पटना: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के भीतर बीते कुछ दिनों में कई विवादास्पद घटनाओं ने राज्य के क्रिकेट प्रेमियों को हैरान कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बीसीए में लिए गए कुछ निर्णयों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
गौरतलब है कि 12 अगस्त 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 के तहत हस्तक्षेप करते हुए बीसीए में चल रही अनियमितताओं पर निगरानी के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एल. नागेश्वर राव को लोकपाल नियुक्त किया था। इसके बावजूद बीसीए द्वारा लोकपाल की नियुक्ति के बाद भी दो अहम नोटिफिकेशन एजीएम और इलेक्टोरल ऑफिसर से संबंधित आनन-फानन में जारी किए गए। बताया जा रहा है कि यह नियुक्तियां लोकपाल की जानकारी या अनुमति के बिना की गईं।
इस मामले में कई जिला क्रिकेट संघों ने लोकपाल से शिकायत की, जिस पर सुनवाई भी हुई। हालांकि, लोकपाल ने यह स्पष्ट किया कि उनके अधिकार क्षेत्र में चुनाव को रोकने या स्थगित करने का अधिकार नहीं है। इसके बाद जब यह मामला पुनः सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा, तो 27 अक्टूबर को अदालत ने आदेश जारी करते हुए लोकपाल को व्यापक अधिकार प्रदान किए, ताकि बीसीए के सभी कार्यों की निगरानी की जा सके।
इसी बीच, तीन चयनकर्ताओं द्वारा 54 खिलाड़ियों की सूची जारी की गई, जिनमें से दो चयनकर्ताओं पर FIR दर्ज है और एक चयनकर्ता की उम्र 65 वर्ष से अधिक है। इस पर विवाद उठने के बाद कई खिलाड़ियों ने लोकपाल के समक्ष याचिका दायर की।
13 अक्टूबर को लोकपाल ने आदेश जारी किया कि बीसीसीआई दो नए चयनकर्ता बिहार भेजे, जो चयन प्रक्रिया की समीक्षा करें, साथ ही कोचों और सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति की भी जांच करें। इसके तहत बीसीसीआई के चार चयनकर्ता 24 अक्टूबर को पटना पहुंचे, लेकिन कुछ ही समय कार्यालय में रुककर लौट गए। बाद में चेतन शर्मा और हरविंदर सिंह ने 28 अक्टूबर को बीसीए कार्यालय का दौरा किया। शाम को जारी सूची में वही 54 खिलाड़ी शामिल दिखे, जिन पर पहले से विवाद था। बाद में 16 खिलाड़ियों की नई सूची भी वेबसाइट पर जारी की गई, जिससे स्थिति और उलझ गई। बताया जा रहा है कि लोकपाल के आदेशों के विपरीत यह सूची प्रकाशित की गई।
शाम को जारी सूची में वही 54 खिलाड़ी शामिल दिखे, जिन पर पहले से विवाद था। बाद में 16 खिलाड़ियों की नई सूची भी वेबसाइट पर जारी की गई, जिससे स्थिति और उलझ गई। बताया जा रहा है कि लोकपाल के आदेशों के विपरीत यह सूची प्रकाशित की गई।
इसके अलावा, कुछ जिला क्रिकेट संघों ने यह भी आरोप लगाया है कि बीसीए के भीतर संगठनात्मक स्तर पर भी अनियमितताएं हुई हैं। यहां तक कि एक पूर्व पदाधिकारी पर यह आरोप है कि उन्होंने “संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार कर” अपने करीबी को अध्यक्ष घोषित कर दिया।
इन तमाम मुद्दों पर 22 जिला क्रिकेट संघों द्वारा दायर याचिकाओं पर अगली सुनवाई 4 नवंबर को शाम 6 बजे लोकपाल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (जूम) के माध्यम से की जाएगी।
आदित्य वर्मा ने कहा कि “यह वही बिहार है जिसने 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से दोबारा मान्यता प्राप्त की थी। आज वही क्रिकेट प्रशासन विवादों में घिर गया है। बिहार क्रिकेट उन खिलाड़ियों का है जो दिन-रात मेहनत करते हैं, न कि उन लोगों का जो राजनीति और स्वार्थ से इसे नियंत्रित करना चाहते हैं।”
 
								
 
				 
															
 टीम के हेड कोच विनय सामंत, सहायक कोच कुमार मृदुल, फिजियोथेरेपिस्ट हेमेन्दु कुमार सिंह और एसएंडसी कोच गोपाल कुमार होंगे। टीम मैनेजर की जिम्मेदारी बीसीए द्वारा नियुक्त नंदन कुमार सिंह को दी गई है।
टीम के हेड कोच विनय सामंत, सहायक कोच कुमार मृदुल, फिजियोथेरेपिस्ट हेमेन्दु कुमार सिंह और एसएंडसी कोच गोपाल कुमार होंगे। टीम मैनेजर की जिम्मेदारी बीसीए द्वारा नियुक्त नंदन कुमार सिंह को दी गई है।

 
                                                       
                                                       
                                                       
     