भारतीय क्रिकेट का प्रतिष्ठित टूर्नामेंट दलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) अगले साल से अपने पुराने वाले स्वरूप में वापस दिखेगा। हाल में ही हुए दलीप ट्रॉफी को सभी राज्य संघों ने स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद दलीप ट्रॉफी को फिर से पुराने तरीके से कराने का निर्णय किया गया है। इस साल चार टीमों – भारत ए, भारत बी, भारत सी, और भारत डी – ने प्रतिस्पर्धा की, जिसमें भारत ए ने भारत सी को हराकर ट्रॉफी जीती।
बीसीसीआई की वार्षिक आम सभा (एजीएम) के बाद, एक राज्य इकाई के अधिकारी ने बताया कि ‘‘राज्य इकाइयों को लगा कि इस सत्र में इस्तेमाल किए गए प्रारूप में उनके संबंधित क्षेत्रों के खिलाड़ियों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। पारंपरिक क्षेत्रीय प्रारूप खिलाड़ियों को क्षेत्र के अनुसार अधिक मौके प्रदान करता है।’’ इस सत्र में दलीप ट्रॉफी के नए प्रारूप में कई स्टार खिलाड़ियों ने भाग लिया, लेकिन फिर भी राज्य इकाइयों ने इसे सफल नहीं माना।
पारंपरिक प्रारूप की विशेषताएं
पारंपरिक क्षेत्रीय प्रारूप में भारत के छह क्षेत्रों – मध्य, पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर – से छह टीमें प्रतियोगिता में भाग लेती हैं। इस प्रारूप का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों के युवा खिलाड़ियों को मंच प्रदान करना और उन्हें प्रतिस्पर्धा के अनुभव से भरपूर बनाना है।
एक विशेषज्ञ ने बताया, “पारंपरिक प्रारूप से क्षेत्रीय क्रिकेट को मजबूती मिलेगी और नए प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिलेगा। यह भारतीय क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र के खिलाड़ियों को उचित अवसर मिले।”
दलीप ट्रॉफी का क्षेत्रीय प्रारूप में लौटना भारतीय क्रिकेट की नींव को मजबूत करेगा और विभिन्न क्षेत्रों के खिलाड़ियों के लिए नयी संभावनाएँ खोलेगा। ऐसे में घरेलू खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मौके मिलेंगे और भारतीय टीम में अपने प्रदर्शन के दम पर जगह बनाना भी आसान हो जाएगा।