पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) के मीडिया कमेटी के चेयरमैन कृष्णा पटेल ने बयान जारी कर कहा कि अनैतिक, अनाधिकार और असंवैधानिक कार्यों में महारथ हासिल कर चुके लोगों के गिरोह द्वारा एक और असंवैधानिक एसजीएम व एजीएम की खबरें सामने निकल कर आ रही है जो बड़ा हास्यास्पद लग रही है और यह दर्शा रहा है कि हाथ से गद्दी जाने का कितना डर है।
कृष्णा पटेल ने आगे कहा कि जिस गिरोह द्वारा असंवैधानिक एसजीएम व एजीएम की बातें की जा रही है वो पुरी तरह से फर्जी है। क्योंकि इस गिरोह में शामिल सभी लोग अलग-अलग मामलों में संलिप्त और दोषी हैं जिनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष सर्वप्रथम मतदाता सूची में बिना नाम शामिल फर्जी चुनाव का हिस्सा है। वहीं उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी, आईसीए मेंबर महिला खिलाड़ी प्रतिनिधि लवली राज व पुरुष खिलाड़ी प्रतिनिधि विकास कुमार रानू कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के मामले में बीसीए के माननीय लोकपाल सह नैतिक पदाधिकारी के आदेशानुसार बर्खास्त हैं।
मैं पूछना चाहता हूं इस गिरोह में शामिल सभी तथाकथित पदाधिकारियों से कि बीसीए के किस संविधान में यह वर्णित है कि बिना किसी जिला संघ के पूर्ण सदस्य (प्रतिनिधि) रहे और मतदाता सूची में नाम शामिल रहे बिना बीसीए कार्यकारिणी का चुनाव में शामिल होकर निर्वाचित भी हो सकतें हैं ? अगर ऐसा संभव है तो फिर जिला संघों के पूर्ण सदस्यों अथवा प्रतिनिधियों का औचित्य क्या है?
अगर ऐसा संभव है तो फिर देश और प्रदेश भर में ऐसे-ऐसे बड़े हस्तियों की एक लंबी कतार है जो राज्य संघों अथवा बीसीसीआई के कार्यकारणी का सीधा चुनाव में शामिल हो सकते हैं क्या बीसीसीआई अथवा बीसीए की संविधान इसकी इजाजत देती है?
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हमारे लोकतांत्रिक देश के पवित्र संविधान में वर्णित धाराओं के तहत किसी भी प्रकार के चुनाव में जिसे मतदान करने का अधिकार नहीं है क्या वैसे किसी व्यक्ति को निर्वाचित होने के लिए मतदान लेने का अधिकार है? कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के मामले में जिस कारणवश पूर्व सचिव संजय कुमार मंटू को बर्खास्त कर दिया गया था। क्या लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों में ऐसा बदलाव हुआ है कि चेहरा और अपने मनमाफिक चरित्र को देखते हुए कनफ्लिक्ट का इंटरेस्ट लागू किया जाए या नहीं ?
एक कहावत तो आप लोगों ने सुना ही होगा कि “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे”‘ और ये सिर्फ मुझे हीं नहीं इस गिरोह के जन्मदाता से जुड़े हर एक आदमी को पता है कि बीते दिनों में इस गिरोह द्वारा किए गए सभी अनैतिक व असंवैधानिक कार्यों का बहुत जल्द अंत होना सुनिश्चित है।
क्योंकि फर्जी दस्तावेज बनाने, बिना मतदाता सूची में नाम दर्ज के फर्जी चुनाव कराकर खुद को निर्वाचित पदाधिकारी घोषित कराने, वित्तीय अनियमितता, कनफ्लिक्ट का इंटरेस्ट, खिलाड़ियों से पैसे की लेन-देन कर चयन करना , माननीय सुप्रीम कोर्ट से अनुमोदित बीसीए संविधान के बजाय निबंधन विभाग में अलग संविधान प्रस्तुत कर विभाग को गुमराह करने सहित अन्य मामलों में दर्ज शिकायतों को लेकर अलग-अलग जांच चल रही है और इस गिरोह द्वारा जमा सभी फर्जी दस्तावेज चीख- चीखकर इनकी काली करतूतों को उजागर कर रही है।जिससे इन लोगों में हाथ से सत्ता जाने व अन्याय अनैतिक कार्यों की खुली दूकान बंद होने को लेकर व्याप्त भय बना हुआ है।
इसलिए इस फर्जी बैठक में सभी 38 जिला को शामिल होने का दावा बिल्कुल बेबुनियाद है बल्कि यूं कहें कि झुठा भौकाली जारी है ताकि पूर्ण मान्यता प्राप्त एक- आध जिला को दिग्भ्रमित कर अपनी ओर आकर्षित किया जा सके जबकि हकीकत कुछ और हीं बयां कर रही है। इसलिए मैं अपने बीसीए परिवारजनों को एक बार पुनः आगाह कर रहा हूं साथ हीं साथ प्रतिभावान खिलाड़ियों को बता देना चाहता हूं कि ऐसी गीदड़भभकीयों और भौकाली से सावधान रहें, सतर्क रहें और किसी प्रकार के जाल में नहीं फंसें और आपके सामने बहुत जल्द सभी तस्वीरें सामने आने वाली है साथ हीं साथ कानून व संविधान की जीत भी सुनिश्चित है धैर्य रखें।