की उसी बैठक के एजेंडे के खंड “एन” के अनुसार इसे शामिल करें।