नालंदा- बुधबार 22 नवंबर को बिहार शरीफ में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ नालंदा का चुनाव करवाया गया। जिसमें शैलेन्द्र कुमार को अध्यक्ष, अजय कुमार को उपाध्यक्ष, सैयद मोहम्मद जावेद इकबाल को सचिव, सुजीत कुमार को संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष मनोरंजन कुमार को बनाया गया। चुनाव अधिकारी एस एम समसामूल हक को बनाया गया था। अब इस चुनाव पर विवाद होते दिख रहा है।
नालंदा क्रिकेट से जुड़े लोगों को कहना है कि इस चुनाव की ना तो घोषणा की गई, ना किसी न्यूज पेपर में, ना ही किसी भी सोशल मीडिया में चुनाव के तारीख का ऐलान किया गया था। इसकी सूचना किसी क्लब मेंबर को भी नहीं थी। बस कुछ अपने लोग ने मिलकर बंद कमरें में चुनाव को संपन्न करवा लिया। उन लोगों ने कहा कि जिस तरह से यह चुनाव करवाया गया वो अवैध है।
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव बंद कमरे में किया गया मतलब इनलोगों को किसी बात का डर था। ठीक एक साल पहले कुछ इसी तरह से चुनाव करवाने की कोशिश की गई थी, जिसका शिकायत लोकपाल के पास दर्ज है। उस मामले पर फैसला अभी तक आया नहीं था कि इन लोगों ने इस चुनाव को अवैध तरीके से करवा लिया।
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नालंदा क्रिकेट में शामिल लोगों ने कहा कि नालंदा जिला में कुल 12 क्लब है, जो बीसीए के चुनाव अधिकारी के द्वारा जारी किया जाता है। लेकिन एड-होक कमिटी के चेयरमैन विजय कुमार ने अपने पावर का इस्तेमाल करके अपने खास लोगों और सगे- सबंधियों को अधिकारी बनाकर इस चुनाव को करवाया है। एक वर्ष में चुनाव अधिकारी द्वारा वोटरों का लिस्ट भी जारी नहीं किया जाता है। फिर भी चुनाव को करवाया जाता है।
अब बीसीए के बाइलॉज के अनुसार बात करें तो चुनाव अधिकारी का बेटा चुनाव नहीं लड़ सकता हा। मगर नालंदा में चुनाव अधिकारी एस एम समसामूल हक के बेटे को सचिव बना दिया जाता है। सैयद मोहम्मद जावेद इकबाल को सचिव बनाया गया है।
अब अगर उपाध्यक्ष अजय कुमार की बात करें तो उनके कार्यकाल को 9 वर्ष पूरे हो चुके हैं। जबकि बीसीसीआई की बाइलॉज की बात करें तो कोई भी अधिकारी दो टर्म यानि 6 वर्ष से बाद कोई चुनाव नहीं लड़ सकता है। दो टर्म के बाद सदस्य पर कुलिंग पीरियड लागू हो जाता है। ऐसे में वो कूलिंग पीरियड में होते हुए भी चुनाव कैसे लड़ सकते हैं। इसका मतलब को तथ्य को जांचने वाला भी नहीं है। यहां तक लोगों ने यह भी कहा कि कहीं सभी मेंबर का हस्ताक्षर भी तो फर्जी तरीके से नहीं लिया गया है।
नालंदा क्रिकेट से जुड़े लोगों ने जब चुनाव से संबधित जानकारी मांगी तो कोई जबाव नहीं दिया। अधिकारियों ने यहां तक वोटर लिस्ट भी जारी नहीं की। इस बात की शिकायत बीसीए के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी एवं एजीएम नीरज राठौर को भी की गई। लेकिन उन्होंने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।