पटना। बिहार क्रिकेट संघ के मीडिया कमेटी के संयोजक कृष्णा पटेल ने कहा है कि बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद, कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह और जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह जी की अगुवाई में किए जा रहे संघ के विकास कार्यों व जिला संघों को दिए गए एक-एक लाख का अनुदान राशि से आग-बबूला हुए लोगों ने अपने सत्ता और स्वार्थ के लोभ में आकर एक साजिश के तहत बैंक मैनेजर को दिग्भ्रमित कर बीसीए अकाउंट को बंद करा दिया और आज घड़ियाली आंसू बहाते हुए खिलाड़ियों के राशि भुगतान कराने को लेकर अपना श्रेय लेने के लिए दिन- रात एक किए हुए हैं जिसे पूरा बिहार देख रहा है।
कृष्णा पटेल ने आगे बताया कि बिहार के लिए एक बड़ी विडंबना यह रही है कि आम हो या खास हर किसी को अपने बेटे में ही सबसे अधिक प्रतिभा नजर आती है और इस पुत्र मोह में आदमी इतना अंधा हो जाता है कि अच्छा और बुरा में कोई फर्क नजर नहीं आता हकीकत यही है।
जो कहीं से भी एक सम्मानित पद पर बैठे लोगों के लिए उचित नहीं है और यह बेहद शर्मनाक बात है। दुर्भाग्य की बात है कि कोरोना काल और इसी पुत्र मोह के कारण बिहार क्रिकेट संघ और यहां के खिलाड़ियों का विकास गति प्रभावित है। वहीं इस पुत्र मोह के बीच कई स्वार्थी शकुनी मामा अपनी झूठी शान बचाने के लिए बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ियों गला- घोंट रहे हैं।
अब आइए मैं आपको हकीकत से रूबरू कराता हूं जब बीसीए अध्यक्ष ने बिहार क्रिकेट संघ और जिला संघों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सदन में लिए गए निर्णय के तहत सभी जिला संघों को अपने-अपने जिला में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को लेकर पहली बार जब एक-एक लाख रुपए का अनुदान राशि का भुगतान किया गया और उसके बाद खिलाड़ियों और सपोर्टिंग स्टाफों का राशि भुगतान किए जाने लगा तो क्रिकेट का अहित चाहने वाले लोगों के ऊपर नागवार गुजरा और जब सारा रास्ता बंद दिखा तो नकारात्मक विचारधारा के लोग एकजुट होकर अपनी सत्ता को बचाने के लिए अपने अनैतिक कार्यों और उस पर सदन द्वारा की गई कार्रवाई का दस्तावेज छुपाते हुए
बैंक मैनेजर को अंधकार में रखा और दिग्भ्रमित करते हुए बीसीए चुनाव में प्राप्त दस्तावेज देकर बैंक अकाउंट को बंद करा दिया।
क्योंकि ये लोग भली-भांति जानते हैं कि बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के नेतृत्व में जिस प्रकार से जिला संघों, खेल व खिलाड़ियों के विकास के लिए जो रोड में तैयार किया गया है और उसको अमलीजामा पहनाने के लिए जिस प्रकार से अलग-अलग कमेटियों का गठन किया गया है साथ हीं साथ विभिन्न क्षेत्रों के विकास कार्य को सरल और सहज बनाने के लिए जीएम बनाए गए हैं तो जिला संघ और खिलाड़ियों को अंधकार में रखने वाले लोग के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई सच्चाई यही है।
जिसे आज कुछ लोग अपनी रोटी सेंकने के लिए तोड़-मरोड़कर अपना मनचाहा शब्द जोड़ते हुए पोर्टल न्यूज़ और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को दिग्भ्रमित कर अंधकार में रखना चाहते हैं।
क्योंकि इन्हें पता है कि जिस प्रकार का रोड मैप बीसीए अध्यक्ष ने तैयार कर रखा है। उसमें सभी जिला संघों को अपने-अपने जिला में खेल और खिलाड़ियों के विकास कार्य के लिए अभी तक एक मोटी रकम मिल गई होती और जिस प्रकार से जिला संघ के पदाधिकारियों को अभी तक लोग अंधकार में रखे हुए थें उनकी आंखों पर से पट्टी खुल गई होती।
जिससे सभी जिला संघ के पदाधिकारी बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद, कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह और जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह सहित समस्त पदाधिकारियों का गुणगान करते नजर आते जो जिला संघ, खेल व खिलाड़ियों का अहित चाहने वाले लोगों को पसंद नहीं है और उन्होंने इसी कारणवश आग – बबूला होकर अपनी सत्ता की लालच में बीसीए अकाउंट को एक साजिश के तहत बंद करा दिया।
अब मैं पूछना चाहता हूं खेल और खिलाड़ियों का हित चाहने वाले सभी रहनुमाओं से कि क्या सभी जिला संघों को अपने-अपने जिला में खेल और खिलाड़ियों के विकास कार्यों के लिए दी गई शुरुआती एक-एक लाख का अनुदान राशि गलत था ?
क्या संघ द्वारा खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए बनाई गई अलग-अलग कमेटियां और विभिन्न क्षेत्रों के जीएम की नियुक्ति गलत है ? क्या स्पोटिंग स्टॉफों और खिलाड़ियों का राशि भुगतान करना गलत है ? क्या बीसीए के सदन में लिए गए निर्णय और उस फैसले का अनुपालन करना गलत है ?
जी हां ये सारी बातें वैसे सभी नापाक इरादे वाले लोगों को गलत लगेंगे जो कतई बिहार क्रिकेट, जिला संघों और खिलाड़ियों का विकास नहीं चाहते हैं। बस विकास चाहते हैं तो सिर्फ अपना और अपने पुत्र का।