पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के माननीय लोकपाल और नैतिक अधिकारी सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री पारसनाथ राय ने नालंदा जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्षा व बीसीए अध्यक्ष पद कि प्रत्याशी रही हेमा कुमारी सिन्हा द्वार लोकपाल के समक्ष दायर याचिका संख्या 03/2023 कि सुनवाई करते हुए बीसीए अध्यक्ष सहित उपाध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष के कार्य पर अगले आदेश तक रोक लगाए रखने का आदेश जारी कर दिया है।
जिसकी विस्तृत जानकारी देते हुए बीसीए मीडिया कमेटी के चेयरमैन कृष्णा पटेल ने बताया कि पिछले वर्ष 25 .09. 2022 को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव संपन्न हुआ था। जिसमें कई प्रकार की त्रुटियां देखने को मिली और उस त्रुटियों को उजागर करने के लिए बीसीए अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रह चुकी नालंदा जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्षा हेमा कुमारी सिन्हा ने बीसीए के माननीय लोकपाल सह नैतिक अधिकारी श्री पारसनाथ राय के समक्ष याचिका दायर की। जिसमें बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष दिलीप सिंह एवं कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह के संदर्भ में जिक्र किया है कि ये तीनों लोग बीसीए के ना तो पूर्ण सदस्य हैं, ना हीं वे पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और ना हीं वे किसी जिला संघ के प्रतिनिधि हैं और बिहार क्रिकेट संघ के संविधान का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से चुनाव में अपने- आपको बीसीए के निर्विरोध पदाधिकारी घोषित करा चुके हैं।
याचिकाकर्ता हेमा कुमारी सिन्हा के विद्वान अधिवक्ता सत्य प्रकाश ने लोकपाल सह नैतिक अधिकारी श्री पारसनाथ राय के अदालत में समक्ष उपस्थित होकर 25.09.2022 को हुई बीसीए चुनाव की वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए मतदाता सूची प्रस्तुत किया और बताया कि हुई बीसीए चुनाव के निर्वाचन अधिकारी द्वारा सर्वप्रथम 41 सदस्यों को नामित किया गया था लेकिन उस सूची में कहीं भी उत्तरदाता राकेश कुमार तिवारी अध्यक्ष बीसीए, दिलीप सिंह उपाध्यक्ष एवं आशुतोष नंदन सिंह कोषाध्यक्ष का नाम नहीं मिलता है वहीं निर्वाचन अधिकारी ने अंतिम निर्वाचक नामावली प्रकाशित की है जिसमें कुल 32 सदस्यों का नाम का जिक्र है लेकिन उपरोक्त तीनों व्यक्तियों का नाम इसमें नहीं मिलता है। इसके बावजूद उन्हें नामांकन की अनुमति दी गई अंततः उनके नाम को मंजूरी दे दी गई और चुनाव लड़ा और उत्तरदाता निर्विरोध निर्वाचित भी हुए। जिससे यह स्पष्ट होता है कि मिलीभगत के तहत इस कार्य को संपादित किया गया है।
विद्वान वकील ने आगे बताया कि बिहार क्रिकेट संघ के संविधान के नियम 9 (1) के अनुसार बीसीए के पदाधिकारियों को पूर्ण सदस्यों द्वारा और बीसीए के पूर्व अंतरराष्ट्रीय सदस्य द्वारा वार्षिक आमसभा की बैठक में उनके प्रतिनिधि के बीच से चुना जाएगा। निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी मतदाता सूची से यह स्पष्ट होता है कि राकेश कुमार तिवारी, दिलीप सिंह और आशुतोष नंदन सिंह ना तो बीसीए के पूर्ण सदस्य हैं ना हीं वे पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और ना हीं वे किसी जिला संघ के प्रतिनिधि है और वे बीसीए चुनाव में अवैध रूप से चुने गए हैं ।
अभिलेखों के अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि आदेश दिनांक 19 .05. 2023 की नोटिस उत्तरदाताओं के खिलाफ उनके ईमेल के साथ-साथ स्पीड पोस्ट के माध्यम से जारी किए गए थे। ईमेल का अनुपालन किया गया है और इसी तरह स्पीड पोस्ट अभी तक वापस नहीं आया है जिसका अर्थ है कि समन की तामील वैध है। याचिकाकर्ता के वकील सत्यप्रकाश ने माननीय लोकपाल के समक्ष बीसीए संविधान के नियम 9(1) के अवलोकन से निम्नानुसार चलता है का हवाला देते हुए संविधान का जिक्र किया, जो इस प्रकार है:-
9. पदाधिकारियों का चुनाव एवं कार्यकाल :-
(१.) बीसीए के निम्नलिखित पदाधिकारियों को वार्षिक आम सभा में उनके प्रतिनिधि के बीच से बीसीए के पूर्व सदस्य और पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों सदस्यों द्वारा प्रभावित किया जाएगा :-
1. अध्यक्ष
2. उपाध्यक्ष
3. सचिव
4. संयुक्त सचिव
5. कोषाध्यक्ष
अनुलग्नक (2) के अवलोकन से अर्थात बिहार क्रिकेट संघ के निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय द्वारा निर्वाचक नामावली का मसौदा प्रकाशन (यहां इसके बाद बीसीए के रूप में संदर्भित) गौरतलब है कि राकेश कुमार तिवारी, दिलीप सिंह व आशुतोष नंदन सिंह के नाम को जगह नहीं मिली है।
इसी प्रकार अनुलग्नक (3) निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से बीसीए की मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी यह बताता है कि बीसीए के गठन के नियम (9) के अनुसार इन तीनों अधिकारियों का नाम वहां उपलब्ध नहीं था। जिससे यह स्पष्ट है कि यह तीनों उत्तरदाता बीसीए चुनाव लड़ने के हकदार नहीं थें। इसलिए माननीय से आग्रह है कि प्रथम दृष्टया यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ता के पास एक अच्छा मामला है और अगर इन तीनों प्रतिवादियों को बीसीए के दिन – प्रतिदिन के कामकाज से नहीं रोका गया तो आज तक अपूरणीय क्षति हुई है और आगे भी होती रहेगी।
बीसीए के विद्वान माननीय लोकपाल सह नैतिक अधिकारी सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश श्री पारसनाथ राय ने याचिकाकर्ता के विद्वान वकील को सुना और तीनों प्रतिवादियों प्रतिवादी नंबर 2 राकेश कुमार तिवारी, अध्यक्ष बीसीए, प्रतिवादी नंबर 3 दिलीप सिंह, उपाध्यक्ष बीसीए एवं प्रतिवादी नंबर 6 आशुतोष नंदन सिंह कोषाध्यक्ष के सभी प्रकार के दायित्वों और कार्य पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए बीसीए के पदाधिकारियों या बीसीए के कॉम के सदस्यों के रूप में कर्तव्यों एवं ऊपर वर्णित तथ्यों के मद्देनजर उन्हें 23 जून 2023 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि 4 फरवरी 2023 को जिला संघों के मांग पर नालंदा में हुई विशेष आम सभा की बैठक में सदन के सदस्यों ने पहले हीं बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के कार्य पर रोक लगाते हुए उनके क्रियाकलापों के खिलाफ मिल रही विभिन्न प्रकार की शिकायतों की जांच के लिए संजय सिंह के नेतृत्व में त्रिसदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी थी और 4 जून 2023 को हुई बीसीए की वार्षिक आम सभा की बैठक में जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में दोषी करार देते हुए सदन के सम्मानित सदस्यों ने बीसीए अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया और अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु संबंधित पदाधिकारियों के पास अग्रसारित करने का निर्णय लिया गया है।