पटना। बिहार क्रिकेट संघ के सचिव अमित कुमार ने बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनके कार्य पर रोक लगा हुआ और जो पिछले 4 वर्षों से बीसीए को असंवैधानिक तरीके से संचालित कर सचिव विहीन संस्था बनाने में लगे हुए हैं इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें असंवैधानिक कार्यों का महारथ हासिल है।
बीसीए के सचिव अमित कुमार ने आगे कहा कि कार्य पर रोक लगने और इनके खिलाफ मिल रही शिकायतों व कार्यों कि जांच के लिए संजय सिंह के नेतृत्व में गठित जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत होने वाली रिपोर्ट में अपने – आपको दोषी पाए जाने की डर से पहले ही अपना आपा खो बैठे हैं। जिसकी बौखलाहट में घबराकर दिन प्रतिदिन अवैध, अनैतिक, असंवैधानिक व अनाधिकार कार्य कर रहे हैं जो इनके अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं साथ हीं साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय और बीसीए के नैतिक पदाधिकारी सह लोकपाल से पारित आदेश की भी अवहेलना कर रहे हैं।
विदित है कि 17 जिला संघों के मांग और शिकायत पर 4 फरवरी 2023 को नालंदा में हुई विशेष आम सभा की बैठक में कुल 23 जिला संघ के पदाधिकारियों ने बीसीए अध्यक्ष के कार्य पर रोक लगाते हुए इनके खिलाफ मिल रही विभिन्न प्रकार की शिकायतों कि जांच के लिए संजय सिंह के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर चुकी है और जांच प्रक्रिया पूरी होने तक इनके प्रशासनिक कार्यों व किसी प्रकार की बैठक की अध्यक्षता करने पर पाबंदी लगा चुके हैं। इसके बावजूद भी ये किसी प्रकार कि हरकत करते हैं तो इनके द्वारा लिए गए कोई भी निर्णय बीसीए संविधान के तहत पूरी तरह से अवैध और अमान्य माना जायेगा।
इसीलिए अपने स्वार्थ और अस्तित्व की लड़ाई में कई जिला संघ व खिलाड़ियों को भी बेवजह कानूनी दांव-पेंच में जबरन उलझाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिससे हम सभी को अपने- अपने विवेक से बचने की जरूरत है।
क्योंकि कोई भी संस्था अपने नियम और विनियम के तहत आधारित संविधान से चलता है ना कि किसी व्यक्ति विशेष के मौखिक तुगलकी फरमान से जैसा कि कल रात को अचानक एक सोशल मीडिया और पोर्टल न्यूज़ पर कलम – कागज विहीन कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के कुछ लोगों के फोटो के साथ एक बैठक की मनगढ़ंत सूचना प्रकाश में आती है जिसे जानकर आपको घोर आश्चर्य होगा कि बीसीए के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी एक सत्र में अंडर- 25 सिलेक्टर और उसी टीम का कोच बनने वाले अस्वीकृत तथाकथित आइसीए के सदस्य विकास कुमार रानू और लवली राज पर कंपलीट ऑफ इंटरेस्ट का मामला दर्ज है और बीसीए के माननीय लोकपाल महोदय ने नामजद इन सबों के कार्य पर अगले आदेश रोक लगा रखा है। जबकि विशेष आम सभा ने जांच रिपोर्ट आने तक अध्यक्ष के कार्य पर भी रोक लगा रखी है।
आप सबको बता देना चाहता हूं कि जिस कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक का जिक्र अपने तुगलकी फरमान में कर रहे हैं वो बैठक हीं नहीं हो पाया था ।
क्योंकि बीसीए का संविधान सर्वविदित है जिसमें कमेटी ऑफ मैनेजमेंट, एजीएम, और एसजीएम की बैठक बुलाने का अधिकार केवल सचिव को है और विशेष परिस्थिति में 13 जिला संघों के एक समूह द्वारा संचालित किया जा सकता है जो 4 फरवरी 2023 को 17 जिला संघ ने नालंदा में संपन्न कराया।
मैंने 3 जनवरी 2023 को कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक बुलाई थी परंतु अध्यक्ष ने असंवैधानिक तरीके से उसी बैठक को बीसीए संविधान से ऊपर उठकर समय से पहले 30 दिसंबर 2022 को अपने घर के सामने स्थित होटल में बैठक बुलाया। जब उस बैठक में मैं और जिला प्रतिनिधि ओम प्रकाश जायसवाल सहित अन्य विशेष आमंत्रित सदस्य बैठक की निर्धारित समय पर पहुंचे परंतु संध्या 5:00 तक बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के अन्य सदस्य मीटिंग स्थल पर नहीं पहुंचते हैं और होटल के मैनेजर द्वारा यह कहा जाता है कि इस होटल की बुकिंग राकेश कुमार तिवारी के नाम से की गई थी जिसे अब बुकिंग को रद्द कर दिया गया है तो मैं इस बैठक को कोरम के अभाव में पुनः 3 जनवरी 2023 को बीसीए के कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया। जिसकी सारी रिकॉर्डिंग और डिटेल मेरे पास साक्ष्य के तौर पर मौजूद है जिसमें उस असंवैधानिक बैठक की संपुष्टि 2 दिन के बाद ही एक असंवैधानिक बैठक बुलाकर कर लेते हैं। इस मामले को लेकर माननीय लोकपाल महोदय के यहां 30 दिसंबर 2022 कि उस असंवैधानिक बैठक की सुनवाई चल रही है और माननीय लोकपाल के आदेश में बीसीए सचिव के कार्य पर कहीं भी कोई रोक नहीं लगाया गया है लोगों को दिग्भ्रमित करने के उद्देश्य विभिन्न प्रकार के झूठा भौकाल बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। अगर इसमें तनिक भी सच्चाई है तो पारित आदेश के साक्ष्य को सार्वजनिक करें।
जबकि सच्चाई यह है कि कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के जितने लोग अध्यक्ष के इर्द-गिर्द नतमस्तक हैं जिसका एकमात्र कारण यह है कि एक साजिश के तहत सभी को फर्जी दस्तावेज व अनाधिकार हस्ताक्षर में उलझा कर रखा गया है और उसका लाभ उठाते हुए आज सारे फैसले मनमानी तरीके से एक व्यक्ति के द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया जा रहा है जब चाहा जिसको हटाया और जब चाहा उसे रख लिया जिसका एक लंबा लिस्ट है जिसमें शराब पीते पकड़े जाने के मामले में जेल जा चुके नीरज सिंह राठौर, संतोष झा, खिलाड़ियों से चयन के नाम पर अध्यक्ष का नाम लेकर पैसे का लेन देन का वीडियो वायरल होने के कारण लाइमलाइट में आने वाले कौशल कुमार तिवारी, संजीव कुमार मिश्र, सुबीर चंद्र मिश्रा, धर्मवीर पटवर्धन जैसे अनगिनत लोग जबकि बीसीए संविधान के तहत किसी भी पदाधिकारी अथवा कर्मचारी की नियुक्ति होने का प्रावधान है।
अंत में बता देना चाहता हूं कि कोतवाली थाने में भी 19 जनवरी को जाली दस्तावेज बनाने व चयन प्रक्रिया में धांधली को लेकर एफआईआर संख्या :- 49/23 के तहत बीसीए के अध्यक्ष पर धारा 420, 468, 471 और 120 बी का मामला दर्ज हुआ है जो बेहद निंदनीय है और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाली है।
बीसीए प्रवक्ता कृष्णा पटेल ने अपने मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं बिहार के प्रतिष्ठित राजनीतिक पार्टी जनता दल यूनाइटेड और मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का एक छोटा सा सिपाही हूं और लोकतंत्र व संविधान में पूरी आस्था और विश्वास रखता हूं फिलहाल मैं संवैधानिक रूप से कार्य कर रहे बीसीए के सचिव अमित कुमार द्वारा अधिकृत प्रवक्ता हूं जिसका मेल मुझे प्राप्त है और इससे पूर्व भी मैं बीसीए मीडिया कमेटी का संयोजक सह प्रवक्ता रहा हूं जिसका प्रमाण भी मेरे मेल पर मौजूद है। अति का अंत हुआ तो आवश्यकता पड़ने पर मैं कई कॉल रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक करने पर मजबूर हो जाऊंगा जो यह स्पष्ट कर देगा कि किस प्रकार का दबाव अथवा झूठा प्रलोभन असंवैधानिक कार्यों का सहभागी बनने के लिए दिया जाता रहा है जो मैं कतई नहीं चाहता हूं और ना ही मेरी ऐसी कोई भावना है।