बिहार क्रिकेट का हाल ऐसा हो गया है कि बीसीए अपने खिलाड़ियों पर लगाम भी नहीं लगा पा रहे हैं। सीवान का एक खिलाड़ी दो राज्यों से खेलता है, लेकिन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती है। बिहार के सीवान जिला के तारिक जमील एक दिन बंगाल के लीग खेलते हैं और उसके बाद अगले ही दिन अपने गृह जिला आकर बिहार का घरेलू टूर्नामेंट हेमन ट्रॉफी के लिए ट्रायल देते हैं और सीवान के सीनियर टीम में चयन भी हो जाता है। क्या इस बात की जानकारी जिला संघ के अधिकारियों को भी नहीं है?
बीसीए सीनियर अंतर जिला क्रिकेट टूर्नामेंट में 21 फरवरी को खेले गए मुकाबले में तारिक जमील पूर्वी चंपारण के खिलाफ 22 रन भी बनाते हैं 2 विकेट भी हासिल करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि एक खिलाड़ी एक ही साल में दो अलग अलग राज्यों से बिना एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लिए कैसे खेल रहा है?
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारी क्या इतने भी सक्षम नहीं है कि सभी खिलाड़ियों की जांच कर सके। या कोई खिलाड़ी बाहर से आकर खेलता भी है तो उसे एनओसी सर्टिफिकेट मांग सके। खिलाड़ी को अपनी परिदर्शिता के लिए एनोसी सर्टिफिकेट जमा करवाना अनिवार्य समझना चाहिए। जिससे आगे चलके खिलाड़ी को कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा।
कुछ दिन पहले भी पटना में ऐसा ही एक मामला सामना आया था। जहां खिलाड़ी एक ही सीजन में दो जिला से पहले पटना और उसके बाद फिर जहानाबाद से लीग खेलता हुए दिखाई देता है। बिहार क्रिकेट संघ की तरह जिला संघ भी अपने खिलाड़ियों पर ऐसा करने से पाबंदी नहीं लगा रहे हैं।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो बिहार क्रिकेट का भविष्य कैसा होगा। इस पर बिहार के अधिकारियों के साथ-साथ खिलाड़ियों को भी सोचना होगा कि बिहार क्रिकेट को किस दिशा में ले जाना है।