पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के सचिव अमित कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि वर्तमान समय में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के कमिटी ऑफ़ मैनेजमेंट की कोई बैठक नहीं बल्कि कुछ अनाधिकार और असंवैधानिक कार्य करने वाले गिरोह के द्वारा हर दिन एक किट्टी पार्टी चल रही है।
बीसीए सचिव अमित कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि फिलहाल कोरम के अभाव में संवैधानिक रूप से बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक कर पाना संभव नहीं है । इसीलिए वर्तमान समय में बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की कोई आकस्मिक बैठक आयोजित नहीं की गई है । मुझे सोशल मीडिया और वेब मीडिया के माध्यम से अभी-अभी सूचना प्राप्त हुई है कि कुछ अनैतिक, अनाधिकार और असंवैधानिक कार्य करने वाले गिरोह के द्वारा हर दिन की तरह 17 जून 2023 को भी एक किट्टी पार्टी आयोजित की गई है उसे बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक के रूप में प्रसारित कर जिला संघों को दिग्भ्रमित करने व अपनी झूठी शान बचाने के लिए नया-नया हथकंडा आजमा रहा है।
ज्ञात हो कि याचिकाकर्ता योशिता पटवर्धन सचिव अरवल जिला क्रिकेट संघ ने बीसीए की लोक अदालत में तत्कालीन माननीय लोकपाल सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश राघवेंद्र प्रसाद सिंह के समक्ष बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी, पुरुष खिलाड़ी प्रतिनिधि विकास कुमार रानू व महिला खिलाड़ी प्रतिनिधि लवली राज पर कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला दर्ज कराया था। जिस पर कार्रवाई करते हुए तत्कालीन लोकपाल महोदय ने उपरोक्त नामजदों के सभी प्रकार के कार्यों व किसी प्रकार की बैठक करने पर अगले आदेश तक रोक लगाने का फरमान जारी किया था। जिसे वर्तमान लोकपाल सह नैतिक अधिकारी सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश श्री पारसनाथ राय ने भी तत्कालीन लोकपाल द्वारा जारी फरमान को सही मानते हुए उक्त नामजदों के कार्य पर लगी रोक की अवधि को अगले आदेश तक बढ़ाने का फरमान सुनाया है।
जबकि 4 फरवरी 2023 को जिला संघों के आग्रह पर नालंदा में विशेष आम सभा की बैठक आहूत की गई थी। जिसमें बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के क्रियाकलापों पर कई सवालिया निशान लगाया गया और तरह-तरह के ऑडियो-वीडियो भी दिखाए गए।
जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए सदन सम्मानित सदस्यों ने बीसीए अध्यक्ष के सभी प्रकार के कार्यों पर रोक लगाते हुए आम – आवाम से मिल रही विभिन्न प्रकार के शिकायतों की निष्पक्ष जांच के लिए बीसीए टूर्नामेंट कमेटी के पूर्व चेयरमैन संजय सिंह के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर दी थी।
वहीं 4 जून 2023 को बीसीए कार्यालय में हुई वार्षिक आम सभा की बैठक में सदन के सदस्यों के समक्ष जांच कमेटी के चेयरमैन द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया साथ हीं साथ सदन द्वारा कार्य पर रोक अध्यक्ष , माननीय लोकपाल द्वारा कनफ्लिक्ट्स ऑफ इंटरेस्ट के मामले में नामजद बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी सहित अन्य लोगों ने कई अनैतिक, अनाधिकार व असंवैधानिक फर्जी बैठक करते रहें। जिस पर सदन के सम्मानित सदस्यों ने बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी को माननीय लोकपाल के आदेश व सदन की अवहेलना करने में दोषी पाया और बीसीए अध्यक्ष की बर्खास्तगी पर अपनी मुहर लगा दी है।
विदित है कि नालंदा जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्षा हेमा कुमारी सिन्हा ने माननीय लोकपाल सह नैतिक अधिकारी सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश श्री पारसनाथ राय के समक्ष बीसीए चुनाव में हुई फर्जीवाड़ा के खिलाफ याचिका दायर करते हुए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष दिलीप सिंह व कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह पर बीसीए संविधान का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से निर्विरोध निर्वाचित किए जाने मामला उठाया है। जिस पर माननीय लोकपाल ने याचिकाकर्ता के विद्वान वकील सत्य प्रकाश कि दलील को सुनने के पश्चात 23 जून तक उक्त नामजदों को अपना पक्ष रखने का समय देते हुए माननीय लोकपाल ने अगले आदेश तक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के कार्य पर रोक लगाने का फरमान जारी कर चुकें हैं।
जानकर आपको घोर आश्चर्य होगा कि याचिकाकर्ता ओमप्रकाश तिवारी ने पटना उच्च न्यायालय में बीसीए की हुई चुनाव 25.09.2022 को बीसीए संविधान व सुसंगत धाराओं (रूल्स एंड रेगुलेशंस) व माननीय सर्वोच्च न्यायालय कि अवहेलना कर मतदाता सूची में नाम शामिल नहीं होने के बावजूद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष पद पर अवैध रूप से निर्वाचित पदाधिकारी बनने व अन्य प्रकार के फर्जीवाड़ा करने का मामला उठाया। जिस पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा ने बिहार सरकार को 45 दिनों के अंदर इससे संबंधित विषय की निष्पक्षता के साथ जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया था।
बिहार में खेल समाचार को प्रकाशित करने वाले एक प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से यह बात सामने निकल कर आई है कि माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश का पालन करते हुए बिहार सरकार ने उक्त मामला की जांच करने के पश्चात विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए बीसीए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, व कोषाध्यक्ष पद पर अपनी देखरेख में चुनाव संपन्न कराने का पत्र जारी किया है।
इस सच्चाई को जानने के पश्चात बीसीए के तथाकथित पदाधिकारी अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं और अपनी किसी प्रकार के निजी किट्टी पार्टी को बीसीए बैठक का नाम देकर अपनी झूठी भौकाली व अपना अस्तित्व बचाने के लिए लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बीसीए सचिव ने आगे कहा कि बीसीए सदन के सम्मानित सदस्यों, माननीय विद्वान लोकपाल का आदेश व माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर बिहार सरकार मद्य -निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद अनैतिक, अनाधिकार व असंवैधानिक कार्यों को अंजाम देने वाले गिरोह का “अब शरीर पड़ा है ठंडा , तो खिसियानी बिल्ली नोचने लगा है खंभा ” इसीलिए कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट मामले में कार्य पर रोक संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी को किसी प्रकार के बैठक बुलाने का अधिकार नहीं है बल्कि निजी किट्टी पार्टी कर रहे हैं इस लोकतांत्रिक देश में ऐसी छोटी – मोटी किट्टी पार्टी करने का अधिकार सभी को है जिस पर रोक नहीं लगाया जा सकता।