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Rinku Singh पर कभी बीसीसीआई ने लगाया था बैन, अब गुजरात टाइटंस के खिलाफ लगातार पांच छक्का जड़कर रातों-रात बनें स्टार; जानें कैसा रहा है रिंकू सिंह का सफर

आईपीएल 2023 (IPL 2023) का आगाज हो चुका है। शुरुआत के कुछ मैच में ही आईपीएल का रोमांच अपने चरम पर पहुंच गया है। इस आईपीएल में एक ऐसे खिलाड़ी ने अपनी गाथा लिखी है, जिसकी चर्चो पूरे विश्व क्रिकेट में शुरू हो गई है। यह खिलाड़ी कोई और नहीं रिंकू सिंह (Rinku Singh) है। जिन्होंने पांच गेंदों पर पांच छक्के जड़कर कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिला और रातों-रात हीरो बन गए। उत्तर प्रदेश का यह सितारा जो आईपीएल 2023 में अपनी चमक बिखेर रहा है।

रिंकू सिंह ने पांच छक्का लगाकर मैच को पूरी तरह से पलट दिया और गुजरात टाइटंस को हराकर मुकाबले को जीत लिया। पांच गेंदों पर पांच छक्कें जड़ने के बाद रिंकू ने अपना नाम क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज करा लिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रिंकू सिंह ने जो मुकाम हासिल की वो काफी संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में अपने आप को निखरा है और आज यह मुकाम हासिल कर पाए हैं। आइए जानते हैं कैसे रिंकू सिंह बने सिक्सर किंग।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ रिंकू सिंह का जन्म

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 12 अक्टूबर 1997 को जन्में रिंकू सिंह का पढ़ाई में कुछ खास लगाव नहीं था। रिंकू के पिता चंद्र सिंह एलपीजी सिलेंडर बांटने का काम करते है। सिलेंडर डिलीवरी का काम करने वाले चंद्र सिंह का घर दो कमरों तक ही सिमिट था। रिंकू को बचपन से पढ़ाई में मन नहीं लगता था। बल्कि इससे उल्टा रिंकू का मन खेल में हमेशा लगा रहता था। इसके बावजूद भी रिंकू के माता-पिता ने कभी भी रिंकू को स्कूल भेजना बंद नहीं किया।

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रिंकू सिंह ने 10 से 11 साल में क्रिकेट को अच्छी तरह से समझ लिया था। रिंकू अपना अधिक समय क्रिकेट को देने लगे थे। रिंकू सिंह अपने पांच भाई-बहनों के साथ गोदाम के परिसर में दो रूम के कमरें में रहते थे। रिंकू सिंह बचपन से गरीबी के माहौल मे पले बढ़े। पिता गैस डिलीवरी का काम करते थे तो वहीं सबसे बड़ा भाई ऑटो रिक्शा चलाता था। जबकि उनका एक बड़ा भाई एक कोचिंग सेंटर में काम करता था।

कठिनाइयों से परिवार का पेट पालने वाले पिता ने रिंकू के कौशल को नहीं पहचाना

कठिनाइयों से परिवार का पेट पालने वाले पिता में इतनी समझ नहीं थी कि अपने बच्चों के कौशल को पहचान कर उन्हें सही रास्ता दिखाए। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण के रिंकू का मन खेल से मानों लग सा गया था। जिससे उनके पिता हमेशा नाराज ही रहते थे। रिंकू के क्रिकेटर बनने की बात पर पिता ने कई बार नाराज होकर उनकी पिटाई भी की ऐसा सिर्फ उन्होंने परेशानी में किया।

एक पिता का ख्वाब होता है कि बेटा किसी तरह कुछ करके कमाने लग जाए। इसके अलावा रिंकू कहते है कि क्रिकेट खेलने के लिए उनको समर्थन भी घरवालों से मिला। जिससे मुझे उस जगह तक पहुंचने में मदद मिली, आज मैं जहां भी हूं।

Rinku Singh With His Family

रिंकू के पिता घर परिवार देखकर चलने वाले आदमी थे, उन्हें पता था कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इन सबके बावजूद रिंकू ने 2009 में क्रिकेट खेलने का मन बना लिया था। रिंकू के इसी लगन के कारण वो 2012 में यूपी के टीम में चुने गए। इसके बाद रिंकू सिंह का परिवार एक बार फिर तंगी से झूझने लगा। ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण रिंकू को झाड़ू पोछा लगाने का काम मिला। उन्हें नौकरी तो चाहिए थी लेकिन वह सफाई कर्मी बनने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने मन बना लिया कि अब क्रिकेट में ही कुछ करूंगा।

रिंकू कहते हैं मैं इतना पढ़ा लिखा नहीं हूं कि पढ़ाई के आधार पर काम कर सकूं मैं केवल क्रिकेट ही है जो मुझे आगे बढ़ा सकता है और क्रिकेट के अलावा कोई विकल्प ही नहीं था। क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का कोई और रास्ता ही नहीं था। बड़े भाई की तरह पिता भी हर महीने 6 से ₹7000 कमाते थे। क्रिकेट करियर में उनके परिवार को गरीबी के बोझ से बाहर निकालने में मदद की।

रिंकू सिंह का क्रिकेट करियर

2012 में यूपी के टीम से खेलने के बाद रिंकू सिंह का बेहतरीन प्रदर्शन लगातार जारी रहा। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उत्तरप्रदेश के अंडर-19 और अंडर-23 टीम में जगह मिली। इसके अलावा उन्होंने अंडर-19 में सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व भी किया। रिंकू सिंह ने महज 16 साल की उम्र में लिस्ट A  क्रिकेट में डेब्यू किया। उन्होंने पहले ही मैच में शानदार पारी में खेलते हुए 87 गेंदों में 84 रनों की पारी खेली।

सैय्यद मुस्ताक अली ट्रॉफी में 31 मार्च 2014 को विदर्भ के खिलाफ खेलते हुए अपने डेब्यू मैच में ही इन्होने 5 गेंदों पे तूफानी अंदाज़ में बल्लेबाजी करते हुए तीन चौकों और दो गगनचुम्बी छक्कों की मदद से 24 रन बना दिए और दूसरी पारी में गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 3 ओवर में 46 रन देकर एक विकेट भी लिया। इसके बाद उन्होंने 5 नवंबर 2016 को 18 वर्ष की उम्र में 2016-17 की रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया।

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इनके अच्छे प्रदर्शन का फायदा इन्हें आईपीएल के 2017 के सीजन में मिला। जब किंग्स एलेवेन पंजाब ने रिंकू सिंह को 10 लाख के बेस प्राइस पर खरीदा। लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इसके बाद 2018 के विजय हज़ारे ट्रॉफी के एक मैच में त्रिपुरा के विरूद्ध ताबड़तोड़ अंदाज़ में बल्लेबाजी करते हुए 44 गेंद में नाबाद 91 रन बनाये और इसकी मदद से उन्हें 2018 में कोलकाता नाईट राइडर्स की टीम ने उन्हें 80 लाख रुपये में खरीदा। 2018 में रिंकू का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था।

2018 में अपने ख़राब प्रदर्शन के बाद रिंकू सिंह ने कोलकाता के बैटिंग मेंटर अभिषेक नायर के साथ समय बिताया और इसका फायदा उन्हें 2018-2019 के रणजी सीजन में भी हुआ और उन्होंने 10 पारियों में 953 रन बनाकर टूर्नामेंट के तीसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे जिसमे उन्होंने चार शतक लगाए थे (163*, 149, 149 और 150)।  रणजी ट्रॉफी में रिंकू ने 40 मैचों की 59 परियों में 59.89 की उम्दा औसत से 2875 रन बनाये हैं। रणजी ट्रॉफी में रिंकू का उच्चतम स्कोर 163 रन है।

बीसीसीआई ने 2019 में लगाया था बैन

साल 2019 में बीसीसीआई ने रिंकू सिंह को तीन महीनों का प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान उनके क्रिकेट के करियर पर ब्रेक लग गया था। रिंकू सिंह ने बिना बीसीसीआई को जानकारी दिए अबुधाबी में एक टी-20 लीग में हिस्सा लिया था। जब इसकी जानकारी बीसीसीआई को लगी तो उन्होंने कड़ा एक्शन लेते हुए तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया। इस घटना के बाद रिंकू सिंह ने ऐसा कभी नहीं करने की ठानी। उसके बाद फिर रिंकू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

आईपीएल 2022 में रिंकू को मौके मिलने शुरू हो गए। पिछले साल रिंकू सिंह ने लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ 15 गेंदों पर 40 रन बनाकर टीम को जीत के दहलीज पर पहुंचा दिए। लेकिन कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम 2 रनों से हार गई। जिसके बाद केकेआर की तरफ से लगातार मौके मिलने शुरू हो गए। जिसके बाद रिंकू के प्रदर्शन में भी निखार आने लगा। आईपीएल 2023 में 5 गेंदों में पांच छक्के जड़कर अपनी एक अलग पहचान बना ली है। इसके साथ ही आईपीएल के इतिहास में पांच लगातार गेंदों में पांच छक्के लगाने वाले पांचवे खिलाड़ी बन गए।

 

Written By- उपासना कुमारी

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IPL टीम से क्रिकेट अकादमी तक, प्रतीक पुरी की विजन ने बदली दिल्ली कैपिटल्स की तस्वीर

IPL टीम से क्रिकेट अकादमी तक, प्रतीक पुरी की विजन ने बदली दिल्ली कैपिटल्स की तस्वीर

नई दिल्ली: IPL में अपने प्रदर्शन के लिए मशहूर रही दिल्ली कैपिटल्स अब एक नई पहचान गढ़ रही है। दिल्ली कैपिटल्स ऐसी फ्रेंचाइजी के रूप में आगे बढ़ रही है जो भारतीय क्रिकेट के भविष्य का संवारने और तैयार करने में अहम भूमिका निभा रही है।दिल्ली कैपिटल्स अब सिर्फ एक क्रिकेट टीम नहीं, बल्कि एक क्रिकेटिंग इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।

एकेडमी नेटवर्क से भविष्य के सितारों की तैयारी

2019 में रिब्रांडिंग के बाद से दिल्ली कैपिटल्स ने अपने विजन को पूरी तरह बदला है। अब यह फ्रेंचाइज़ी देशभर में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी क्रिकेट अकादमियों का मजबूत नेटवर्क तैयार कर चुकी है। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार के अलावा यूनाइटेड किंगडम और कनाडा जैसे देशों में मौजूद इन एकेडमियों में 6 से 18 साल के हजारों बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं। इन सेंटरों पर न केवल पेशेवर क्रिकेट कोचिंग दी जा रही है, बल्कि फिटनेस, न्यूट्रिशन, मेंटल हेल्थ और खेल मनोविज्ञान जैसे पहलुओं पर भी खास ध्यान दिया जाता है। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों को एक पूर्ण एथलीट के रूप में विकसित करना है।

लंबी दूरी की सोच, जल्दबाजी नहीं

दिल्ली कैपिटल्स की यह पहल किसी तात्कालिक सफलता की कोशिश नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। एकेडमी नेटवर्क का उद्देश्य है ऐसा टैलेंट तैयार करना जो आने वाले वर्षों में आईपीएल, घरेलू क्रिकेट और यहां तक कि भारतीय टीम का भी प्रतिनिधित्व कर सके।

अब तक कई युवा खिलाड़ी दिल्ली कैपिटल्स की एकेडमी से निकलकर स्टेट और नेशनल जूनियर टीमों में जगह बना चुके हैं। खास बात यह है कि इन एकेडमियों का सीधा जुड़ाव दिल्ली कैपिटल्स की स्काउटिंग और एनालिटिक्स टीम से है, जो उभरती प्रतिभाओं पर लगातार नजर रखती है और उन्हें आगे बढ़ने का मौका देती है।

नेतृत्व में बदलाव: प्रतीक पुरी का अहम योगदान

दिल्ली कैपिटल्स की इस बदलाव भरी यात्रा में प्रतीक पुरी की भूमिका बेहद अहम रही है। 2023 के अंत में ‘हेड ऑफ एकेडमीज़’ की ज़िम्मेदारी संभालने वाले प्रतीक खुद एक पूर्व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और बीसीसीआई से प्रमाणित कोच हैं।

उनके नेतृत्व में दिल्ली कैपिटल्स ने न केवल नए शहरों में एकेडमियां खोली हैं, बल्कि प्रशिक्षण को डेटा-ड्रिवन और स्टैंडर्डाइज किया है। पहली अंतरराष्ट्रीय एकेडमी की शुरुआत, खिलाड़ियों के लिए परफॉर्मेंस ट्रैकिंग सिस्टम, स्कॉलरशिप प्रोग्राम और अनुभवी आईपीएल कोचों से मेंटरशिप जैसे कई इनिशिएटिव प्रतीक के कार्यकाल में शुरू हुए हैं। टीम के एक सदस्य के अनुसार, “प्रतीक सिर्फ एकेडमियों का विस्तार नहीं कर रहे — वो भारत में खेल शिक्षा की संस्कृति को बदल रहे हैं।”

मजबूत नींव, दूरदर्शी सोच

दिल्ली कैपिटल्स की यह पहल JSW और GMR जैसे प्रतिष्ठित समूहों द्वारा संचालित की जा रही है, जिनका फोकस सिर्फ CSR या मार्केटिंग तक सीमित नहीं है। उनकी दीर्घकालिक योजना है दिल्ली कैपिटल्स को एक वैश्विक क्रिकेट ब्रांड बनाना, जिसकी जड़ें भारतीय संस्कृति और क्रिकेटिंग परंपरा में गहराई से जुड़ी हों। उनकी सोच साफ है कि एक बच्चे को उसकी पहली क्रिकेट ट्रेनिंग से लेकर आईपीएल और उससे आगे तक का सफर तय करवाने वाला एक मजबूत सिस्टम खड़ा करना।

नए दौर के लिए नई तैयारी

जैसे-जैसे क्रिकेट एक तेज़, पेशेवर और वैश्विक खेल बनता जा रहा है, वैसे-वैसे ज़रूरत है ऐसे खिलाड़ियों की जो न केवल तकनीकी रूप से सक्षम हों, बल्कि मानसिक रूप से मजबूत और रणनीतिक दृष्टि से भी आगे हों। दिल्ली कैपिटल्स इस बदलाव को समझ रही है और उसी के अनुरूप अगली पीढ़ी को तैयार कर रही है।

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Khelo India Youth Games 2025 की सबसे युवा एथलीट बनी निलांजना, भारत के लिए खेलने का है सपना

Khelo India Youth Games 2025 की सबसे युवा एथलीट बनी निलांजना, भारत के लिए खेलने का है सपना

राजगीर: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (Khelo India Youth Games 2025) में हिस्सा लेने वाले लगभग 6000 एथलीटों में एक 8 वर्षीय टेबल टेनिस खिलाड़ी भी शामिल हैं। जिसने अपनी प्रतिभा से सभी को हैरान कर दिया। बिहार की निलांजना शर्मा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में भाग लेने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बनी। महज 8 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी प्रतिभा से एक अलग पहचान बना ली है।

निलांजना बिहार के मुज़फ्फरपुर की निवासी हैं और यह उनका पहला मौका है जब वह खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग ले रही हैं। निलांजना को उनके पिता निरंजन कुमार शर्मा ने प्रशिक्षित किया है। जो मुज़फ्फरपुर के डीएवी पब्लिक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी हैं।

निलांजना ने अपनी खेल यात्रा 3 साल की उम्र में शुरू की थी। उनके पिता ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हम चाहते थे कि निलांजना लॉन टेनिस सीखे, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण हमने वह विचार छोड़ दिया। फिर जब हमने देखा कि वह टेबल टेनिस में रुचि रखती है, तो हमने उसे इस खेल में प्रशिक्षित करना शुरू किया। आज भी मैं ही उसे ट्रेन करता हूँ और उसने कहीं और से किसी भी प्रकार की प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है। उसकी सफलता केवल उसके खेल के प्रति प्यार और पैशन की वजह से है।

निलांजना ने कई उपलब्धियां हासिल की है

निलांजना ने अपनी मेहनत और समर्पण से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 2022 में उन्होंने बिहार स्टेट चैंपियनशिप के अंडर-11 श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उसी साल अंडर-13 और अंडर-15 श्रेणियों में क्रमशः दूसरा स्थान और दूसरा स्थान प्राप्त किया। 2024 में निलांजना ने अंडर-11 श्रेणी में एक बार फिर पहला स्थान हासिल किया। वहीं अंडर-13 श्रेणी में भी उन्होंने पहला स्थान और अंडर-15 श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

भारत के लिए खेलने का है सपना

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लेने वाली बिहार टेबल टेनिस टीम के कोच राहुल कुमार ने पुष्टि करते हुए कहा कि निलांजना शर्मा खेलो इंडिया 2025 में भाग लेने वाली सबसे युवा एथलीट हैं। जब निलांजना से उनके लक्ष्य के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने अपनी बड़ी सफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि मेरा सपना है कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करूं और अपने माता-पिता को गर्व महसूस कराऊं।

निलांजना की प्रेरणादायक यात्रा यह साबित करती है कि किसी भी उम्र में, यदि शौक और मेहनत में जुनून हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में भागीदारी न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यह खेलो इंडिया के मंच की ताकत को दर्शाता है, जो भारत के हर कोने से प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

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Khelo India Youth Games 2025 में बिहार को मिला पहला स्वर्ण, पदक तालिका में महाराष्ट्र का दबदबा कायम

Khelo India Youth Games 2025 में बिहार को मिला पहला स्वर्ण, पदक तालिका में महाराष्ट्र का दबदबा कायम

पटना: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (Khelo India Youth Games 2025) के तहत गुरुवार को बिहार ने इतिहास रचते हुए अपने पहले स्वर्ण पदक का हासिल किया। राज्य की सेपक टकरा क्वाड टीम ने फाइनल में मणिपुर को सीधे गेमों में हराकर सभी को गर्वित कर दिया। बीएसएपी 5 इंडोर स्टेडियम में खेली गई इस शानदार भिड़ंत में बिहार की लड़कों की टीम ने 17-15, 15-11 के स्कोर से जीत दर्ज की और स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ा दी।

इससे पहले, लड़कियों की क्वाड टीम को मणिपुर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन लड़कों की टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन कर बिहार को स्वर्ण दिलाया। इसके अलावा, ज्ञान भवन में आयोजित जूडो प्रतियोगिता में ऋषव सवर्ण ने कांस्य पदक जीतकर बिहार को एक और खुशी का मौका दिया। अब बिहार के खाते में 1 स्वर्ण, 5 रजत और 6 कांस्य पदक हैं, जिससे वह पदक तालिका में मजबूती से खड़ा है।

महाराष्ट्र ने किया शानदार प्रदर्शन

वहीं, महाराष्ट्र ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में अपनी दबदबा बनाए रखा है। राज्य ने गुरुवार को 19 स्वर्ण, 19 रजत और 16 कांस्य पदकों के साथ पदक तालिका में शीर्ष स्थान पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। अन्य राज्यों से काफी बढ़त बना ली है, लेकिन दूसरे स्थान के लिए मुकाबला अभी भी तेज़ है।

राजस्थान, कर्नाटक और हरियाणा का भी शानदार प्रदर्शन

राजस्थान ने साइक्लिंग प्रतियोगिता में अपनी ताकत का लोहा मनवाया। हर्शिता जाखड़ के शानदार प्रदर्शन से राज्य ने कुल 7 स्वर्ण पदक जीतकर साइक्लिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इस बीच, कर्नाटक ने तैराकी में तीन स्वर्ण पदक जीतकर राज्य को बढ़त दिलाई। हरियाणा ने कबड्डी में दो स्वर्ण पदक जीतते हुए शीर्ष-5 में अपनी जगह बनाई है।

कबड्डी और वालीबाल में दिलचस्प मुकाबले

पटना में कबड्डी और वालीबाल प्रतियोगिताएं भी संपन्न हुईं। हरियाणा ने कबड्डी के दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीते। वहीं, वालीबाल के फाइनल में जम्मू एवं कश्मीर की लड़कों की टीम ने उत्तर प्रदेश को हराकर स्वर्ण जीता। बालिका वर्ग में तमिलनाडु ने पश्चिम बंगाल को हराकर सोना जीता।

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Delhi Capitals Redefines Cricket’s Future Through Grassroots Development and Global Vision

Delhi Capitals Redefines Cricket’s Future Through Grassroots Development and Global Vision

New Delhi: Delhi Capitals, once solely recognized for its performances in the Indian Premier League (IPL), is now earning widespread praise for its ambitious off-field transformation. The franchise is actively building a cricketing ecosystem focused on grassroots development, global expansion, and holistic athlete growth — a move that could reshape the future of the sport.

From IPL Team to Cricketing Institution

Since its rebranding in 2019, Delhi Capitals has expanded its role beyond being just a T20 franchise. With the aim of becoming a complete cricketing institution, the franchise has established a robust network of academies across India and abroad.

Currently, over a dozen Delhi Capitals Cricket Academies operate in key regions including Delhi-NCR, Haryana, Uttar Pradesh, Bihar, and internationally in the United Kingdom and Canada. These academies train thousands of young cricketers aged 6 to 18, providing access to professional-level coaching, top-tier infrastructure, and support systems that mirror elite setups.

What sets these academies apart is their all-round development model. Along with cricketing techniques, young athletes are taught fitness, nutrition, mental strength, and life skills — a framework designed to produce not just skilled players, but confident and well-prepared individuals.

Long-Term Talent Pipeline

Delhi Capitals’ grassroots initiative is focused on long-term impact rather than short-term success. The franchise is investing in identifying and nurturing talent that can rise through the ranks — from academy level to IPL, domestic cricket, and even the national team.

Several players from the DC academy system have already represented their states and junior India teams, signaling the success of the initiative. A key strength lies in the seamless integration between the academies and Delhi Capitals’ elite scouting and analytics units. Promising talent is continuously monitored, mentored, and guided with precision.

Moreover, the program extends beyond players. Coaches, trainers, and sports support staff are also offered structured career development pathways, helping build a sustainable sports ecosystem.

The Man Behind the Mission

Leading this transformation is Pratik Puri, who took over as Head of Academies in late 2023. A former national-level cricketer and BCCI-certified coach, Puri brings a unique mix of grassroots knowledge and strategic vision.

Under his leadership, Delhi Capitals has expanded its academy footprint, introduced data-driven standardized curriculums, and launched its first international academy — complete with performance tracking tools, scholarship opportunities, and guidance from senior IPL coaches.

“Pratik has brought a systematic, future-focused approach to the program. He’s not just managing academies; he’s changing how cricket education operates in India,” said a Delhi Capitals official.

Vision of the Ownership

Backed by the JSW and GMR Groups, Delhi Capitals’ leadership is clear that this academy program is not a CSR or promotional activity — it is central to their core philosophy. Their aim is to position Delhi Capitals as a global cricket brand rooted in Indian values and talent.

By establishing a pipeline that nurtures players from their first coaching session all the way to professional cricket, the franchise is creating long-term value both on and off the field.

What Lies Ahead

As cricket continues to evolve into a global, high-performance sport, the need for intelligent, resilient, and well-rounded athletes is greater than ever. Delhi Capitals is addressing that need head-on — and in the process, laying the groundwork for a stronger future for the game.

By investing in young talent and building an inclusive cricketing framework, the franchise is not just preparing future champions — it is building the future of cricket itself.

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