दुर्भाग्य देखिए बिहार क्रिकेट की राजनीति के कारण अच्छे खिलाड़ियों ने बिहार वापिस आने से अच्छा दुसरे प्रदेश से खेलना ही सही समझा क्युकी उन्हें पता था बिहार में पैसा, पैरवी और पुत्रों का खेल और बिहार क्रिकेट संघ में सत्ता की राजनीति उन्हें यहां खेलने का मौका नहीं देगी क्योंकि बिहार में पदाधिकारी तो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं साथ ही बिहार के जो चयनकर्ता बनाए जाते हैं वो भी भ्रष्टाचारी और आरोग्य व्यक्ति ही होते हैं।
जिसका ताजा उदाहरण विजय हजारे ट्रॉफी के लिए नालंदा जिला निवासी आईपीएल और रणजी खेल चुके युवा तेज गेंदबाज वीर प्रताप सिंह का बिहार विजय हजारे टीम के कैंप में भी नाम नहीं आना ये बताता है के बिहार सीनियर टीम के चयनकर्ताओं की कितनी काबिलियत है।
नालंदा जिले के हरनौत-चंडी मुख्य मार्ग पर स्थित जगतपुर निवासी वीर प्रताप सिंह पहले खिलाड़ी जो आईपीएल खेल आईपीएल की डेक्कन चार्जर्स, सनराइजर्स और कोलकाता नाईट राइडर्स की टीम में रह कर 9 आईपीएल मैच खेल चुके इस नालंदा निवासी खिलाड़ी ने अपने शुभचिंतकों से अपनी मन की बात बताकर बिहार की ओर से खेलने की इच्छा जाहिर की और अपने शुभचिंतकों तथा अभिभावकों के कहने पर एन ओ सी लेकर बिहार वापस आ गया।
बिहार वापस आकर नालंदा जिला क्रिकेट संघ की सचिव अजय कुमार तथा नालंदा जिला क्रिकेट के गार्जियन स्वरूप पुर्व बीसीए कोषाध्यक्ष आनंद कुमार से मिलकर बिहार विजय हजारे टीम के चयन ट्रायल में भाग लिया जो की मोइनुल हक स्टेडियम पटना में हुआ।
आपको बताते चलें के नालंदा निवासी वीर प्रताप सिंह ने 9 आईपीएल मैच खेले हैं और बंगाल तथा छत्तीसगढ़ की ओर से प्रथम श्रेणी (रणजी ट्रॉफी) खेले हैं गत वर्ष 2021-22 सत्र में भी छत्तीसगढ़ की ओर से वो खेले हैं और चाहते तो इस सत्र में भी।
2022-23 में छत्तीसगढ़ की ओर से खेलते दिख सकते थे परंतु अपने बिहार टीम के खराब प्रदर्शन को देखकर बिहार के सम्मान के उंचा करने की नियत लेकर वो अपने जन्म स्थान नालंदा आए और बिहार के लिए खेलने का प्रयास किया। परंतु बिहार का दुर्भाग्य देखिये कि बिहार सीनियर टीम के चयनकर्ताओं की काबिलियत देखिये जो खुद तो दो चार रणजी ट्रॉफी खेलकर चाटुकारिता करके चयनकर्ता बने हैं उन चयनकर्ताओं ने वीर प्रताप सिंह को बिहार विजय हजारे टीम के कैंप के योग्य भी नहीं समझा, ये है हमारे बिहार के चयनकर्ताओं की उपलब्धि। युं ही बिहार मैचों में खराब प्रदर्शन थोड़े करता आ रहा है इसमें इन अनुभवहीन चयनकर्ताओं का भी उतना ही योगदान है।
ऐसे में बिहार के वैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी जो दुसरे प्रदेशों से खेलकर उनका मान बढ़ा रहे हैं कैसे बिहार वापस आएंगे, कैसे बिहार के लिए खेलकर बिहार का सम्मान बढ़ाएंगे। आज ये नालंदा के बेटे वीर प्रताप सिंह के साथ हुआ है कल को भारत के लिए खेल रहे पटना निवासी ईशान किशन और गोपालगंज निवासी मुकेश कुमार के साथ भी हो सकता है जब इतने अनुभवहीन और अयोग्य चयनकर्ताओं द्वारा खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा तो।
बिहार क्रिकेट संघ को चाहिए चयनकर्ताओं द्वारा कि गयी इतनी बड़ी ग़लती को जल्द से जल्द सुधार करें और दुसरे प्रदेशों में खेल रहे बिहार के खिलाड़ियों को एक संदेश पहुचाएं के सभी प्रतिभावान खिलाड़ीयों को बिहार क्रिकेट संघ सम्मान देने का काम करेगी और कर रही है।
जब मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी के गृह जिले के इतने बड़े खिलाड़ी जिसने आईपीएल खेला है उसे कैंप तक में नहीं रखा जा रहा है।