पटना, 16 जून। सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन द्वारा अपने 25वें सालगिरह के अवसर पर आयोजित सरदार पटेल स्कूली क्रिकेट फेस्टिवल के अंतर्गत क्रिकेट गुरुओं को आगामी 28 जून को स्थानीय कासा पिकोला रेस्टूरेंट में होने वाले कासा पिकोला क्रिकेट गुरु सम्मान समारोह में अवधेश शर्मा स्मृति अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। यह जानकारी कासा पिकोला रेस्टूरेंट के प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा और माई कैरियर व्यू के निदेशक सुनील कुमार ने संयुक्त रूप से दी।
राजेश शर्मा ने बताया कि क्रिकेट गुरुओं को स्व. अवधेश शर्मा के नाम पर दिया जायेगा। स्व. अवधेश शर्मा समाजसेवी थे और खेलों को बढ़ावा देने के लिए वे हमेशा सक्रिय रहते थे। उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी सामाजिक मूल्यों को समझते हुए अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत बिहार में खेल को बढ़ाने के लिए कार्य करती है। इसके तहत कई स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट कराये जा चुके है। यह कार्य भी उसी कड़ी का एक हिस्सा है।
माई कैरियर व्यू के निदेशक सुनील कुमार ने कहा कि सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन राज्य में खेल खासकर क्रिकेट को ग्रासरुट से बढ़ाने का काम करती है। हमारी कंपनी भी इस नेक कार्य का एक भागीदार है। उन्होंने कहा कि गुरुओं का सम्मान करना बड़ी बात है।
किसी के जीवन में गुरू का होता है सबसे महत्वपूर्ण योगदान
सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के संस्थापक संतोष तिवारी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में कोई आगे बढ़ता है तो उसका एक गुरु होता है। क्रिकेट भी उसका एक पार्ट है और हमारी संस्था ने फैसला लिया है कि क्रिकेट गुरुओं को सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें केवल वैसे प्रशिक्षक ही नहीं शामिल होंगे जो एकेडमी चलाते हैं बल्कि उन्हें भी शामिल किया जायेगा जो इन एकेडमी या उससे हट कर खिलाड़ियों को तरासने में मदद करते हैं।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन स्कूली स्तर पर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। इसके तहत हर आयु वर्गों के टूर्नामेंटों का आयोजन इस स्कूली क्रिकेट फेस्टिवल के दौरान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन अब ग्रामीण स्तर पर स्कूली क्रिकेट का बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। इसी कड़ी ग्रामीण स्कूली क्रिकेट लीग कराया जायेगा।
फाउंडेशन ने बिहार में जिंदा रखा क्रिकेट
उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने बिहार में क्रिकेट को उस समय जिंदा रखा जिस समय यहां क्रिकेट का माहौल तो जरूर था पर खिलाड़ियों को मैच नहीं मिलते थे क्योंकि बीसीसीआई की ओर से मान्यता नहीं थी। मोइनुल हक स्टेडियम जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में फाउंडेशन कईयों स्कूली टूर्नामेंट का आयोजन किये। इसका परिणाम है कि वर्तमान समय में बिहार की ओर से सीनियर से लेकर आयु वर्गों के टूर्नामेंटों में खेलने वाले कई खिलाड़ी हमारे टूर्नामेंट की उपज हैं।