पटना। बिहार क्रिकेट संघ के सचिव अमित कुमार द्वारा जारी वेबसाइट www.biharcricketassociations.com पर एक खुला पत्र 38 जिला संघ को लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि बीसीए अध्यक्ष द्वारा आज दिनांक 10 फरवरी 2023 को अपलोड किए गए सूचना में सभी सदस्यों को एक बार पुनः दिग्भ्रमित कर संस्था को विवादित करने का प्रयास किया जा रहा है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 14 सितंबर 2022 के आदेश को सिर्फ अनुपालन करना है और उस पर किसी तरह का विचार विमर्श का अधिकार किसी भी राज्य संघ को नहीं है।
उक्त 14 सितंबर 2022 माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में पूर्व से सचिव के कार्य में अधिकार को विस्तारित किया गया है और यह स्पष्ट उल्लेख है की संघ के सभी क्रियाकलाप सचिव के नियंत्रण में सचिव के द्वारा ही किया जाएगा।
विदित हो कि बिहार क्रिकेट संघ के वर्तमान नियमावली में भी अध्यक्ष को आम सभा/ विशेष आम सभा/ वार्षिक आमसभा या कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की मीटिंग की सूचना करने का कोई अधिकार नहीं है। इसीलिए अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई 12 फरवरी 2023 की सिवान में आमसभा असंवैधानिक एवं संस्था को विवादित करने वाली है और कोई भी गैर संवैधानिक क्रियाकलाप या विशेष आम सभा संस्था को विवादित करेगी और इससे बिहार क्रिकेट संघ को प्राप्त होने वाली अनुदान राशि बाधित होगी और होती आ रही है।
आप सभी से विनम्र निवेदन है बिहार क्रिकेट संघ आप सबों का है और संवैधानिक रूप से संचालन में सभी का सहयोग अपेक्षित है, इसीलिए इस तरह के किसी असंवैधानिक विशेष आम सभा में आप शिरकत ना करें, भाग ना लें जिससे बिहार क्रिकेट संघ का भविष्य प्रभावित हो।
यहां दिनांक 14 सितंबर 2022 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रति को भी बीसीए सचिव की वेबसाइट www.biharcricketassociations.com पर संलग्न किया जा चुका है जिसे आप गंभीरतापूर्वक देखें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
सचिव ने यह भी कहा की बीसीए देश का पहला संघ है जिसके वेबसाइट पर दो -दो संविधान अपलोड है एक वर्ष 2018 का संविधान तो दूसरा संविधान 2022 का है जिस संविधान संशोधन में 38 जिला संघों के अलावे किसी अन्य व्यक्ति/ क्लब /या एनजीओ को बीसीए का फुल मेंबरशिप देकर वोटिंग राइट देने का प्रावधान है ।
उस संविधान को अध्यक्ष ( कार्य पर रोक ) ने जिला संघ की आंखों में धूल झोंक कर उनके उपस्थिति हस्ताक्षर के सहारे उस संविधान को अनुमोदित कराने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा गया था। जब मुझे ज्ञात हुआ तो मैंने जिला संघों का अस्तित्व कायम रहे इस उद्देश्य से इस संविधान संशोधन के खिलाफ एक आइए दायर की और अंततः सुप्रीम कोर्ट से इस संविधान संशोधन को अध्यक्ष (कार्य पर रोक ) ने वापस ले लिया और एक बार पुनः जिला संघ को दिग्भ्रमित करने का प्रयास में लगे हुए हैं और 2022 के संविधान संशोधन की एक प्रति को वेबसाइट पर हिडेन कर रखा गया ताकि अध्यक्ष ( कार्य पर रोक) अपने हिसाब से समयानुसार आवश्यकता पड़ने पर इन दोनों संविधान का आज तक इस्तेमाल करते आ रहें हैं और जिला संघ को दिग्भ्रमित कर अपना काम निकाल सकें।