पटना: भारतीय फुटबॉल टीम के गोलकीपर सुब्रत पॉल (Subrata Paul) ने शुक्रवार को पटना के नेउरा स्थित अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी (ALPHA Sports Academy) में आकर बच्चों को सफलता का गुरुमंत्र दिया। सुब्रत पॉल ने बिहार में प्रतिभा को देखते हुए कहा कि आने वाले समय में बिहार के फुटबॉल खिलाड़ी भी भारतीय टीम में जगह बनाने में कामयाब होंगे।
सुब्रत पॉल का जन्म बिहार में हुआ था। उन्होंने कहा कि भले ही मैं बंगाल से हूं लेकिन मेरा जन्म और पढ़ाई बिहार से हुआ है, जब बिहार झारखंड एक हुआ करता था। उन्होंने बताया जब जमशेदपुर बिहार का पार्ट था तभी उन्होंने वहां से ही खेलना शुरू किया था, इसलिए भी बिहार मेरा पहला घर है और यहां से काफी यादें भी जुड़ी हुई है।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और अर्जून अवार्ड से सम्मानित सुब्रत पॉल ने अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी में क्रीडा न्यूज से बात करते हुए बताया कि बिहार में खेल के प्रति काफी बदलाव देखने को मिले हैं। इस दौरान उन्होंने बताया कि अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। यहां की फैसिलिटी देखकर मैं काफी खुश हूं। अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी में खेल की सुविधा बाकी जगह से ज्यादा बेहतर है। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल की सुविधा भी प्रदान की गई है। यह बहुत ही सराहनीय पहल है।
उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी के बच्चे अच्छा प्रदर्शन करे और राज्य एवं देश का प्रतिनिधित्व करें। मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार के फुटबॉल खिलाड़ी भी जल्द ही भारतीय टीम में शामिल होंगे और अपने प्रदर्शन से सभी को गौरवान्वित करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी मूलमंत्र यही है कि वो लगातार मेहनत करते रहे। मेरा मानना है कि आप कड़ी मेहनत से कुछ भी हासिल कर सकते हैं और मैं यहीं सिद्धांत को फॉलो करता हूं। पॉल ने अंत में खिलाड़ियों को एक संदेश देते हुए कहा कि आप अपने ड्रीम को फॉलो करें और जितना हो सके हमेशा नए-नए चीज सीखते रहें। उससे आप में आत्मविश्वास बना रहेगा और आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
Subrata Paul का नाम कैसे पड़ा स्पाइडर मैन
सुब्रत पॉल को हमलोग स्पाइडर मैन के नाम से भी जानते हैं। जिन्होंने 2011 के एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया था, जिसके बाद कोरियन और ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने उन्हें स्पाइडर मैन कहा। इसके बाद से वो स्पाइडर मैन के नाम से भी फेमस हो गए। सुब्रत ने टाटा फुटबॉल अकादमी से ग्रेजुएट होने के बाद 2004 में मोहन बागान में अपने खेल के करियर की शुरुआत की। 2007 में उन्हें आई-लीग के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के रूप में चुना गया था।
वह ईस्ट बंगाल के फेडरेशन कप जीतने वाले अभियान का हिस्सा थे। साल 2014 में उन्हें एफसी वेस्टलैंड में शामिल किया गया। वहीं एक शीर्ष स्तरीय यूरोपीय फुटबॉल क्लब के लिए खेलने वाले पहले भारतीय बने थे। इसके बाद साल 2016 में सुब्रत को भारत में खेल के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।